shabd-logo

मै वोट क्यों दूँ ?

4 फरवरी 2015

508 बार देखा गया 508
इन दिनों विधान सभा चुनाव में दिल्ली चुनाव आयोग, राजनैतिक पार्टियां, स्वयं सेवी संगठन , मीडिया आदि में दिल्ली के मतदाताओं को चुनाव में वोट देने की अपील की जा रही है। पर प्रश्न उठता है- "मै वोट क्यों दूँ ?" यह तो इसी तरह का प्रश्न हुआ जैसे कोई व्यापारी कहे - " मुझे ना ऊधो से लेना ,ना माधो को देना, मै बही खाते ( Books of Accounts) क्यों रखूँ ? जैसा की सब जानते है व्यापार में बही खाते को कई मामलों, कानूनों के अनुसार रखने की आवश्यकता है। जैसे इनकम टैक्स, वेट, एक्साइज, कस्टम-ड्यूटी, सर्विस-टैक्स, कंपनी-ला , बैंकर्स , कोर्ट- डिस्प्यूट , देनदारों, लेनदारों, साझेदारों, शेयर-होलडर्स, रिजर्व बैंक,लाभ-हानि निर्धारण, वस्तु की कीमत निर्धारण, कर निर्धारण आदि-आदि । व्यापार में " पहले लिख पीछे दे, भूल पड़े कागज़ से ले" का सिंद्धांत सदियों से चलता आ रहा है। बही खाते की महत्ता हर वर्ग , व्यापारी समझता है। राजनैतिक पार्टी के लिए भी बही खाते की महता स्पष्ट है। आय-व्यय का हिसाब-किताब व् चंदे आदि का हिसाब-किताब इसी से जाना जाता है । आज मीडिया में सुर्खी बने दो करोड़ का चन्दा देने वाली चारों कंपनियां व् चंदा लेने वाली राजनैतिक पार्टी बही-खाते की महत्ता को नकार नहीं सकती। किसी भी राजनैतिक पार्टी के चंदे के आरोप में घिर जाने पर यही बही-खाते बचाव में मुख्य हथियार होते है। ना खाता ना बही जो मै कहूँ वही सही, नहीं चलता l आइये मूल प्रश्न पर आते है। प्रश्न है- मै वोट क्यों दूँ ? मै, मेरा रिश्तेदार, यार-दोस्त , जान-पहचान वाला जब चुनाव नहीं लड़ रहा तो मै लाइन में लग कर अपना कीमती समय क्यों बर्बाद करूँ ? मुझे किसी की हार-जीत से कोई फर्क नहीं पड़ता । वोट देने से मुझे कोई सरकारी नौकरी, लाभ या पद मिलने से रहा। अपना कमाता हूँ। अपना खाता हूँ। कोई सा...... रोटी नहीं देता ! वोट देने या न देने से मेरी जिंदगी पर क्या फर्क पडेगा ? वोट के चक्कर में क्यों पडूँ। सब चो..... है ! आदि-आदि। उत्तर में कहा जा सकता है कि चुनाव में एक-एक वोट कीमती होता है। चुने जाने वाले नेता व् सरकार हमारी हर रोज की निजी व् सार्वजनिक जिंदगी में गाहे-बगाहे, प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से दखल देती रहती है। कभी महगाई को लेकर तो कभी क्सिी और चीज को लेकर । सरकार की ज़रा सी नीति हमारा जीवन स्तर सुधार या गिरा सक्ती है। हम नौकरी से हाथ धो सकते है। बिजली-पानी,सड़क, शिक्षा, अस्पताल, सुरक्षा, राशन, चाय-चीनी , दाल-चावल , गैस , पेट्रोल-डीजल आदि की उपलब्ध्ता व् कीमत सरकार की नीति पर निर्भर है। सरकार की रोजगार, विकास, विदेश, व्यापार , आर्थिक, उद्योग व् , टैक्स नीतियां आदि सब हमारे रोजमर्रा जीवन पर प्रभाव डालती है। पैदा होने से लेकर मरने तक सरकार का हर कदम हमें प्रभावित करती है। हमारी सुबह की चाय, बच्चों के दूध , बीमार की दवाई से लेकर नास्ते ,खाने , पहनने, घूमने, मनोरंजन आदि पर सरकार की नीति का डायरेक्ट या इनडायरेक्ट रूप से अवशय ही प्रभाव पड़ता है । एक तरह से सरकार हमारे भाग्य का निर्धारण करती है। जब सरकार हमारे जीवन पर इतना प्रभाव डालती है तो फिर क्यों नहीं हम सरकार व् नेता के चुनाव में बढ़-चढ़ कर हिस्सा लेते । अपने वर्तमान , भविष्य , बच्चों बेहतरी व् विकास के लिए रोजगार अधिक से अधिक अवसरों के लिए, सुरक्षा के लिए वोट करना जरूरी है। कोई भी ऐरा गैरा नत्थू खैरा हमारा भाग्य का निर्धारण कैसे कर सकता है ? जीवन पर प्रत्यक्ष प्रभाव डालने वाले अकुशल नेतृत्व में हम सरकार की बागडोर कैसे सौप सकते है? आइये शनिवार 7th Feb.15 को एक स्थिर, मजबूत, बहुमत वाली , गंभीर व् विकास करने वाली , अधिक रोजगार के अवसर देने वाली सरकार का चुनाव करने के लिए हम सबका साथ सबके विकास के लिए अधिक-अधिक संख्या में वोटिंग मशीन का बटन दबाकर अपना वोट दें । सुझाव- चुनाव आयोग को वोटिंग के लिए अधिक से अधिक प्रेरित करने के लिए वोटर को स्याही के निशान के इलावा छोटा सा यूनिक स्मृति चिन्ह भी भेंट करना चाहिए , जो वोटिंग का प्रतिशत बढ़ाने में सहायक होगा । " वोटिंग जरूरी है,बेहतरी के लिए "
1

