बंधन मुक्त
हम सोचकर, संकोच से पहुंचे वहां परकहने को कुछ ऐसी बातें थीं उनसेहम सोचकर, संकोच से, शरमाते हुएकह ही डाले; बात अपने मन कीसोचा था शायद बुरा मान जाएँ वोपर मैंने वहां देखी; उलटी बहती गंगा आस्वाशन मिला हमें, गले भी लगाये वोनतीजा ना जाने क्या होगा अब इसका?जो होगा सो होगा; हम इन्तजार करके चाहेंगे जीत अपनी ख