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मिट्टी का छोटा सा कण

26 सितम्बर 2023

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मिट्टी का छोटा सा कण हूँ, छोटा सा है जीवन मेरा ।
अंधकार से जूझ रहा हूँ, आशा है कि होगा सवेरा ।। 

शिशुकाल में सोचता था, ये दुनिया कितनी सुंदर है ।
हर एक प्राणी प्रेम मग्न है, हर इंसान अति सुंदर है ।।

देव तुल्य समझा था मैंने, पढ़े लिखे इन इंसानों को ।
माना था आदर्श अपना, शिक्षा के इन विद्वानों को ।।

सोचा था मैं भी पढ़-लिखकर, इन जैसा इंसान बनूंगा ।
चलकर इनके आदर्शों पर, मानवता का मान बनूंगा ।।

लेकिन ये क्या पाया मैने, पढ़-लिखकर जब बड़ा हुआ तो ।
ये कोरे भ्रम निकले सारे, इन लोगों में खड़ा हुआ तो ।।

मेरे मन के सन्देहों ने, मुझको बीच राह में घेरा ।

मिट्टी का छोटा सा कण हूँ, छोटा सा है जीवन मेरा ।
अंधकार से जूझ रहा हूँ, आशा है कि होगा सवेरा ।। 

पढ़े-लिखे इन्ही लोगों में, न्यायनिष्ठा सोते देखी ।
सत्य का अभाव पाया, मानवता भी रोते देखी ।।

छल की पराकाष्ठा देखी, धर्मनिष्ठा खोते देखी ।
अपना स्वार्थ साधने हेतु, घोर हिंसा होते देखी ।।

शिक्षित होकर ये पाना था, चैन मन का खो जाना था ।
पता यदि ये मुझको होता, यहाँ कदापि नहीं आना था ।।

भोलापन मेरी दुनिया का, कहाँ गया मैं सोचता हूँ ।
निश्छल मन की वो सच्चाई, कहाँ गयी मैं खोजता हूँ ।।

यहाँ-वहाँ पर घूम-घूम कर, करता हूँ दुनिया का फेरा ।

मिट्टी का छोटा सा कण हूँ, छोटा सा है जीवन मेरा ।
अंधकार से जूझ रहा हूँ, आशा है कि होगा सवेरा ।। 
मीनू द्विवेदी वैदेही

मीनू द्विवेदी वैदेही

बहुत सुंदर लिखा है आपने 👌 आप मुझे फालो करके मेरी कहानी पर अपनी समीक्षा जरूर दें 🙏

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Kavita Rani

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28 सितम्बर 2023

अवश्य 🙏🏻

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