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मलाल।

12 अगस्त 2024

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एहसास प्रेम का,भी कभी करोगें, या बिन पानी के मछली सा तड़पाओगे। 

यह तुम्हारे इंकार की बाते अच्छी नही,(2)
अच्छा बताओ, 
इंतजार ही करवाओगें, या कभी गले भी लगाओगे।।

सफ़र को पाने को बस चलता ही रहा,(2) बताओ जरा, 
चलाते ही जाओगे, या मंजिल पर भी पहुँचाओगे।।

तुम्हारी खुशी की खातिर खाए जख़्म कई ,(2)
बताओ, 
ये जख़्म यूँ ही देते जाओगे या मलहम भी कभी बन पाओगे।।

जानते नही शायद तुम उसूल, इश्क के,,(2)
कदर तड़प की भी करोगे,  या तड़पाते ही जाओगे।।

मलाल हुआ भी जो अंत मे तो क्या ही हुआ,(2)
खता अपनी को भी समझोगे, या इल्ज़ाम हमीं पर ही लगाओगे।।
=/=
संदीप शर्मा ।।
देहरादून उत्तराखंड। ।
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रचनाएँ
खिलते एहसास।
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प्रिय पाठकगण सुधिजन व मित्रगण, जयश्रीकृष्ण,, आप सब को मेरा सादर नमस्कार। प्रियवर " खिलते एहसास " का एहसास सहसा ही मस्तिष्क मे उभरा।कई बार हम कई विशेष परिस्थितयों के अधीन बंधे महसूस करते है।वो भी तब जब कोई आस या कामना सामने खडी होती है ।और ऐसे मे कुछ पूर्व के प्रयास जो उस इच्छा प्राप्ति को किए गए होते है एकाएक, व अनायास कुछ मीठे व सुन्दर सृजनात्मक रूप मे फलस्वरूप किसी न किसी रूप मे हमारे समक्ष उपस्थित आन खडे होते है। यही सुखद एहसास हमारी पुस्तक "खिलते एहसास " के जनक का कारण बनी।कई लेखको ने अपना शब्द संयोजन भाव विशेष के साथ अपनी सहमति से यूं प्रदान किया कि वो इस "खिलते एहसास " के सहनायक हो गए। और ईश्वर कृपा ऐसी हुई कि यह एक काव्यात्मक प्रस्तुति के रूप मे हमारे समक्ष है।जिसमे पंद्रह लेखक व लेखिकाओ ने अपनी स्वरचित मौलिक रचनाएं सहर्ष देकर इस पुस्तक " खिलते एहसास " को रोचक व काव्यात्मक रूप प्रदान कर एक दृष्टि व राह दी।जो एक कविता संग्रह के रूप मे आपके समक्ष है। एक संपादक होने के नाते आप सब के सामने इस प्रयास " खिलते एहसास " को एक पुस्तक के रूप मे रखने की जो खुशी व आंनद का अनुभव हो रहा है वो स्वय मे ही एक " खिलते एहसास " का सा अनुभव है जो यथार्थ मे परिवर्तित होने जा रहा है। उम्मीद है यह हमारा प्रथम प्रयास आपकी पठनीय रूचि अनुसार खरा उतरेगा।व आप इसे अपने पुस्तकालय की शोभा व शान बनाने मे गौरव महसूस करेगे। पढने वालो के लिए उपहार के रूप मे इसका आदान-प्रदान करेगे।इसी अपेक्षा व स्नेह के आकांक्षी हम सब लेखक भविष्य मे भी आपकी रूचि अनुसार विभिन्न विषयो पर रचनाएं पेश कर आपसे रूबरू होते रहेगे। इसी वायदे के साथ आपके स्नेह प्रेम व आशीर्वाद के आकांक्षी। हम सब लेखक-साहित्यकार मित्र बंधु।। संपादक संदीप शर्मा।। (देहरादून से जयश्रीकृष्ण ।।

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