अमन और रिया की शादी को 3 साल होने आए थे। दोनों एक मल्टीनेशनल कंपनी में साथ काम करते थे, वहीं इनकी मुलाकात हुई और एक दूसरे को पसंद करने लगे । माता-पिता से बात की और दोनों विवाह के पवित्र बंधन में बंध गए वो एक दूसरे के साथ बहुत खुश थे प्यार, पैसा, अपनापन, बुजुर्गो का आशीर्वाद सब कुछ था |
रही सही कसर कौशिकी ने पूरी कर दी । कौशिकी के आने से रिया को पूर्णता का अनुभव हुआ, उसे गोद में लेते ही उसे अपनेपन की अनुभूति हुई और क्यों ना हो आखिर वो उसके शरीर का ही एक अभिन्न अंग था जो अलग होते हुए भी अपना था । उसका कोमल स्पर्श उसके ममत्व की संवेदना को जगा देता था उसकी मासूम मुस्कान उसके हृदय को आनंदित कर देती थी, वो सोचने लगती मैं इस पर दुनिया की सारी खुशियाँ न्यौछावर कर दूँगी, इसे दुःख क्या है कभी एहसास नहीं होने दूंगी उसके सुंदर भविष्य की कल्पना करते हुए रिया उसके पालन-पोषण में जुट जाती ।
कौशिकी के जन्म के बाद रिया को जॉब छोड़ना पड़ा पर कौशिकी के 4 साल के होने के बाद उसने फिर से काम करना शुरू किया कौशिकी अब प्ले स्कूल में जाने लगी थी। हाँ पर उसने अब अमन की कंपनी में नहीं दूसरी कंपनी में ज्वॉइन किया वहां सैलरी पैकेज ज्यादा था और अब उन्होंने कौशिकी के दादा-दादी से भी कहा कि वे यहाँ रहेगे तो कौशिकी की देखभाल की हमें चिंता नहीं होगी दादा-दादी के स्नेह के साथ कौशिकी बड़ी होने लगी ।
शुरू में अमन के माता-पिता यहाँ रहने को तैयार नहीं हुए पर पोती के मोहवश वे राजी हो गए। बीच - बीच में वे अपने गांव भी जाते रहते, वहां उनके खेत खलिहान थे जिनकी जिम्मेदारी उन्होंने अपने विश्वसनीय मित्र को सौंप रखी थी।
रिया ने भी काम और घर के बीच सामंजस्य बिठा लिया था । अमन भी छुट्टियों में सबको कहीं ना कहीं घुमाने का प्रोग्राम बना ही लेता था इससे सभी लोग अपनी यंत्रवत दिनचर्या के बीच खुद को ऊर्जावान अनुभव करते । समय की धूरी सरकते सरकते वो दिन भी आया, जब कौशिकी ने अपनी तरुणाई में प्रवेश किया यही वो नाजुक पल होते है जब बचपन अपनी हल्की मुस्कराहट के साथ दामन छोड़ते हुए इंद्रधनुषी सपने लिए हुए तरुणाई को आलिंगन करता हैं।
कौशिकी की 12 वीं सालगिरह धूमधाम से मनायी गयी उसका पसंदीदा ब्लैक फॉरेस्ट केक दादाजी लेकर आए। उसने अपनी खास सहेलियों को ही बुलाया था। म्यूजिक पर कौशिकी और उसकी सहेलियों के पैर थिरकने लगे सब लोग कोल्ड ड्रिंक्स ले चुके थे रिया खाना परोस रही थी ।
रिया ने आवाज दी "आओ बच्चों खाना खा लो फिर अंकल घर छोड़ आयेंगे, सभी ने खाना खाया। चिली पनीर, रायता, खीर बहुत स्वादिष्ट बनी थी, सभी ने व्यंजनों का लुत्फ उठाया पर नताशा चुपचाप थी उसने कहा "कौशिकी, आंटी ने खाना बहुत टेस्टी बनाया है पर मेरे बर्थडे पार्टी की रौनक अलग ही थी" सभी अनायास उसके कथन से हतप्रभ रह गए।
नताशा का न्यू एडमिशन कौशिकी के ही स्कूल में हुआ था उसके पिता की छवि सफल बिज़नेसमैंन की थी नताशा का जन्म तो मुँह में चाँदी की चम्मच लिए हुआ था । इकलौती संतान होने के कारण वो काफी जिद्दी, नखरेबाज़ और मुँहफट हो गई थी । किसी को भी अपने सामने कुछ नहीं समझती थी । वह बात-बात में अपने धनी होने का प्रमाण देती और सबको हेय दृष्टि से देखकर मजाक बनाती। कौशिकी और उसकी सहेलियों को भी वो नीचा दिखाने से बाज़ नहीं आती थी।