सच्चा वोटर कौन ?

27 जनवरी 2015
0
0
0

प्रश्न यह नहीं है कि वोटर कौन है वरन सवाल यह है कि करोड़ों वोटरों में सबसे बड़ा व् सच्चा वोटर कौन है? वोटरों की कई श्रेणी है,जैसे अमीर वोटर, गरीब वोटर , हिन्दू वोटर , मुस्लिम वोटर , अल्पसंख्यक वोटर , बहुसंख्यक वोटर , दलित वोटर आदि-आदि । वैसे तो सभी वोटरों के अधिकार व् वोट की शक्ति समान है । इ

2

ईमानदार या अवसरवादी

30 जनवरी 2015
0
1
0

नौकरी पेशा हो, व्यापारी हो, किसान हो , मजदूर हो, विद्यार्थी हो, नेता हो या कोई और, राज्य हो या कोई देश, गला काट प्रतिस्पर्धा के इस युग में सभी कोई उचित मौकों ,अवसरों की तलाश में रहते है,अर्थात सभी अवसरवादी है। चतुर वही होता है जो लोहा गर्म होते ही हथोड़े से चोट करे। जीवन में हर किसी को काम करने का

3

मै वोट क्यों दूँ ?

4 फरवरी 2015
0
1
0

इन दिनों विधान सभा चुनाव में दिल्ली चुनाव आयोग, राजनैतिक पार्टियां, स्वयं सेवी संगठन , मीडिया आदि में दिल्ली के मतदाताओं को चुनाव में वोट देने की अपील की जा रही है। पर प्रश्न उठता है- "मै वोट क्यों दूँ ?" यह तो इसी तरह का प्रश्न हुआ जैसे कोई व्यापारी कहे - " मुझे ना ऊधो से लेना ,ना माधो को देना,

4

दिल्ली सफाई कर्मी हड़ताल पर

6 जून 2015
0
2
2

दिल्ली के चुने हुए प्रतिनिधि इन दिनों राज्य व् केंद्र के अधिकारों की जंग में व्यस्त है । सुना है जंग की इसी कड़ी में दिल्ली सरकार ने पूर्वी दिल्ली नगर निगम को फंड नहीं दिया । परिणाम स्वरूप पूर्वी दिल्ली नगर निगम के सफाई कर्मचारियों को वेतन नहीं मिला। वेतन नहीं मिलने से नाराज कर्मचारी कई दिनों से

