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मैं कुत्ता हूँ !

9 मार्च 2024

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मैं कुत्ता हूँ।

मैं एक वास्तविक कुत्ता हूँ इंसान नहीं,  इसलिए ये ना समझें की मैं आत्मग्लानि में अपने आपको गाली दे रहा हूँ। वैसे हर कुत्ता यह समझना चाहता है  की “ कुत्ता “ शब्द गाली और अपमान के लिए क्यों प्रयोग किया जाता है।यदा कदा  काटने के अलावा कोई भी कुत्ता कभी कोई बुरा काम नहीं करता ।

ना चोरी, ना बेइमानी, ना रिश्वतख़ोरी और ना हत्या।शायद ही किसी कुत्ते को कोई ग़लत काम करते पकड़ा गया होगा।

भूखे होने पर कोई खाने की चीज़ लेकर भाग जाना,  कपड़े, जूते या किसी पैकेट को चबाकर उसके  स्वाद और ख़ुशबू का आनंद लेना, यह हम कुत्तों के संसार में अपराध नहीं माना जाता - आत्मरक्षा में काटने पर तो इंसानो की अदालतें भी बरी कर देती है।

उत्सुकता अथवा प्यार से क़रीब आए कुत्ते को मनुष्य लात मारकर भगा देते है, या कुत्तों  पर पत्थर से निशानेबाज़ी करते है। जब कुत्ते दर्द या डर से कराहते और भागते है, तो मनुष्य गर्व से मुस्कुराते है - अपमानित कुत्ता नहीं इंसानियत होती है।  कब किसी ने कुत्ते को अपने साथी कुत्ते को अपमानित करते देखा है अथवा उसकी तकलीफ़ का मज़ा लेते देखा है ?  कोई भी कुत्ता कभी अपने साथी कुत्ते को अपमानित नहीं  करता और ना ही  उसकी व्यथा का परिहास करता है।

कुत्ते कभी अपमानित  होते भी नहीं, क्योंकि कुत्तों में मान अपमान का भाव ही नहीं होता। कुत्तों में केवल प्यार, उत्सुकता और वफ़ादारी की भावनाएँ होती है।ऐसा शायद इसलिए क्योंकि कुत्तों में अहंकार जैसी कोई बात नहीं होती।

कई मायनो में कुत्ते इंसानी माँ की तरह होते है, हमेशा साथ खड़े रहते है, तिरस्कार होने पर भी स्नेह करते है और स्नेह के अलावा आपसे कोई आशा भी नहीं करते। आप कुत्ते से प्यार करें या ना करें, आप वफ़ादार हो या ना हो, कुत्ता हमेशा आपसे प्यार करता है और वफ़ादार रहता है।

मिज़ाज से कुत्ते  प्रेमी होते है - हमारे वंशज प्यार और वफ़ादारी के ऊँचे कीर्तिमान स्थापित कर गए है। निस्वार्थ प्रेम और वफ़ादारी हमारी माताएँ अपने दूध में घोलकर हमें पिलाती है, इसीलिए पिल्लाअवस्था में ही माँ से अलग कर दिए जाने के बावजूद, जो मनुष्य हमें गोद ले लेता है हम उस पर अपना जीवन न्योछावर कर देते है। इंसान कहता है “ ये मेरा कुत्ता है “ कुत्ता कभी नहीं कहता की “ये मेरा मनुष्य है”। कुत्ता जानता है कि स्नेह अधिकार के अहसास से ऊपर होता है।  परिवार के बच्चे भले ही घर छोड़ दें, पर कुत्ता आख़री दम तक साथ देता  है।

कुत्ते सूंघने के लिए जीते है, यही हमारा सुख और हमारा शौक़ होता है  - जैसे कई  इंसान खाने के लिए जीते है कुत्ते सूंघने के लिए जीते है।

हर चीज़ सूंघने की हमें  जिज्ञासा होती है। बताने के लिए बता दूँ कि कुत्तों की सूंघने की क्षमता इंसानों से हज़ारों गुना अधिक होती है।  कुत्ते बीमारी सूंघ सकते है, मौत सूंघ सकते है और तो और, आपका मिज़ाज भी सूंघ सकते है - क्योंकि हर स्थिति में इंसानो के शरीर में केमिकल परिवर्तन होते है जिसे हमारी कुत्ता नाक जान लेती है। इसीलिए मालिक खुश तो कुत्ता खुश, और मालिक उदास, तो कुत्ता भी चुपचाप बैठा रहता है।एक बात सब इंसानों को बताना चाहता हूँ कि तेज ख़ुशबू से हमारा पेशाब छूट जाता है, अन्यथा हम बहुत ज़्यादा सफ़ाई पसंद होते है।

कुत्तों की मिल्कियतें भी छोटी छोटी होती है। “हमारा खम्भा”(बिजली वाला, दारू वाला नहीं), “हमारा चबूतरा, हमारा पेड़, हमारा टायर” इत्यादि। अपनी प्रॉपर्टी की निशानदेही हम अपने मूत्र से करते है - ना काँटे की बागड़, ना बंदूक़,ना संतरी, न काग़ज़, ना अदालत। थोड़ा सा मूत्र दान हमारी मालिकाना मुहर होती है ।