कौशिकी को उसकी बातें अंदर तक कचोटती, कई बार वो अपमान का घूट पीकर रह जाती एक दिन तो हद हो गई, कौशिकी के दादाजी उसे स्कूटर से लेने आए तो बोली बुड्ढा तुझे खटारा से लेने आया है नताशा को तो रोज अलग अलग कारें लेने आती थी । इन सब बातों का कौशिकी के कोमल मन पर बुरा असर हो रहा था । पढ़ते-पढ़ते उसका ध्यान नताशा की तरफ चला जाता और एकाग्रता भंग हो जाती । उसकी 6 माही परीक्षा का रिज़ल्ट भी खराब रहा। अब वो नताशा की बराबरी करने के लिए रिया से अनावश्यक चीज़ों की मांग किया करती, रिया भी अनुभव कर रही थी कि कौशिकी की मांगें दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही थी । कौशिकी के बदलते व्यवहार से रिया भी सोचने लगी कि "उसकी परवरिश में क्या कमी रह गई |
अमन जब ऑफिस से आए तो रिया ने कौशिकी की अनावश्यक मांगों के बारे में बताया अमन ने हँसते हुए कहा "अरे बच्चों की तो आदत होती है नकल करने की इसमें चिंता की कोई बात नहीं, बड़ी होगी तो समझदार हो जाएगी ।
अमन ने तो इसे हँसी में टाल दिया पर रिया के लिए ये आनेवाली मुसीबत का संकेत था कोई भी अप्रत्याशित घटना की नींव पहले ही जमना शुरू हो जाती है पर हमें इसका अहसास तभी हो पाता है जब ये मुसीबत मजबूत दीवार बनकर खड़ी हो जाती है ।
रिया कौशिकी की अनावश्यक मांगों से तनाव में थी उसे इन परिस्थितियों में कुछ भी सूझ नही रहा था ,कौशिकी बात समझने के बजाय बहस करने लगती थी रिया ने सोचा आज आफिस से थोड़ा जल्दी घर पहुँचकर कौशिकी से बात करुँगी उसने अमन को फोन लगाया ।
अमन - हॅलौ रिया क्या हुआ?
रिया - आज मुझे लेने मत आइयेगा मैं जल्दी घर जा रही हू ।
अमन - क्या हुआ? तबीयत ठीक है ना?
रिया -" अरे! ऐसा कुछ नही बस आज मन नही लग रहा आफिस में।
अमन - ओके ,टेक केयर
रिया - "ओके बाॅय "
रिया घर पहुँची काॅलबेल बजायी सासू माॅ ने दरवाजा खोला वो अपना टीवी सीरियल देख रही थी और ससुरजी बालकनी में बैठै किताबे पढ़ रहे थे ।
कौशिकी ! कौशिकी! रिया ने आवाज दी
कौशिकी की तो सहेलियाँ आई थी वो मेरे मना करने पर भी उनके साथ चली गई सासू मा ने बताया
रिया - आपको रोकना था कौन सहेलियाँ थी क्या नाम था?
सासू माॅ - अब हमारे बस की नही रही कौशिकी, कुछ सुनना नही चाहती कुछ भी कहो कहती है आप लोगो की सोच मिडिल क्लास वाली ही रहेगी कहकर चुप करा देती है ।
रिया काफी देर तक इंतजार करती रही उसकी खास सहेलियों को भी फोन लगाया पर वो उनके साथ नही थी।घबराकर रिया ने अमन को फोन लगाया और जल्दी आने को कहा उसका ह्दय किसी अनहोनी की आशंका से बैठा जा रहा था
सासू मा समझा रही थी " अरे बेटा तुम बेकार में चिंता कर रही हो कौशिकी आ जाएगी "।
अमन घर आ गए थे 7:30 बज रहा था रिया 5 बजे तक घर आ गई थी और कौशिकी 4:30 बजे अपनी सहेलियों के साथ गयी अभी तक नही लौटी थी।
अमन रिया से बोला " कम से कम उसकी सहेलियो के फोन नंबर तो तुम्हारे पास होने चाहिए "
इतना कहना था तभी एक मोटरसाइकिल आकर रूकी खिड़की से रिया ने देखा कौशिकी मोटरसाइकिल से उतरी उस लड़के को बाॅय किया और अंदर आ गई ।
कौशिकी बेफिक्र अपने कमरे की ओर बढ़ते हुए अमन को देखकर बोली "डैडी आप कब आए ?
