कहां-कहां ना भटका में एक हंसी शाम की खातिर
जैसे भटका था भरत कभी अपने राम की खातिर एक वह ना मिला मुझे बाहर तकदीर मेरी मयखानों ने ठुकरा दिया बस एक जाम की खातिर
19 अगस्त 2022
कहां-कहां ना भटका में एक हंसी शाम की खातिर
जैसे भटका था भरत कभी अपने राम की खातिर एक वह ना मिला मुझे बाहर तकदीर मेरी मयखानों ने ठुकरा दिया बस एक जाम की खातिर