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मन नेह लगा ली है

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“गीतिका”खुलकर नाचो गाओ सइयाँ, मिली खुशाली है अपने मन की तान लगाओ, खिली दिवाली है दीपक दीपक प्यार जताना, लौ बुझे न बातीचाहत का परिवार पुराना, खुली पवाली है॥कहीं कहीं बरसात हो रही, सकरे आँगन मेंहँसकर मिलना जुलना जीवन, कहाँ दलाली है॥होना नहीं निराश आस से, सुंदर अपना घर नीम छ

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