डेंगूं से हुई मौतें व दिल्ली में डेंगूं का दस वर्षों से अधिक का रिकार्ड टूटने के कारण आज आम आदमी दहशत में है। जम कर राजनीती हो रही है। एक ओर नगर निगम , दिल्ली सरकार को , दिल्ली सरकार ,केंद्र सरकार को जिम्मेदार ठहरा रही है,
वही दूसरी ओर आम आदमी भाग्य को जिम्मेदार
मान रहा है। केंद्र शासित प्रदेश दिल्ली में बैठे कुछ लोग राजनीती चमकाने के चक्कर में टकराव, अहम का रास्ता अपना दिल्ली
वासियों के जीवन की कीमत पर राजनीती में छाने को बेताब है।
नेताओं से हाथ जोड़ कर विनती है - प्लीज !
डेंगूं वायरल में जनता की मदद करें। लोगों को डॉक्टरी
सहायता , टेली हेल्प लाइन ,आर्थिक
व नैतिक मदद दें। प्लीज !
डेंगूं वायरल से न हिंदू का भला हो रहा है, न मुश्लिम का। न गरीब का भला हो रहा है, न अमीर का । डेंगूं के सामने सेक्युलर , नॉन
सेक्युलर की बहस बेकार है। डेंगूं में ठण्ड से कांपते 103 ,104 बुखार में पीड़ित,
ग्लूकोज चढ़वाते मरीज, गिरते प्लेटलेट की समस्या से परेशान मरीजों के परिवारों
की दिल्ली सरकार से हाथ जोड़ कर अपील है कि लौकी छीलती ग्रहणी , जलती मोमबत्ती या “हम काम करते रहे, वो परेशान करते रहे”, से किसी का भला नहीं होगा। भला होगा तो काम करने से । कर्मणयेवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन। दिल्ली सरकार 526 करोड़ वार्षिक विज्ञापन बजट व्यय को कम कर पीड़ित परिवारों की मदद कर सकती है। लगभग 7 से 10 दिन तक रहने वाले डेंगूं वायरल पूरी दिल्ली
डरी हुई है। बीमारी ने घर का बजट बिगाड़ दिया है। डेंगूं के सामने आज प्याज , दाल , चीनी के
मुद्दे गौण है। क्या सरकार ध्यान देगी प्लीज !