5

योग बनाये निरोग

21 जून 2015
0
2
2

21,June,15 भारत सहित विश्व के लगभग 190 से अधिक देशों में योग व् स्वास्थय के प्रति जागरूकता पैदा करने के लिए प्रथम अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस मनाया गया। जो स्वस्थ विश्व के लिए एक सराहनीय पहल है। इसी अवसर पर मै अपना नौ वर्षी योग का अनुभव आप सभी के बीच शेयर करना चाहता हूँ :- हार्ट अटैक के तीन माह उपरा

6

क्या कॉलेज डिग्री धन है?

28 जून 2015
0
4
5

मुंशी प्रेमचंद, कबीर, तुलसी, सूरदास, रहीम, मलिक मोहम्मद जायसी ,ग़ालिब, कालिदास, चाणक्य , अकबर , बीरबल , टोडरमल , जेम्सवाट जैसे चेहरे डिग्री से नहीं, काम से जाने जाते है। अच्छे से अच्छे स्कॉलर, PHD होल्डर इन नामों का लोहा लेते है। वैसे कहते भी है प्रतिभा क्सिी डिग्री की मोहताज नहीं होती। परन्तु अपने म

7

दिल्ली में अति का दुष्प्रभाव

25 जुलाई 2015
0
2
2

अति से आशय अधिकता से है। किसी भी चीज की अधिकता बुरी भी हो सकती है। अर्थशास्त्र में उपयोगिता ह्रास नियम अधिकता पर आधारित है। कबीरदास का दोहा है :- अति का भला न बोलना , अति का भली न चूप। अति का भला न बरसना , अति की भली न धूप । 1975 की इमरजेंसी के विरोधस्वरूप जनता पार्टी को बहुमत मिला । अति के

8

बहुमत में संवैधानिक मर्यादा

2 अगस्त 2015
0
1
2

संविधान स्पेस शटल की तरह है। जिसके अंदर शटल यात्री अंतरिक्ष में काम करते हुए सुरक्षित रहते है। स्पेश शटल से बाहर जीवन की कल्पना करना भी असंभव है। यात्री शटल से बाहर आकर जब यान की मरम्मत जैसे कार्य करता है तो भी वह शटल से जुड़ा रहता है। संविधान एक तपस्वी, चमत्कारी साधू जैसा है जो चूहे को बिल्

9

नारों पर कॉपी राइट

16 अगस्त 2015
0
3
1

ज्ञानी से ज्ञानी लड़े ज्ञान सवाया होय । ज्ञानी से मूरख लड़े तुरत लड़ाई होय।। माया मोह में फंसे कुछ साधू-संन्यासिनों , स्वयंभू माँ की अवतार राधा-कृष्ण के देश में कुछ लोग ऋषी-मुनियों के सदियों पुराने नुस्खों, रचना, प्राकृतिक खोजों पर पेटेंट , कॉपी राइट का एकाधिकार प्राप्त कर ज्ञान को अंधेरी कोटरी में फिर

10

नीबूं मिर्ची घोटाला

23 सितम्बर 2015
0
4
1

तरह-तरह के घोटालों से जनता के पैसे की लूट देख बेबस जनता को यही प्रार्थना याद आती है। राम नाम की लूट है लूटी जाये सो लूट । अंत समय पछतायेगा जब प्राण जायेगें छूट।। ट्रक ,जीप, तोप ,चॉपर ,पनडुब्बी , कोयला, 2 G , जीजाजी , जमीन, NRHM , मनरेगा ,चारा और अब दिल्ली में कथित प्याज घोटाला। सच्चाई क्या है यह

11

डेंगूं वाइरल से तपती दिल्ली

17 अक्टूबर 2015
0
5
0

                                        डेंगूं से हुई मौतें व दिल्ली में डेंगूं का दस वर्षों से अधिक का रिकार्ड टूटने के कारण आज आम आदमी दहशत में है। जम कर राजनीती हो रही है। एक ओर नगर निगम , दिल्ली सरकार को , दिल्ली सरकार ,केंद्र सरकार को जिम्मेदार ठहरा रही है,वही दूसरी ओर आम आदमी भाग्य को जिम्मेदा

12

सस्ती LPG का जिम्मेदार कौन ?

