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मुआवजा

14 जुलाई 2017

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अविनाश की अन्य किताबें

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मुआवजा

14 जुलाई 2017
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कितनी औरतें चाहिए

14 जुलाई 2017
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"क्या तमाशा बना रखी है। कोय ऐसा दिन याद नहीं, समय से घर पहुंची हो। आखिर उसे कौन समझाए। बाप होता तो उससे बातें भी होती, मां से कुछ कहना उचित नहीं। और तो और मां भी होती तो मेरी बात चलती, है तो सासु मां... फिर भी....ई भी साला गजबे है, 'पौधा सींचे हम और फूल तोड़े कोई और'।"

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अतीत एक स्मृति

14 जुलाई 2017
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*अतीत-एक स्मृति* लँगोटिया यार आशीष और अमन बातों में मशगूल हैं। साँझ गाढ़ी होती जा रही है। हमेशा की तरह अमन के हाथ में एक किताब है। कई बार अच्छी बातें भी आदत से आगे बढ़, लत बन जाती हैं। अमन को भी लत पड़ चुकी है। पढ़ना बुरा नहीं है। पढ़ने के साथ सेहत का ध्यान भी ज़रूरी है। समय पर खाना-पीना, नहाना-धोना वगै

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