मध्य प्रदेश- रायपुर के एक गांव
में माननीय नायब तहसीलदार ने एक 90 वर्षीय वृद्धा को जायदाद बंटवारे
से सम्बंधित न्याय घर की ड्योढ़ी पर आकर दिया। यह खबर 15
Feb ,18 दैनिक जागरण में "माँ के दर पर हाजिर अदालत " शीर्षक से छपी।
पढ़ कर सुखद अनुभूति हुई।
एक ओर जहां ऐसे कर्मठ उच्च
अधिकारी बुजुर्ग की सेवा करने को तत्पर है, वही दूसरी ओर जिला-मुजफ्फरनगर,
नयी मंडी के मुख्य पोस्ट ऑफिस में एक 70+ वर्षीय बुजुर्ग महिला
नवम्बर,16 से पेंशन लेने के लिए चक्कर काट रही है
।
सभी पेपर जमा कराने के बाद
भी पुनः पेपर जमा करने के लिए कहा जाता है। दलील यह भी होती है कि आज
सम्बंधित पेंशन पास करने वाला कर्मचारी छुट्टी पर है या आज पोस्ट मास्टर
साहब अवकाश पर है, अब तो काम सोमवार या अगले दिन होगा। कभी स्टाफ
की कमी का रोना रोया जाता है तो कभी कम्प्यूटर खराब का । हर दिन एक नया बहाना।
भला सोचिये स्वयं ही सोचिये कि किसी
बुजुर्ग को तीन माह से पेंशन न मिले तो वह अपना गुजारा कैसे करेगा। ऊपर
से मज़बूरी यह है एक पेंशनर्स इस उम्र के पड़ाव में पेंशन न मिल पाने के काऱण
,सरकारी कर्मचारी की तरह हड़ताल, धरना प्रदर्शन आदि भी नहीं कर सकता।
ईश्वर के भय से वह शिकायत इस
डर से नहीं कर करता कि किसी के रोजगार पर भला आंच क्यों आनी दी जाए ! फिर जल
में रहकर मगरमच्छ से बैर कहाँ तक उचित है ? शिकायत से कहीं ऐसा न हो कि जायें रोजे
बख्शवाने, नमाज पल्ले पड़ जाये वाली बात हो जाये ।
70+ में शरीर ,हाथ पैर से जब
बुजुर्ग असहाय हो जाते है तो इस स्तिथि में पेंशन के लिए किसी
बुजुर्ग महिला को तीन तीन महीने बात-बात पर मुसद्दी लाल की
तरह चक्कर कटाना सरकार की छवि खराब करता है।
सभी सम्बंधित विभाग व् अधिकारियों
से नम्र निवेदन है कि वह U.P में भी कर्मचरियों को M.P. के नायब तहसीलदार
की तरह लीक से हटकर पहल करने का अनुरोध करे। ताकि सरकार की छवि और निखर सके।
सरकार का आदर्श वाक्य सबका साथ सबका विकास सार्थक हो सके।
मुजफ्फरनगर, नयी मंडी मुख्य
पोस्ट ऑफिस में बुजुर्ग पेंशनधारियों की परेशानी को देखते हुए निम्न कदम
अवशय ही उठाये जाने चाहिए –
1- पेंशन पास करने का ऑफिस जो अभी
2/3 फ्लोर पर है, बुजुर्गों की स्तिथि को देखते हुए ग्राउंड फ्लोर
पर शिफ्ट किया जाना चाहिए।
2- यदि कोई स्टाफ छुट्टी पर है या स्टाफ
की कमी है तो उसके स्थान पर दूसरा कर्मचारी नियुक्त किया जाना चाहिए ताकि
किसी भी वृद्ध को बार-बार मुसद्दी लाल के तरह चक्कर पर चक्कर ना काटना
पड़े।
यह भी सराहनीय है कि एक ओर
केंद्र सरकार बजट में सीनियर सिटीजन के लिए सुविधा का ऐलान कर रही है. उनकी फिक्स डिपॉजिट
के ब्याज पर टीडीएस न काटने का प्रावधान बजट में कर रही है वही कुछ कर्मचारी सरकार
की साख को काम न करने के बहाने बना खराब कर रहें है। सबका साथ- सबका विकास
करने वाली सरकार के राज में भला यह कहाँ तक उचित है?
इस अनुभव को ब्लॉग के माष्यम से
शेयर करने का यही उद्देश्य है कि सरकार , मीडिया तक आम आदमी का समय रहते
निदान किया जा सके।