25 अक्टूबर 2015
0
1
0

 लोकतंत्र में जनता उसी पार्टी को वोट देकरसत्ता में बिठाती है जो उसके हितों के बारे में न केवल सोचे वरन उन पर अमल भीकरे। सरल शब्दों में वोटर न कांग्रेसी होता है, नभाजपाई । उसे सपा, बसपा या आम आदमी से कोई सरोकार नहीं । सरोकारहै जो उसके हित में काम करे । वोटर की यही सोच राज्य व्केंद्र में सत्ता को परिव

13

अवार्ड वापसी मंत्रालय

8 नवम्बर 2015
0
6
1

 गिरते हैशाह-सवार ही मैदाने-जंग मे, वोतुफ्ल क्याँ गीरेंगे जो घुटनो के बल चलते हो ।  चुनाव में  हार जीत तो लगीरहती है।  यही उलट फेर लोकतंत्र को मजबूत करता है।आजअवार्ड वापसी पर गरमागरम बहस शुरू हुई। सुझावों कीसुनामी आ गई। हर कोई ऐरागैरा नथ्थू खैरा बहस के हवन में अपनी आहूति डालने को बेताब था। सभी एकमत

14

अवार्ड वापसी मंत्रालय

18 नवम्बर 2015
0
1
0

 गिरते हैशाह-सवार ही मैदाने-जंग मे, वोतुफ्ल क्याँ गीरेंगे जो घुटनो के बल चलते हो ।  चुनाव में  हार जीत तो लगीरहती है।  यही उलट फेर लोकतंत्र को मजबूत करता है।आजअवार्ड वापसी पर गरमागरम बहस शुरू हुई। सुझावों कीसुनामी आ गई। हर कोई ऐरागैरा नथ्थू खैरा बहस के हवन में अपनी आहूति डालने को बेताब था। सभी एकमत

15

“MTNL है तो सहीहै”?

12 दिसम्बर 2015
0
3
0

कुछ दिनों पहले खबर पढ़ी- “ संचार मंत्री श्री रवि शंकर प्रसाद के नेतृत्व में BSNL ने घाटे से उबर कर लाभ कमाया”।  चलो ! BSNL ने सामजिक जिम्मेदारी का निर्वाह करते हुए टेलीकॉम/संचार क्षेत्र में निजी क्षेत्र की कड़ी प्रतिस्पर्धा के बीच लाभ तो कमाया । BSNL की उपलब्धि को ध्यान रख मंत्री म

16

ट्विन्स

12 दिसम्बर 2015
0
2
1

 मई,2015 में जब जुड़वां नातिन हुई तो सुखद आश्चर्य व अपार हर्ष हुआ। डॉक्टर साहिबा ने  बताया कि मां या पति के परिवार में यदि पहले ट्विन्स हुए है तो अगली पीढ़ी में भी ट्विन्स की संभावना रहती है। यह बात सत्य है कि मां के (चाचा-ताऊ) के परिवार दो जोड़ी ट्विन्स पहले से ही है। इस प्रकार से यह तीसरी ट्विन्स की

17

ट्विन्स का नामकरण

25 दिसम्बर 2015
0
4
0

ट्विन्स का नामकरण सामाजिक हालात देखते हुए ,बेटियों की चिंता पैदा होते  ही शुरू हो जाती है। ट्विन्स  अभी कुछ ही दिन के थे । उनके नामकरण कोलेकर माथापच्ची शुरू हो गई। कि क्या नाम रखा जाए। पुराने समय में नाम को लेकर इतना झमेला न था।बच्चे का नामकरण मिठाई के नाम पर जैसे इमरती , जलेबी ,रबड़ी या किसी  फूल-फल

18

एक पोस्ट -गेहूं के खेत से

20 मार्च 2016
0
6
3

 5thMarch,2016 स्थान- बिझौली (रुड़की), जगह-गेहूं के खेत । लहलहाते गेहूं कीहरी-हरी बालियों, बरसीम की हरयाली व खाली हुए गन्ने के खेत की मेंढ पर बैठे हुए न जाने कब मै विचारों में  खो गया, पता ही न चला । सोचने लगा- सनातन( हिन्दू) धर्म में 100 वर्ष की आयु को क्रमशः ब्रह्मचर्य, गृहस्थ, वानप्रस्थ व संन्यास

