आज शाम से ही मेरा मन बहुत उदास था तो सोचा क्यों ना कुछ लिखा जाये आज लिखने को मेरे पास कुछ खास नहीं है। जब आज दिन में बाजार जाने के लिए घर से निकली तो बाहर बहुत तेज धूप थी इस वजह से मन किया कि वापस घर लौट जाऊ पर फिर भी बाजार चली गई ऊपरी मन से जैसे ही बाजार पहुंची तो वहां पर एक आदमी ने मेरी तरफ देखकर थोड़ी स्माइल कर दी मैंने भी उसे देखकर स्माइल कर दी वही मेरी जगह और कोई लड़की होती तो वो शायद उसे गलत ही समझ लेती कि कोई मुझे इस तरह देखकर यूं स्माइल क्यों कर रहा है। आजकल के इस माहौल में हम लड़को को हमेशा गलत नजरिये से देखते है और इसी वजह से अगर कोई हमें थोड़ा बहुत देखकर स्माइल भी कर दें तो हम उसे और गलत समझ लेते है कि में तो इसे जानती तक नहीं फिर ये मुझे देखकर ऐसे स्माइल क्यों कर रहा है इसमें गलती उस लड़के कि नहीं है बल्कि हमारी है, हमारे सोच कि है हमने हर लड़के के लिए अपनी सोच ऐसे बना ली है कि यदि कोई हमें देखकर थोड़ा बहुत हँस भी ले तो हम उसे गलत समझ लेते है हम सब अब खुलकर हँसना भी भुल गये है हमें बिना बेवजह हँसना भी अब गलत लगता है.. जरूरी नहीं कि हर लड़का गलत हो और उसकी नजर भी एक स्माइल करने में ना हमारा कुछ जाता है ना और किसी का इसलिए बिना बेवजह भी हँसते रहिये और सबको हँसाते रहिये....