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मेरे ख्याब मेरे गीत

27 जुलाई 2022

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कहते हैं लोग ख्वाब मे मै गीत लिखा करता हूँ
अपने दुश्मन को भी मै तो मीत लिखा करता हूँ

बदलकर जब दिनो के फेर आते हैं
मकड़ी के जाल मे भी शेर आते हैं
तक़दीर तेरे दिये हर पल को मैं रीत लिखा करता हूँ

दोस्तों ने भले ही हमे सेंहरां दिया हो    
तपती हुई रेत और दिन मे अंधेरा दिया हो
ऐसे तपते तेज मौसम को भी मै शीत लिखा करता हूँ

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कहते हैं लोग ख्वाब मे मै गीत लिखा करता हूँ अपने दुश्मन को भी मै तो मीत लिखा करता हूँ बदलकर जब दिनो के फेर आते हैं मकड़ी के जाल मे भी शेर आते हैं तक़दीर तेरे दिये हर पल को मैं रीत लिखा करता हूँ दोस्तों

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कहां-कहां ना भटका में एक हंसी शाम की खातिर                     जैसे भटका था भरत कभी अपने राम की खातिर                     एक वह ना मिला मुझे बाहर तकदीर मेरी                                   मयखानों न

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