19

मुज़फ्फरनगर से उपनगरीय रेल सेवा

25 मार्च 2016
0
6
1

राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के अंतर्गत बसे मुज़फ्फरनगर से हजारों की संख्या में यात्री मेरठ, मोदीनगर, गाजियाबाद, दिल्ली, सहारनपुर, रुड़की, हरिद्वार आदि  स्थानों पर आते-जाते है। यह शहररेल मार्ग व सड़क मार्ग से इन स्थानों से भली-भांति जुड़ा है। परन्तु मुजफ्फरनगर बाई-पास बन जाने के कारण अंतर्राज्जीय बसें शहर

20

“ऑड-ईवन” ब्रांड

17 अप्रैल 2016
0
7
4

अम्बेडकर जयन्ती, रामनवमीकी धूम व महावीर जयन्ती की तैयारियों के बीच  देश में दिल्ली-सरकार के "ऑड-ईवन" फॉर्मूले की चर्चा है कि किस तरह “स्टिकरनुमा-डिवाइस” केआविष्कार से "ऑड-ईवन" डेज में दिल्ली के एयर पॉल्यूशन लेवल को कम  कर हवा को स्वच्छ व् सांस लेने योग्य बनाया जा रहा है। इस “स्टिकरनुमा-डिवाइस” पर पू

21

अल्पसंख्यक - अग्रवाल समाज

29 जुलाई 2016
0
4
1

 अग्रवाल समाज का योगदान भारतीय समाज व् देश-दुनिया की अर्थव्यवस्था मेंकिसी से छुपा नहीं। यह समाज भारत के हर राज्यों में बसा है। साथ ही दुनिया कीआर्थिक ताकत वाले देशों जैसे अमेरिका, इंग्लैंड आदि मेंइसकी उपस्तिथि देखी जा सकती है। शिक्षा,चिकित्सा, रोजगार, धार्मिक कार्यों आदिमें इस समाज का योगदान देखते ह

22

मुजफ्फरनगर पोस्ट ऑफिस - पेंशन की टेंशन

15 फरवरी 2018
0
2
2

मध्य प्रदेश- रायपुर के एक गांवमें माननीय नायब तहसीलदार ने एक 90 वर्षीय वृद्धा को जायदाद बंटवारेसे सम्बंधित न्याय घर की ड्योढ़ी पर आकर दिया। यह खबर 15Feb ,18 दैनिक जागरण में "माँ के दर पर हाजिर अदालत " शीर्षक से छपी। पढ़ कर सुखद अनुभूति हुई। एक ओर जहां ऐसे कर्मठ

23

सामान्य गरीब वर्ग का १०% आरक्षण

10 जनवरी 2019
0
1
0

2014से 2019 तक केंद्र की मोदी सरकार जिस प्रकार देश-जन हित में सबका-साथ,सबके-विकास को ध्यान में रखते हुए निर्णय पर निर्णय ले रही है उसे देखते हुए यही लगता है जैसे सरकार का कार्यकाल अभी शुरूही हुआ है ! सरकार के कुछ निर्णयतो वर्षो याद रहेगें - जैसे सर्जिकल स्ट्राइक , सेना हथियारों की खरीद का स

24

ATM से नोट की जगह कागज “नोट-पर्ची”

14 जनवरी 2020
0
1
0

ATM कोलेकर आये दिन कोई न कोई खबर उछलती है Ɩ जैसे-ATM कार्ड क्लोनिंग, कार्ड बदलना, पासवर्ड चुराना , नकदीनिकले बिना अकाउंट डेबिट होना, कम नकदी निकलना, कटे फटे या खराब नोट निकलना , एक आध जालीनोट निकलना , आदि-आदि-आदि ! जितने ATM( मुहं)उतनी बात! सभी का अपना अलग-अलग अनुभव।अपनी ढपली अप

---

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए