डायरी 14/5/2022 कि कुछ खास नहीं लिखने को मेरे पास बस अपनी एक प्यार भरी कविता से आप सबको अपनी और खींच लेना चाहती हूँ।
अगर शब्द के पंख होते
तो आज अपने भी संग होते
जीवन में हर रंग होते अगर
शब्द के भी पंख होते उड़ते
उड़ते चले जाते हम अपनों के
पास दिलकश सारे नजारें होते
ना होता किसी से कोई गिला
शिकवा हर ज़ख्म में मरहम होते
ना कोई रूठता हमसे ना हम
किसी को मनाने आते
अगर मेरे शब्दों के पंख होते
तो हर रिश्तों में मिठास होते
एक डायरी मेरे कमल से ✍️
निक्की तिवारी