जिज्ञासा किसे कहते है यह कोई हमारे पिल्लों से सीखे, जन्म के कुछ दिन बाद ही आप देखेंगे की हर पिल्ला,हर वस्तु और हर मनुष्य में इंट्रेस्टेड है, वे हर किसी के साथ जाना चाहते है, हर वस्तु को सूंघना, और चबाना चाहते है।

यदि आप ध्यान से देखेंगे तो हर पिल्ले की अपनी पर्सनालिटी होती है -  मनचला पिल्ला हर किसी  के पीछे चला जाता है, खेलप्रेमी पिल्ला सब के साथ खेलता रहता है और पेटू क़िस्म का पिल्ला हमेशा खाने कि खोज में रहता है। ज्ञानी पिल्ला  दार्शनिक की तरह बैठा रहता है, और टुकुर टुकुर देखता रहता है।

इंसान जो आजकल कर रहा है, हर कुत्ता वह काम हज़ारों सालों से कर रहा है, जी हाँ  नेट वर्किंग!  हर पिल्ला पैदा होते ही नेट वर्किंग में लग जाता है, हर किसी से मिलता है, दोस्ती करना चाहता है , खेलता है और  दिल लग जाए तो मनचलो की तरह  साथ भी चला जाता है। अंजान लोगो से भी कुत्तों को कोई परहेज़ नहीं होता।

कुत्तों के दिमाग़ में मनुष्य के शरीर की गंध और उनके पैरों की आहटों का डेटा बेस भी होता है, जिसके सहारे वे किसी भी मनुष्य की उपस्थिति को बिना देखे भी भाँप लेते है।

हर कुत्ता एक मनोवैज्ञानिक होता है।यदि आपने डेल कारनेगी को पढ़ा है, तो आप जान सकते है की कुत्ते वर्षों से वही कर रहे है जो डेल कारनेगी जी ने  दिल जीतने, और दोस्त बनाने के अपने  नुस्ख़ों में बताया है। जैसे एक अच्छा श्रोता बनना, अन्य मनुष्यों  में रुचि लेना , अनजान लोगों से मिलना , अपने बारे में कम से कम करना बात करना,  और सदैव दूसरे के फ़ायदे की सोचना।

कुत्ता होने के बावजूद, एक बात तो मैं भी मानूँगा की  कुछ मामलों में कुत्ते पुलिसवालों जैसे होते है, कमजोर पर अकड़ कर गुर्राते है, उसके पीछे भागते है और ताकतवर के सामने दुम दबा लेते है।

दुम की बात करें  तो अपनी दुम, और अपनी आँखों के सम्मोहन से कुत्ते  किसी को भी अपने वश में कर सकते है, मज़बूत से मज़बूत इंसान भी जब हमारी स्नेह से भरी आँखों और हमारी हौले हौले हिलती पूँछ को देखता है तो हिप्नोटाइज़ हो ही जाता है।

अपनी उपस्थिति मात्र से, कुत्ते  किसी भी घर को ख़ुशियों से भर देते है, घर का हर कोना, घर की हर वस्तु और घर के हर सदस्य से हम जुड़ जाते है और घूम घूम कर सबका ध्यान रखते है। आप  परेशान हो,नाराज़ हो, या उदास हो,  दरवाज़े पर आपके इंतज़ार में बैठा कुत्ता आपको मुस्कुराने के लिए विवश कर देगा और उसका निर्मल स्नेह निश्चित ही आपको अभिभूत कर देगा। एकाकीपन की हम दवा है, विदेशों में हमें अकेले रहने वाले वृद्ध जनो, दृष्टिहिनो, और अपंग जनो के साथ रहने के लिए ट्रेन भी किया जाता है।

जिसने कुत्ता पाला, उससे पूछिए एक पपी से क्या ख़ुशी मिलती है,जब कुत्ता बीमार होता है तो दिल में कैसी  हूक उठती है। और बूढ़ा कुत्ता, और बूढ़ा मालिक जब डगमग डगमग घूमने निकलते है तो मन में स्नेह की कैसी हिलोरे उठती है। कुत्ता जब मरता है, तो आँखें उसके रिक्त हुए स्थान  को देखकर कैसी झर झर झरती है।

यह एक अटल सत्य है की जिस मनुष्य ने एक बार कुत्ता पाल लिया, वह हमेशा कुत्ता पालना चाहेगा।केवल  कुत्ता ही आपको वफ़ादारी और निस्वार्थ प्रेम की कला सिखाता है। आप फ़रमायेंगे की चूँकि मैं  स्वयं एक कुत्ता हूँ , इस लिए अपनी तारीफ़ कर रहा हूँ - कुत्ता पाल कर देखिए फिर कहिए.

डॉ   गिरीश प्रताप

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बहुत सुंदर व्यंग किया है आपने सर 👌👌 आप मुझे फालो करके मेरी कहानी प्रतिउतर और प्यार का प्रतिशोध पर अपनी समीक्षा जरूर दें 🙏🙏

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