छूट गया था वह आंचल,
उन नन्हे हाथों से।
रूठ गया था वह बचपन,
बिन मां के साथो से।
क्या खेल था वह किस्मत का?
या वक्त बुरा हमारा था!
पर बीन मां के बचपन बीते यह ईश्वर को ना गवारा था।
ईश्वर ने खिला दिया वो फूल जो मुरझाया था,
दे दिया फिर वह आंचल जो हो गया पराया था।
लोगों ने सोचा कि क्या अपनी मां बन पाएगी?
या फिर यह भी "सौतेली" ही कहलायेगी?
फिर उस मां ने प्यार बहुत लुटाया था,
उन बच्चों के सर पर फिर 'मां का आंचल' लहराया था।
प्यार के साथ आगे बढ़ते वह सौतेला शब्द छूट गया
फिर बच्चों ने बचपन पाया जो सब ने सोचा कि शायद अब उठ गया।🙏