shabd-logo

निष्काम कर्म का महत्व

10 जनवरी 2023

27 बार देखा गया 27
यह गीता का निष्काम कर्म ही है जो आज के मानव को उसकी समस्याओं से ऊपर उठकर कर्तव्य के लिए कर्तव्य करने की प्रेरणा देता है। आधुनिक पाश्चात्य नैतिक दर्शन में प्रसिद्ध वैज्ञानिक दार्शनिक कांट ने भी गीता के समान निष्काम कर्म का विवेचन किया है ,उनका सिद्धांत ,,"कर्तव्य के लिए कर्तव्य" के नाम से जाना जाता है। गीता निष्काम कर्म को मानव जीवन का आदर्श बनाने का निर्देश देती है। यह निष्काम कर्म हमें स्वार्थ में भावनाओं से ऊपर उठकर सही अर्थों में मानव बनने की प्रेरणा देता है ।इसी ने मानव को महामानव बना दिया है। याद कीजिए महर्षि दधीचि को, जिन्होंने अपने शरीर को स्वयं ही अस्त्र बनाने के लिए देवताओं को दान कर दिया एवं अमर हो गए। राजा शिवि ने कबूतर की रक्षार्थ अपने शरीर को काटने से भी गुरेज नहीं किया। महात्मा बुद्ध ने लोगों के दुख दूर करने के लिए बुद्धत्व का प्रचार सभी दिशाओं में किया। इतिहास ऐसे सहस्त्रों उदाहरणों से भरा हुआ है जहां निष्काम कर्म से मानव समाज की आध्यात्मिक उन्नति हुई। महात्मा गांधी ,अरविंद विवेकानंद ,स्वामी दयानंद जैसे महापुरुषों की एक लंबी श्रृंखला है जिन्होंने देश ,समाज व लोकहित के लिए कर्म किया और अपना जीवन होम कर दिया। आज फिर मदर टेरेसा के निस्वार्थ प्रेम व समर्पण को कौन नहीं जानता? दुनिया की अनेक समस्याओं का हल इसी निष्काम कर्म में छुपा हुआ है। आज भी अनगिनत लोग नीव की ईट होकर इस समाज व देश को आगे बढ़ाने के लिए प्रयत्नशील हैं ।एक वैज्ञानिक वर्षों तक कठिन मेहनत करके ही कोई नया अनुसंधान कर पाता है। एक अध्यापक अपने अध्यापन से ही एक नई पीढ़ी तैयार कर पाता है ।यदि यह निष्काम कर्म हमारे जीवन में उतर जाए तो मनुष्य की सारी समस्याओं का समाधान स्वत: ही हो जाएगा ।यह धरा फिर से स्वर्ग बन जाएगी । ऊंच-नीच ,छोटा, बड़ा ,सत्य ,असत्य मेरा, पराया, गरीब, अमीर जैसे शब्द स्वयं ही बौने हो जाएंगे। यही गीता के निष्काम कर्म की शाश्वत गाथा है जो धरती को गुंजायमान कर लोगों के दिलों से नफरत, राग, द्वेष ,क्रोध, हिंसा जैसी बुराइयों को दूर करके उन्हें निस्वार्थ, निष्काम प्रेम से सारोबार कर देगी।
                          (©  ज्योति) 
 Dr.Jyoti Maheshwari

Dr.Jyoti Maheshwari

गीता का निस्वार्थ, निष्काम कर्म लोकहित व परोपकार से भरा हुआ है।

10 जनवरी 2023

9
रचनाएँ
आज के युग में गीता दर्शन की प्रासंगिकता
0.0
यह किताब गीता दर्शन पर आधारित है। आज के युग में गीता दर्शन की प्रासंगिकता एक ऐसा विषय है जो हमें सोचने पर मजबूर करता है की गीता केबल महाभारत के युद्ध क्षेत्र का वर्णन नहीं है, अर्जुन और कृष्ण के मध्य संवाद नहीं है बल्कि युद्ध क्षेत्र में अर्जुन के मन में जो भी प्रश्न उठ रहे हैं उनका उत्तर है। यह हमारे मन क्षेत्र मे उठने वाले विचारों द्वंद्वों का समाधान है। यह वह अमृतवाणी है, जिसे सुनने से, जिसे पढ़ने से मनुष्य को शांति, उत्साह, ऊर्जा मिलती है।
1

