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मां

मां

Komal Singh (Mere kavita hi mere phcahan)

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सारे जग से प्यारी होती है मां, बचपन में हम सबका सहारा होती है मां, मां की ममता का कोई मोल नहीं होता, मां के जैसा इस दुनिया में कोई और नहीं होता। मां के बिना यह जिंदगी अधूरी है, जैसे स्याही के बिना कलम अधूरी है, मां का रिश्ता सबसे अनमोल होता है, इसलिए मां का ना कोई मोल होता है। मां ही सारे जग के पालनहार है, मां से ही जुड़ा हर चीज और त्यौहार है, मां से ही हर घर की रौनक होती है, क्योंकि मां ही हर घर की पहली जरूरत होती है। मां से ही हर सुबह और शाम होती है, मां ना हो तो ये जिंदगी भी बेजान है, क्योंकि मां के होने से ही घर में जान होती है, मां के रहने से ही हर काम आसान होती है। 

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सारे जग से प्यारी होती है मां, बचपन में हम सबका सहारा होती है मां, मां की ममता का कोई मोल नहीं होता, मां के जैसा इस दुनिया में कोई और नहीं होता। मां के बिना यह जिंदगी अधूरी है, जैसे स्याही के बिना कलम अधूरी है, मां का रिश्ता सबसे अनमोल होता है, इसलिए मां का ना कोई मोल होता है। मां ही सारे जग के पालनहार है, मां से ही जुड़ा हर चीज और त्यौहार है, मां से ही हर घर की रौनक होती है, क्योंकि मां ही हर घर की पहली जरूरत होती है। मां से ही हर सुबह और शाम होती है, मां ना हो तो ये जिंदगी भी बेजान है, क्योंकि मां के होने से ही घर में जान होती है, मां के रहने से ही हर काम आसान होती है।

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