इन दिनों विधान सभा चुनाव में दिल्ली चुनाव आयोग, राजनैतिक पार्टियां, स्वयं सेवी संगठन , मीडिया आदि में दिल्ली के मतदाताओं को चुनाव में वोट देने की अपील की जा रही है। पर प्रश्न उठता है- "मै वोट क्यों दूँ ?" यह तो इसी तरह का प्रश्न हुआ जैसे कोई व्यापारी कहे - " मुझे ना ऊधो से लेना ,ना माधो को देना, मै बही खाते ( Books of Accounts) क्यों रखूँ ? जैसा की सब जानते है व्यापार में बही खाते को कई मामलों, कानूनों के अनुसार रखने की आवश्यकता है। जैसे इनकम टैक्स, वेट, एक्साइज, कस्टम-ड्यूटी, सर्विस-टैक्स, कंपनी-ला , बैंकर्स , कोर्ट- डिस्प्यूट , देनदारों, लेनदारों, साझेदारों, शेयर-होलडर्स, रिजर्व बैंक,लाभ-हानि निर्धारण, वस्तु की कीमत निर्धारण, कर निर्धारण आदि-आदि । व्यापार में " पहले लिख पीछे दे, भूल पड़े कागज़ से ले" का सिंद्धांत सदियों से चलता आ रहा है। बही खाते की महत्ता हर वर्ग , व्यापारी समझता है। राजनैतिक पार्टी के लिए भी बही खाते की महता स्पष्ट है। आय-व्यय का हिसाब-किताब व् चंदे आदि का हिसाब-किताब इसी से जाना जाता है । आज मीडिया में सुर्खी बने दो करोड़ का चन्दा देने वाली चारों कंपनियां व् चंदा लेने वाली राजनैतिक पार्टी बही-खाते की महत्ता को नकार नहीं सकती। किसी भी राजनैतिक पार्टी के चंदे के आरोप में घिर जाने पर यही बही-खाते बचाव में मुख्य हथियार होते है। ना खाता ना बही जो मै कहूँ वही सही, नहीं चलता l
आइये मूल प्रश्न पर आते है। प्रश्न है- मै वोट क्यों दूँ ? मै, मेरा रिश्तेदार, यार-दोस्त , जान-पहचान वाला जब चुनाव नहीं लड़ रहा तो मै लाइन में लग कर अपना कीमती समय क्यों बर्बाद करूँ ? मुझे किसी की हार-जीत से कोई फर्क नहीं पड़ता । वोट देने से मुझे कोई सरकारी नौकरी, लाभ या पद मिलने से रहा। अपना कमाता हूँ। अपना खाता हूँ। कोई सा...... रोटी नहीं देता ! वोट देने या न देने से मेरी जिंदगी पर क्या फर्क पडेगा ? वोट के चक्कर में क्यों पडूँ। सब चो..... है ! आदि-आदि।
उत्तर में कहा जा सकता है कि चुनाव में एक-एक वोट कीमती होता है। चुने जाने वाले नेता व् सरकार हमारी हर रोज की निजी व् सार्वजनिक जिंदगी में गाहे-बगाहे, प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से दखल देती रहती है। कभी महगाई को लेकर तो कभी क्सिी और चीज को लेकर । सरकार की ज़रा सी नीति हमारा जीवन स्तर सुधार या गिरा सक्ती है। हम नौकरी से हाथ धो सकते है। बिजली-पानी,सड़क, शिक्षा, अस्पताल, सुरक्षा, राशन, चाय-चीनी , दाल-चावल , गैस , पेट्रोल-डीजल आदि की उपलब्ध्ता व् कीमत सरकार की नीति पर निर्भर है। सरकार की रोजगार, विकास, विदेश, व्यापार , आर्थिक, उद्योग व् , टैक्स नीतियां आदि सब हमारे रोजमर्रा जीवन पर प्रभाव डालती है। पैदा होने से लेकर मरने तक सरकार का हर कदम हमें प्रभावित करती है। हमारी सुबह की चाय, बच्चों के दूध , बीमार की दवाई से लेकर नास्ते ,खाने , पहनने, घूमने, मनोरंजन आदि पर सरकार की नीति का डायरेक्ट या इनडायरेक्ट रूप से अवशय ही प्रभाव पड़ता है । एक तरह से सरकार हमारे भाग्य का निर्धारण करती है।
जब सरकार हमारे जीवन पर इतना प्रभाव डालती है तो फिर क्यों नहीं हम सरकार व् नेता के चुनाव में बढ़-चढ़ कर हिस्सा लेते । अपने वर्तमान , भविष्य , बच्चों बेहतरी व् विकास के लिए रोजगार अधिक से अधिक अवसरों के लिए, सुरक्षा के लिए वोट करना जरूरी है। कोई भी ऐरा गैरा नत्थू खैरा हमारा भाग्य का निर्धारण कैसे कर सकता है ? जीवन पर प्रत्यक्ष प्रभाव डालने वाले अकुशल नेतृत्व में हम सरकार की बागडोर कैसे सौप सकते है?
आइये शनिवार 7th Feb.15 को एक स्थिर, मजबूत, बहुमत वाली , गंभीर व् विकास करने वाली , अधिक रोजगार के अवसर देने वाली सरकार का चुनाव करने के लिए हम सबका साथ सबके विकास के लिए अधिक-अधिक संख्या में वोटिंग मशीन का बटन दबाकर अपना वोट दें ।
सुझाव- चुनाव आयोग को वोटिंग के लिए अधिक से अधिक प्रेरित करने के लिए वोटर को स्याही के निशान के इलावा छोटा सा यूनिक स्मृति चिन्ह भी भेंट करना चाहिए , जो वोटिंग का प्रतिशत बढ़ाने में सहायक होगा ।
" वोटिंग जरूरी है,बेहतरी के लिए "