दिनांक 25/5/2022
आज क्या लिखु कुछ समझ नहीं आ रहा कुछ शब्द ही नहीं मिल रहें आज मुझे लिखने के लिए पर फिर भी अंदर से लिखने कि बहुत ज्यादा लालसा उतपन्न हो रही है आज तक में एक आम इंसान रही पर अब एक लेखनी बन गई हूँ अपने शब्द को एक नई उड़ान दे रही हूँ अब तक का मेरा लिखने का सफर बहुत अच्छा रहा कभी सोचा नहीं था कि लिखते - लिखते इतना अच्छा लिख पाऊंगी अपने लिखने का सपना पुरा कर पाऊंगी आज मेरे सपने को एक नई पहचान मिली है पहले प्रतिलिपि पर लिखा करती थी अब शब्द पर लिख रही हूँ अब एक हाउसवाइफ से एक लेखनी भी बन गई हूँ अपने अब तक के सफर को एक कविता में कहना चाहती हूँ उम्मीद है कि आप सबको मेरी यह कविता पसंद आये
बनकर एक लेखिका
पुरा करती अपनी आजीविका
जिंदगी जीने का आया मुझे
सही सलीका लिखने का आया
मुझे नया तरीका अपनी नई पहचान
दिखाने का मिला फिर से एक नया
मौका जहाँ सिखा खाना बनाना वहां
सिखा अब लिखने का लेखा जोखा
बनकर एक लेखिका पुरा करती अपनी
आजीविका अब जिंदगी में ना रहा कोई
रंग फीका जब से आया मुझे लिखने का
और पढ़ने का सलीका
एक डायरी मेरी ककम से ✍️
निक्की तिवारी