अमर प्रसाद
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मैं एक भूतपूर्व वायुसैनिक हूँ| कलाप्रेमी होने के साथ मैं एक कवि ह्रदय व्यक्ति हूँ| कवितायेँ लिखने का शौक बचपन से ही है| मैंने इतिहास एवं विपणन व्यवस्थापन में स्नातकोत्तर शिक्षा प्राप्त की है तथा वर्तमान में स्वरोज़गार से जुड़ा हूँ|
छन छन कर आती हुई चाँदनी रुपहली
5 दिसम्बर 2015
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झुँझलाहट में राह
21 नवम्बर 2015
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संशय
13 नवम्बर 2015
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एकबार
3 नवम्बर 2015
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बुद्धजीवियों का बौधिक दिवालियापन
30 अक्टूबर 2015
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भूल मैं कैसे जाऊं प्रीतम चुम्बन और आलिंगन तेरा!
25 सितम्बर 2015
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बंधन मुक्त
22 सितम्बर 2015
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श्री कृष्ण जन्माष्टमी
4 सितम्बर 2015
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प्याज़ वंदना
27 अगस्त 2015
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येाग़
20 जून 2015
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