मम्मी ! एक पार्टी थी मैं बताना भूल गई मैं खाकर आयी हू मैं सोने जा रही हू बहुत थक गयी हू कहते हुए गुडनाईट बोलकर कमरे में सोने चली गई ।
कौशिकी को ये अहसास तक नही था कि उसके आने से पहले रिया पर क्या बीती है।
अमन ने कहा कल कौशिकी को स्कूल मत भेजना मैं छुट्टी पर रहूंगा और रिया से कहा तुम भी कल छुट्टी ले लो कौशिकी को समझाना जरूरी है।
अगले दिन रिया ने कौशिकी को सुबह जगाया नही 8:30 बजे कौशिकी जागी ।
कौशिकी - 'माॅम माॅम मुझे जगाया क्यों नही मैं लेट हो गई ओ हो ---हो आज बहुत जरूरी था मेरा जाना बुरा मुह बना कर कौशिकी बोली ।
अमन - कौशिकी, आजकल तुम बहुत बदल गई हो काॅम्पीटिशन की भावना ठीक है पर हर बात में बराबरी ठीक नही सबके गुणों को आत्मसात करो ।तुम्हारा सपना डाक्टर बनने का है अपने लक्ष्य पर नजर रखो।
कौशिकी -वो तो अभी भी मेरा सपना है।पर मैं अब बच्ची नही डैडी
रिया - माना कि तुम बड़ी हो गई हो पर इतनी बड़ी भी नही कि बिना बताए चली जाओ तुम्हैं जरूरी और गैरजरूरी जरूरतों को समझना होगा
कौशिकी - ओके माॅम पर आज मुझे अनुष्का की बर्थडे पार्टी में जाना है नताशा अपनी गाड़ी से लेने आएगी प्लीsssज मना मत करिएगा और अपना मोबाइल भी दे दीजिएगा मेरी अच्छी माॅम
अमन - ठीक है बेटा पर ज्यादा देर मत करना
कौशिकी -ओके डैडी
शाम के 5 बजे थे कौशिकी नताशा के साथ निकल पड़ी
नताशा और कौशिकी होटल ताज पहुँची अनुष्का बहुत ही खूबसूरत लग रही थी ।
नताशा - बर्थडे गर्ल तो बहुत खूबसूरत लग रही हैं
अनुष्का - थैंक्स यार! तुम लोग स्नैक्स, कोल्ड ड्रिंक लो थोड़ी देर में केक कटने वाला है
कौशिकी - हा हा क्यों नही हम खाने ही तो आए है कहकर तीनो खिलखिला उठी ।
डीजे पर सबने जमकर डांस किया केक काटा गया खाने-पीने के बाद कौशिकी ने नताशा से कहा अब चलना चाहिए नही तो बहुत देर हो जाएगी ।
नताशा - ओके चलते है । अनुष्का! अब हम चलते है पार्टी यादगार रहेगी बहुत एन्जॉय किया बाॅय ।
दोनो वहा से निकल पड़ी ।
नताशा - (रास्ते में) कौशिकी तुम थोड़ी देर यही रूको बस मैं अभी आई रौनी यही पास में रहता है बस उसकी बुक देनी है कहकर नताशा गाड़ी ड्राइव कर चली गई ।
कौशिकी एक दुकान के पास नताशा का इंतजार करने लगी।
इंतजार करते करते काफी देर हो गई अभी तक नताशा नही आई । 9:00 बज रहा था घना अंधेरा चारो ओर फैल गया था और नताशा का फोन लग ही नही रहा था।दुकान भी बन्द कर दुकानदार चला गया अब तो कौशिकी को चिंता होने लगी।
तभी कुछ बदमाश लड़के कौशिकी को अकेला देख परेशान करने लगे---बेबी कहा जाना है-- हम छोड़ दे, किसी का इंतजार है क्या ? कहते हुए उसी के पास खड़े हो गए सड़क भी सुनसान नजर आ रही थी इक्का-दुक्का लोग ही आते जाते दिखाई दे रहे थे
कौशिकी बार बार फोन ट्राई कर के परेशान हो गई थी नताशा पता नही कहाँ रह गई थी।
दूसरी तरफ ये आवारा लड़के कमेंट करने से बाज नही आ रहे थे। अरे! वो नही आएगा जिसका इंतजार है अब चलो हमारे साथ आ जाओ
तभी सामने से एक कार आती दिखाई दी कौशिकी ने देखा मम्मी -डैडी उसे दिखाई दिए, वो इतनी डरी हुई थी कि उसे विश्वास नही हो पा रहा था कि ये सच है तभी रिया ने आवाज दी बेटा कौशिकी गाड़ी में बैठ जाओं कौशिकी जल्दी से गाड़ी में बैठ गयी ।
रिया - यहाँ कैसे खड़ी थी नताशा कहाँ है?
तभी नताशा का फोन आया कौशिकी मैं लेट हो जाऊंगी एक्चुअली आज मैं डेट पर आयी हू रौनी मेरा बाॅय फ्रेंड है प्लीsssज तुम आॅटो से घर निकल जाना सॉरी यार ।
कौशिकी ने रिया को बताया कि वो यहाँ क्यों खड़ी थी और नताशा अब नही आ पाएगी।
कौशिकी को अब ये अहसास हो चुका था कि अपना कौन हैं और कौन पराया वो ये समझ गयी थी कि मम्मी डैडी से बढ़कर कोई हितैषी नही होता । उसे आज रात एक बड़ा सबक मिला।
आपको कहानी कैसी लगी आप अपने सुझाव मुझे अवश्य भेजिए ।