है ना, यह कल ही की बात
कितना आम था तेरा साथ
बस कोई भी पा सकता था
रख सकता था, खा सकता था
पर कैसा रंग बदले आज
हो ना तुम भी दंग पियाज?
लम्बा, गोल और चिपटा रूप
बादामी तेरा रंग अनूप
सबको कितना भाते थे तुम
सस्ते में आ जाते थे तुम
पर अब तो गिर गई है गाज़
हो ना तुम भी दंग पियाज?
पहले ही ऐसा होता था
तुम्हे काटनेवाला रोता था
अब तो तेरे नाम से रोते हैं
और स्वाद तेरा सब खोते हैं
जानें सब, नहीं अब यह राज़
हो ना तुम भी दंग पियाज?
ऐसा बढ़ा है तेरा मूल्य
लगने लगे हो तुम अतुल्य
साथ तेरा रोटी से टूटा
खास बने औ' आम को लूटा
कैसे बन गए तुम यमराज?
हो ना तुम भी दंग पियाज?
सबके पहुँच से दूर ना जाओ
समय अभी है लौट के आओ
भूल तुम्हें कब पाएंगे
चाहा, चाहते, तुम्हे चाहेंगे
पहन लो फिर हर मन का ताज
चलो अब सबके संग पियाज.…!