जिंदगी एक प्लेटफॉर्म की तरह होती है,
जंहा ट्रेन सुख और दुख की तरह
गुज़रते रहती है....
कुछ सुख दुख स्लो लोकल की तरह रुकती है,
तो कुछ फास्ट लोकल की तरह थोड़े दूर से ही गुजर है..
आज ऑफिस जाने के लिए घर से निकलती तो पता नहीं क्यू मन मे थोड़ी उलझन सी लग रही थी, ऑफिस जाने का मन ही नहीं कर रहा था,
पर फिर भी मैं परेल स्टेशन पहुच गई और ट्रेन से उतरने के बाद दिल किया थोड़ी देर यही बैठा जाये, इसलिए कुछ समय के लिए एक सीट पर जाकर बैठ गई..
प्लेटफॉर्म पर बैठे बैठे बस यू ही ख्याल आया,
के हम भी इस प्लेटफॉर्म की तरह है, जहाँ खुशी और गम की ट्रेन आती है कुछ पल ठहरती है, जैसे ट्रेन से यात्री उतरते हैं और चढ़ते है उसी तरह हमे भी कुछ ना कुछ सबक दे जाते हैं और कुछ ना कुछ हमसे ले भी जाते हैं.