आज फिर मैं अपनी डायरी लिखने बैठ गई इतना सोचने के बाद कि आज में अपनी इस डायरी में क्या नया लिखू। अपनी इस अनुभव कि डायरी में मैंने हमेशा यही अनुभव किया है कि जो इंसान बनावटी रिश्तो के मुखोटे लेकर घूमता है अपने दो रूप लेकर या फिर कहें कि अपने कई रूप लेकर संग चलता है उसका बोलबाला ज्यादा दिनों तक नहीं रहे पाता उसकी असलियत सबके सामने एक ना एक दिन आ ही जाती है।
दूसरा मैंने यह अनुभव किया है कि अगर कोई भी व्यक्ति चाहें वो हमारे रिश्तेदार में हो या हमारा कोई दोस्त ही क्यों ना हो,अगर वह अच्छा नही है और हमने उसके साथ हमेशा बहुत अच्छा व्यवहार किया हो उसके साथ हमेशा अच्छे से पेश आये हो इन सबके बावजूद भी वह कभी भी हमारे साथ अच्छा नही रहा होगा क्योंकि ना हि वह खुद अच्छा है ना हि उसे अच्छे लोगों कि कद्र है जैसा वह खुद है उसे वैसे हि लोग पसंद आते है। अच्छे को अच्छा और बुरे को बुरा यह बात हम सब पर भी लागु होती है। इसलिए मेरा यह मानना है कि अगर आप किसी बुरे व्यक्ति के साथ अच्छा करोगे तो वह आपके साथ तभी बुरा हि करेगा क्योंकि वह खुद इस लायक नही है कि हम उसके साथ अच्छा करे।
एक डायरी मेरी कलम से ✍️