हिंदी भाषी होने के कारण हिंदी से लगाव स्वाभाविक है। अपने महाविद्यालय जीवन के समय साहित्य को पढ़ने, समझने का अवसर मिला। पहली बार जब रश्मिरथी और कामायनी से सामना हुआ तो मेरे मन मस्तिष्क पर इसका गहरा प्रभाव पड़ा, धीरे-धीरे मन साहित्य में रमता चला गया। फ