नौकरी पेशा हो, व्यापारी हो, किसान हो , मजदूर हो, विद्यार्थी हो, नेता हो या कोई और, राज्य हो या कोई देश, गला काट प्रतिस्पर्धा के इस युग में सभी कोई उचित मौकों ,अवसरों की तलाश में रहते है,अर्थात सभी अवसरवादी है। चतुर वही होता है जो लोहा गर्म होते ही हथोड़े से चोट करे। जीवन में हर किसी को काम करने का एक उचित अवसर अथवा मौक़ा जरूर मिलता है, यदि आप उस अवसर का लाभ लेने से चूक गए तो हाथ से गया मौका शायद ही दुबारा मिले। अवसर समय के भागते उस घोड़े के समान है, जिसकी पीठ पर हम सब सवार है। यदि एक बार सरपट भागते समय रूपी घोड़े की पीठ से फिसल गये तो हाथ मलने के सिवाय कोई चारा नहीं। अवसरवादी होना कोई बुराई नहीं बल्कि अवसरवादिता वो गुण है जो आपके जीवन की सफलता की गारंटी जैसा है।
जैसे मोदी व् ओबामा ने दिल्ली में 26 जनवरी के अवसर का लाभ उठाया। दोनों अवसरवादी नेताओं ने इस अवसर को दोनों देशों के व्यापारिक संबंधों को बढ़ाने में इस्तेमाल किया। एक अवसरवादी का जीवन के मूल्यों के प्रति ईमानदार होना सोने पर सुहागा जैसा है।
आइये अवसरवादिता पर कुछ और प्रकाश डाले। उदाहरण के लिए एक ईमानदार व्यापारी को व्यापार बढ़ाने का एक सुनहरा अवसर मिला। परन्तु व्यापारी ने नासमझी व् उदासीनता से इस अवसर को गवां दिया। सुनहरा अवसर खो देने के कारण ईमानदार व्यापारी को व्यापार में घाटा उठाना पड़ा, अब आप ही बताइये ऎसे ईमानदार व्यापारी को आप क्या संज्ञा देंगे ?
दूसरे उदाहरण से थोड़ा और समझने की कोशिश करते है। ईमानदार बेरोजगार युवक को एक अच्छी नौकरी का अवसर मिला , परन्तु अवसर का लाभ लेने से यह कहकर चूक गया कि व्यापार में सब बेईमानी करते है। अब ऐसे ईमानदार बेरोजगार युवक के इस कृत्य को आप किस तरह से लेंगें ?
संक्षेप में कह सकते है कि जीवन में ईमानदारी के साथ-साथ अवसरों के लाभ उठाने वाला अवसरवादी व्यक्ति भी होना जरूरी है । केवल ईमानदार होना ही काफ़ी नहीं।
इन दिनों दिल्ली-विधान सभा चुनाव में पोस्टरों के माध्यम से एक पार्टी दवरा जनता से एक यक्ष प्रश्न पूछा जा रहा है- “दिल्ली का मुख्यमंत्री कैसा हो? ईमानदार या अवसरवादी ? “ पोस्टर के एक ओर ईमानदार व् दूसरी ओर अवसरवादी दिखाया गया है। उपरोक्त आधार पर कह सकते है कि दिल्ली में ईमानदार के साथ-साथ एक अवसरवादी नेता ही मुख्यमंत्री बनना चाहिए। जो मिले प्रत्येक अवसर को जनता की भलाई के लिए उपयोग करे। दिल्ली की पूर्व कांग्रेस सरकार ने कॉमन वेल्थ गेम के अवसर का लाभ उठाकर केंद्र के सहयोग से दिल्ली का खूब विकास किया। जो उस समय की सरकार की ईमानदारी व् अवसर का लाभ उठाने के लिए सरकार की अवसरवादिता का परिचायक है। उन दिनों केंद्र व् दिल्ली सरकार की ट्यूनिंग देखते ही बनती थी। इसी कारण कॉमन वैल्थ के समय यमुनापार जैसे पिछले क्षेत्र का भी खूब विकास हुआ। ईमानदारी व् विकास की नई उम्मीद से ओत -प्रोत जनता आने Dec.2013 में दिल्ली में सरकार को 1825 दिनों के लिए चुना। परन्तु दुर्भाग्य से केवल 49 दिनों में ही लोक सभा के चुनाव में नये अवसरों की तलाश में अवसरवादी सरकार के नेता दिल्ली की जनता को मझधार में छोड़ कर चलते बने । जिससे विकास के कार्य रूक गए। वैसे 2013 में 1825 दिनों के लिए चुनी गई ईमानदार सरकार भी अवसरवादी थी जो केवल 49 दिनों में लोक सभा के चुनाव में एक अच्छे अवसर की तलास में सरकार छोड़ बैठी।
अतः स्पष्ट है दिल्ली में ईमानदार नेता के साथ-साथ अवसर का लाभ उठाने वाले एक अवसरवादी नेता की भी जरूरत है जो दिल्ली के विकास के लिए केंद्र -राज्य के मधुर सम्बन्ध बनाकर जनहित में कार्य करे।
आइये आने वाली 7 फरवरी को एक अवसरवादी व् ईमानदार नेता के पक्ष में अधिक-अधिक संख्या में वोटिंग मशीन का बटन दबाएं। आखिर “हर वोट जरूरी है, दिल्ली की बेहतरी के लिए।“