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मित्रता

2 अक्टूबर 2023

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मित्र धर्म इस दुनिया में,
सारे धर्मों से ऊपर है ।
हर बंधन की जंजीरों से,
रिश्ते नातों से ऊपर है ।।

कोई रीति-रिवाज नहीं इसमें,
बस प्रेम ही इसकी भाषा है । 
एक मित्र मित्र का हित चाहे,
बस ये इसकी परिभाषा है ।।

ना शिष्टाचार की उल्झन है,
नहीं शब्दों की मर्यादा है ।
फिर भी इसके भावों में,
अनुराग की दैविक आभा है ।।

तीखी बातें और डाँटें भी,
एक नए उत्साह से भरती हैं ।
बस प्रेम ही प्रेम झलकता है,
मन को आनंदित करती हैं ।।

मित्र वही जो मित्र के हित,
खुद हारने में भी सुख पाए ।
गुण दोष बताकर शुद्ध करे,
और श्रेष्ठ मार्ग पर ले जाए ।।

मित्रता हो श्री कृष्ण के जैसी,
मित्र को जो कष्टों से बचाए ।    
मित्रता हो तो कर्ण के जैसी,
जीत-हार जिसे डिगा ना पाए ।।

मीत हो कवि चंद के जैसा,
संकट में जो साथ निभाए ।
मित्र के लिए भिड़ जाए काल से, 
मौत भी जिसे डरा नहीं पाये ।।

इस घोर कलयुगी दुनिया में,
कहाँ ऐसे लोग मिल पाते हैं । 
वे अति भाग्यशाली हैं जिनको,
सच्चे मीत मिल जाते हैं ।।

छल से भरी इस दुनिया में,
जरा सोच समझकर चलना है ।
जाँच परख कर बनो मित्र,
यदि कपट जाल से बचना है ।।

आज के युग में यारी भी एक,
अति घातक हथियार बना है ।
बचना है उसका मुश्किल जो,
इस धोखे का शिकार बना है ।।

हुई घटित अनेकों घटनाएँ ,
जब यार ही रिपु कराल बना ।
करके यारी में धोखा,
जब यार यार का काल बना ।।

कुछ लोगों ने बार बार ही,
यारी को है किया कलंकित ।
सोचने को जो बाधित कर दे,
ऐसा पाप किया है अंकित ।।

प्यार में छल की घटनाएँ,
हर गाँव नगर मिल जाती हैं ।
जहाँ झूठे इश्क के चंगुल में,
कई मासूमें फँस जाती हैं ।।

जब कोई कांड हो जाता है,
फिर शोर शराबा मचता है ।
ये मानव इतना शातिर है,
कि सच कहने से बचता है ।।

जिसके साथ ये होता है,
वो मलके हाथ रह जाता है ।
सम्मान की रक्षा कैसे हो,
वो सारे जतन लगाता है ।।

फिर ऐसा रास्ता चुनता है,
जो खुद का ही संहार करे ।
अधर्म की पराकाष्ठा हो,
मानवता को शर्मसार करे ।।

ये किसने किया और कैसे हुआ,
हर कोई सवाल उठाता है ।
जो मूलभूत कारण था उसको,
कोई नहीं कह पाता है ।।

ज्यादा कमाने का लालच,
बच्चों को घात पहुँचाता है ।
जो संस्कार मिलने थे उन्हें,
उनसे वंचित कर जाता है ।।

जब घर में नौकर चाकर हैं,
तो चिंता की कोई बात कहाँ ।
जो शानो शौकत कम कर दे,
ये किसी की है औकात कहाँ ।।

नौकर चाकर से पाए हों,
जब अच्छे बुरे संस्कार सभी ।
बच्चों का इसमें दोष है क्या,
नहीं सोचा एक भी बार कभी ।।

एक दूजे के लिए समय नहीं,
बच्चों को क्या मिल पायेगा ।
जब सब कुछ हाथ से निकल गया,
फिर पछताना रह जाएगा ।।

जो सच्चा प्यार ना समझ सकें,
ऐसा बच्चों को प्यार ना दो ।
जिनमें वे स्वयं उलझ जायें,
ऐसे उनको संस्कार ना दो ।।

निज स्वार्थ को पूरा करने में,
बचपन को नहीं कुर्बान करो ।
देश को अच्छा भविष्य मिले,
इसका भी थोड़ा ध्यान करो ।।
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मिट्टी का छोटा सा कण

26 सितम्बर 2023
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मिट्टी का छोटा सा कण हूँ, छोटा सा है जीवन मेरा ।अंधकार से जूझ रहा हूँ, आशा है कि होगा सवेरा ।। शिशुकाल में सोचता था, ये दुनिया कितनी सुंदर है ।हर एक प्राणी प्रेम मग्न है, हर इंसान अति सुंदर है ।।

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भारत माँ की पावन धरती

28 सितम्बर 2023
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भारत माँ की पावन धरती, महापुरुषों की खान रही है ।मानवता और भाईचारा, ये इसकी पहचान रही है ।।वसुधैव कुटुम्बकम ही, भारतवर्ष की रीति है ।पहले वार नहीं करते हैं, ये ही हमारी नीति है ।।श

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मित्रता

2 अक्टूबर 2023
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मित्र धर्म इस दुनिया में,सारे धर्मों से ऊपर है ।हर बंधन की जंजीरों से,रिश्ते नातों से ऊपर है ।।कोई रीति-रिवाज नहीं इसमें,बस प्रेम ही इसकी भाषा है । एक मित्र मित्र का हित चाहे,बस ये इसकी परिभाषा ह

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