आज के युग में गीता की प्रासंगिकता

28 दिसम्बर 2022
1
0
0

मैं भगवत गीता से ऐसी शक्ति पाता हूं जो मुझे पर्वत पर उपदेश देने पर भी नहीं मिलती। जब निराशा मेरे सम्मुख उपस्थित होती है और नितांत एकाकी मैं प्रकाश की एक किरण भी नहीं देख पाता तब मैं भगवत गीता की और लौ

2

आधुनिक युग में निष्काम कर्म की अवधारणा

4 जनवरी 2023
0
0
1

निष्काम कर्म के अनुसार भगवान श्री कृष्ण अर्जुन से कहते हैं हे अर्जुन !तू कर्म कर !फल की इच्छा मत कर। कर्तव्य के लिए कर्म कर। आज के युग में भी गीता के निष्काम कर्म योग की उपयोगिता निर्विवाद

3

गीता में स्वधर्म की अवधारणा

6 जनवरी 2023
0
0
1

गीता में स्वधर्म के महत्व को स्वीकार कर इसे प्रतिपादित किया गया है। गीता में श्री कृष्ण जी ने कहा है की चार वर्णों ब्राह्मण क्षत्रिय ,वैश्य ,शूद्र की रचना गुण एवं कर्म के आधार पर मेरे द्वारा की गई है।

4

गीता और धार्मिक सहिष्णुता की भावना

6 जनवरी 2023
0
0
0

गीता द्वारा मानव समाज को दी गई धार्मिक सहिष्णुता की शिक्षा आज भी अनुकरणीय है। इसकी शिक्षा सार्वभौम है ,धर्म जाति ,संप्रदाय, देश काल ,परिस्थिति की सीमाओं से परे है। गीता को सभी उपासना पद्धतियों स

5

गीता में कर्म ,ज्ञान एवं भक्ति का समन्वय

7 जनवरी 2023
1
0
1

गीता का अमर संदेश सार्वकालिक और सार्वदेशिक है। इसमें कर्म ,ज्ञान और भक्ति का समन्वय किया गया है। भारतीय विचारधारा के निर्माण में इसकी महती भूमिका है। मनुष्य के हृदय में ज्ञान ,भक्ति ,कर्म का समन

6

गीता का उदभव

7 जनवरी 2023
0
0
0

भगवत गीता भारतीय विचारधारा का एक अत्यंत लोकप्रिय दार्शनिक, धार्मिक एवं नैतिक काव्य है ।यह महाभारत के भीष्म पर्व का एक भाग है ।गीता को सभी उपनिषदों का निचोड़ कहा जाता है ।गीता के इस ग्रंथ का उद्भव कुरु

7

गीता में कर्म योग का अर्थ

8 जनवरी 2023
0
0
1

कर्म योग गीता का प्रतिपाद्य प्रमुख विषय है ,इसमें निष्काम कर्म योग अर्थ पर हम विचार करेंगे। निष्काम शब्द की उत्पत्ति संस्कृत के नि:+ काम शब्द से हुई है जिसका शाब्दिक अर्थ है पर

8

निष्काम कर्म योग में प्रवृत्ति एवं निवृत्ति

9 जनवरी 2023
0
0
0

निष्काम कर्म योग में प्रवृत्ति एवं निवृत्ति के दो परस्पर विरोधी आदर्शों का समन्वय होता है। प्रवृत्ति का आदर्श कर्म का आदर्श है इस से प्रेरित व्यक्ति समाज में रहते हुए सुख प्राप्ति के लिए कर्म कर

9

निष्काम कर्म का महत्व

10 जनवरी 2023
0
0
1

यह गीता का निष्काम कर्म ही है जो आज के मानव को उसकी समस्याओं से ऊपर उठकर कर्तव्य के लिए कर्तव्य करने की प्रेरणा देता है। आधुनिक पाश्चात्य नैतिक दर्शन में प्रसिद्ध वैज्ञानिक दार्शनिक कांट ने भी गीता के

---

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए