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अमर प्रसाद के बारे में

मैं एक भूतपूर्व वायुसैनिक हूँ| कलाप्रेमी होने के साथ मैं एक कवि ह्रदय व्यक्ति हूँ| कवितायेँ लिखने का शौक बचपन से ही है| मैंने इतिहास एवं विपणन व्यवस्थापन में स्नातकोत्तर शिक्षा प्राप्त की है तथा वर्तमान में स्वरोज़गार से जुड़ा हूँ|

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अमर प्रसाद की पुस्तकें

अमर प्रसाद के लेख

छन छन कर आती हुई चाँदनी रुपहली

5 दिसम्बर 2015
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सावन की घटा से या केशुओं की बदली से हवाओं के झोंकों परमस्त होके तिरती देखो अभी तारे सारे आँचल में भर ली....छन छन कर आती हुई चाँदनी रुपहली!लहराता आँचल होया शरमाता मुखराबादलों के ढलते हीलो चाँद वहां निकला तिमिर तोम रजनी ने श्रृंगार कर ली....छन छन कर आती हुई चाँदनी रुपहली!फिसलती सी स्निग्ध चंदा की ज्यो

झुँझलाहट में राह

21 नवम्बर 2015
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चुनाव नतीजा देख बिहार का जनमानस है दंग चन्दन विष व्यापत नहीं, लिपटे रहत भुजंग सं प्र ग में भकुआईल ललुआ कुर्सी के खंखुआइल ललुआ कई तरह की जुगत भिड़ाया दिल्ली में बंगला न पाया बंगला से नाता जब टूटा ललुआ का तो जग ही लूटा खेला तब वो नंगा दांव बेटी को दिया लड़ा चुनावजीत गया जब दूसरा यादव लालू बना मिटटी का म

संशय

13 नवम्बर 2015
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जो कुछ भी मैंने कल लिखा बन गयी     आज वो रचना कहाँ पता था कब बन जाये फाँस,       मेरा कुछ कहना लोग यहाँ     कितने होते हैंरच कथ कर भी बच जाते हैं हँस कर ख़ुशी  से जी लेते हैंनया प्रपंच और रच जाते हैंदोष भी दें तो    किनका दें हम उस मिज़ाज़ या इस समाज का?राह चला तो राहें   तन गयींघुम कर देखा आहें बन गयी

एकबार

3 नवम्बर 2015
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छेड़ दो तार ह्रदय का कोई मन वीणा बजने दो साज़-ए-मन आवाज़ दो कुछ तुम नया गीत रचने को गम का गीत गगन यह गाये सदियों का महाराजा खग मन हँस ले एकबार तुम ऐसी धुन बजा जा दृष्टिपात जब करता हूँ मैं दसों दिशाओं की आँगन में होता है जितना दृष्टिगोचर भर जाता है वह सब मन में रास ना आये रश्म का बंधन तोड़कर उड़ना चाहे ये

बुद्धजीवियों का बौधिक दिवालियापन

30 अक्टूबर 2015
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आज जो भी आज़ादी और अधिकार की बात करते हैं और खूब मज़े से जी रहे हैं. उनको कभी यह क्यों याद नहीं आया कि आखिर उनकी इस आज़ादी के लिए खून कौन बहा रहा है. शायद सब सहमत होंगे इस बात पर कि यह हमारी सेना के कारन ही संभव है. आज लगभग १५० दिनों से देश के पूर्व सैनिक जंतर मंतर पर ४३ साल पुरानी मांगों को लेकर भिखरि

भूल मैं कैसे जाऊं प्रीतम चुम्बन और आलिंगन तेरा!

25 सितम्बर 2015
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भूल मैं कैसे जाऊं प्रीतम चुम्बन और आलिंगन तेरा!ऋतु वसंत में मिलन पहला प्रेम का वो पहल पहला सरगम की लय का लहराना गीत सजा सुर पंचम तेरा !भूल मैं कैसे जाऊं प्रीतम चुम्बन और आलिंगन तेरा!उष्ण पवन का मेरे मन का मिलन उष्णता की आँगन में प्रेम का बिरवा फला फूला था औ' मधुर सहगान तेरा !भूल मैं कैसे जाऊं प्रीतम

बंधन मुक्त

22 सितम्बर 2015
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हम सोचकर, संकोच से पहुंचे वहां परकहने को कुछ ऐसी बातें थीं उनसेहम सोचकर, संकोच से, शरमाते हुएकह ही डाले; बात अपने मन कीसोचा था शायद बुरा मान जाएँ वोपर मैंने वहां देखी; उलटी बहती गंगा आस्वाशन मिला हमें, गले भी लगाये वोनतीजा ना जाने क्या होगा अब इसका?जो होगा सो होगा; हम इन्तजार करके चाहेंगे जीत अपनी ख

श्री कृष्ण जन्माष्टमी

4 सितम्बर 2015
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देवकी माँ ने जन्म दिया औ' यशोमति माँ ने पालापुनः जगत में अभिनन्दन है वासुदेव नंदलाला !!सभीको श्री कृष्ण जन्माष्टमी की शुभेच्छा !!!

प्याज़ वंदना

27 अगस्त 2015
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है ना, यह कल ही की बात कितना आम था तेरा साथबस कोई भी पा सकता थारख सकता था, खा सकता थापर कैसा रंग बदले आजहो ना तुम भी दंग पियाज? लम्बा, गोल और चिपटा रूपबादामी तेरा रंग अनूप सबको कितना भाते थे तुमसस्ते में आ जाते थे तुमपर अब तो गिर गई है गाज़हो ना तुम भी दंग पियाज?पहले ही ऐसा होता था तुम्हे काटनेवाला

येाग़

20 जून 2015
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मान चुका है जिसको ये जग ठान चुका है, व्रत को लगभग फिर हमसब क्यों रहेंगे पीछे अपनी अपनी मुट्ठी भींचे है भारत की योग विरासत लगती किसी किसी को आफत ये तो अपनी अपनी आदत किसी को ख़ुशी तो किसी को सांसत! पैदा सब माँ से ही होते एक सा हँसते एक सा रोते एक ही भूख और दुःख भी एक हँसी, ख़ुशी और दर्

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