तरह-तरह के घोटालों से जनता के पैसे की लूट देख बेबस जनता को यही प्रार्थना याद आती है।
राम नाम की लूट है लूटी जाये सो लूट ।
अंत समय पछतायेगा जब प्राण जायेगें छूट।।
ट्रक ,जीप, तोप ,चॉपर ,पनडुब्बी , कोयला, 2 G , जीजाजी , जमीन, NRHM , मनरेगा ,चारा और अब दिल्ली में कथित प्याज घोटाला। सच्चाई क्या है यह तो जांच से पता चलेगा। परन्तु प्रथम दृष्टया तो दाल में कुछ काला लगता है। तरह-तरह के घोटाले देख- सुन घोटालों पर यदि एक ग्रन्थ लिखा जाये तो वो भी कम पड़ जाये। घोटालेबाज गुरू घंटालों को देख महान संत व कवि की वाणी याद आती है –
सब धरती कागज करूँ, लेखनी सब बनराय ।
सात समुंदर की मसि करूँ, गुरुगुण लिखा न जाय ।।
प्याज घोटाले को देख ,आम आदमी का सभी से भरोसा उठ् गया है। यह कैसी विडंबना है कि चुनाव में जाति धर्म की राजनीती करने वाले नेताओं, दूसरों को सैक्युलॅरिटी सर्टिफिकेट से नवाजने वालों की ही सैक्युलॅरिटी पर सवाल खड़े हो रहें है। औरों को ईमानदारी का क्लियरेंस सर्टिफिकेट देने वालों की ईमानदारी भी जनता की नजरों में शक के घेरे में है।
एक बार वोट लेकर पांच वर्ष तक निष्कंटक राज करने वाले नेताओं की कारगुजारियों को लाचार जनता देखने के सिवाय भला क्या कर सकती है ? चुनाव से पहले “ राइट टू रिकॉल” , “राइट टू रिजेक्ट” की दुहाई देने वाले नेताओं में अब जनता के पास जाने की इतनी हिम्मत भी नहीं बची कि वो खाली पडी सीटों पर चुनाव में जा सके । देश के लोकतंत्र में अब तक इतने घोटाले हो चुके है कि अब घोटालों को नाम देना भी एक नये घोटाले को जन्म दे सकता है।
दिल्ली में 49 दिनों की सरकार में जहाँ दाल 65 रूपये किलो थी, वही 190 दिनों से ऊपर हो चुकी सरकार में दाल 100 रूपये से ऊपर बिक रही है। आसमान छूती प्याज व् दाल की कीमत के कारण आम आदमी ने दाल में प्याज का तड़का लगाना बंद किया और अब दाल- प्याज खाना ही बंद कर दिया । घोटालों ने देश की जनता की कमर तोड़ दी है। जब से दिल्ली में प्याज घोटाले का शोर सुना है , लोगों के पैरों तले की जमीन खसक गई है अब तो लोगों को नीबू- मिर्ची की खरीद फरोख्त में भी घोटाले की आशंका नजर आने लगी है। जनता क्या करें लंका में सभी बावन गजके है। देखते है कल क्या हो ,किसे खबर ?