जवाहरलाल नेहरू(प्रथम प्रधान मंत्री)
इलाहाबाद की चुनाव रैली में 12 दिसम्बर, 1951
(सन्दर्भ:- नेहरू मिथक और सत्य)
"शान से अपना काम किया, आजादी की मशाल कभी नहीं बुझेगी, लोकतंत्र की लड़ाई लड़ूंगा, मैं डरने वाला नहीं हूँ अब जबकि एक आरसे बाद मैं यहां इलाहाबाद में आपके सामने खड़ा हूँ, तब भी मैं आपसे यह नहीं कह सकता कि मैं लोकसभा का चुनाव लड़ रहा हूं, इसलिए मुझे बोट दीजिए, मैं यह भी नहीं कह सकता कि अगर आप मुझे बोट नहीं देंगे, तो मैं आपको छोड़कर चला जाऊंगा आपको वोट देना है तो दीजिए, नहीं देना है तो मत दीजिए, मुझे कोई एतराज नहीं है, मैं यहां वोटों की भीख मांगने नहीं आया हूँ बराए मेहरबानी यह बात अच्छी तरह समझ लीजिए, चाहे वह इलाहाबाद हो, चाहे कोई दूसरी जगह, मैं कहीं भी न तो अपना बचाव करूंगा और न वोट देने की अपील करूंगा, यह बिल्कुल अजीब बात है कि जब मैंने अपना पूरा जीवन जनता की सेवा में बिता दिया है. और काफ़ी अच्छा काम किया है और कुछ गलतियां भी की हैं, तो अब जब मेरी जिंदगी के चंद साल बाकी हैं तो मैं झूठे वादे क्यों करू?
सालों पहले हमने अपने हाथों में आजादी की मशाल उठाई थी. हमने पूरी शान से अपना काम किया. इस मशाल को उठाने में मेरे हाथ कभी नहीं कापे और हमने इस मशाल को ऊंचा रखा जब मेरा बक्त पूरा हो जाएगा हो तो मैं नई नस्ल को यह मशाल थमा दूंगा, जो इसे आगे ले जाएगी. आजादी की मशाल कभी भी बुझेगी नहीं."
राहुल गांधी
संसद की सदस्यता जाने के बाद
प्रेस कांफ्रेंस 25 मार्च 2023
मैं संसद का सदस्य रहूं या नहीं, या फिर मुझे जेल में ही क्यों न डाल दिया जाए, लोकतंत्र की लड़ाई लड़ता रहूंगा मैं डरने वाला नहीं हूं और माफ़ी नहीं माँगूँगा, क्योंकि मेरा नाम 'सावरकर, नहीं गांधी है और गांधी माफी नहीं मांगते।
मैं सवाल पूछता रहूंगा मुझे इन लोगों से कोई डर नहीं लगता, यह सोचते हैं कि अयोग्य ठहराकर, डराकर, जेल में डालकर आवाज बंद करा सकते हैं, तो वह नहीं होगा, मेरा ऐसा इतिहास नहीं।
मैं हिंदुस्तान के लोकतंत्र के लिए लड़ रहा हूं, आगे भी लड़ता रहूंगा, मैं किसी चीज से नहीं डरता हूं, यह सच्चाई है. मुझे सदस्यता मिले या नहीं मिले. मुझे स्थायी रूप से अयोग्य ठहरा दें, मुझे फर्क नहीं पड़ता कि संसद के अंदर रहूं या नहीं रहूं, मैं सच्चाई को देखता हूं, सच्चाई बोलता हूं. यह बात मेरे खून में है, यह मेरी तपस्या है, उसको मैं करता जाऊंगा, चाहे मुझे अयोग्य ठहराएं, मारे पीटें, जेल में डालें, मुझे कोई फर्क नहीं पढ़ता, मुझे अपनी तपस्या करनी है।