माना की कलम से वार होगा, नारी को न समझने वालों पर प्रहार होगा। समझो तो मैं एक नारी हूं, नहीं तो सब पर भारी हूं, मैं काली हूं मैं चंडी हूं, इतिहास उठाकर देख लो मैं विजय की झंडी हूं। मुझे कठपुतली ना समझो मैं मिताली हूं तो पी वी सिंधु हूं, मैं शक्ति का स्वरुप हूं , मुझे समझो तो मैं का भी रूप हूं, मेरे सपनों को रोको मत मेरी इच्छाओं को टोको मत मुझे जीने दो मेरे जीवन को रोको मत, मैं आसमान को छूना चाहती हूं , मैं हौसलों में जीना चाहती हूं , मुझे आजादी दो... मैं पंखों के सहारे उड़ना चाहती हूं!!