गीता का अमर संदेश सार्वकालिक और सार्वदेशिक है। इसमें कर्म ,ज्ञान और भक्ति का समन्वय किया गया है। भारतीय विचारधारा के निर्माण में इसकी महती भूमिका है। मनुष्य के हृदय में ज्ञान ,भक्ति ,कर्म का समन्वय हो जाता है तो उसके कर्म दैवीय हो जाते हैं। वह दैवीय संपदाओं का स्वामी व मानव से महामानव बन जाता है। उस का सर्वांगीण विकास होता है।
गीता के निष्काम कर्म योग में ज्ञान ,कर्म ,भक्ति का समन्वय है जिससे मानव जीवन के अंतिम लक्ष्य को प्राप्त कर सामाजिक लोगों के लिए अनुकरणीय बन जाता है। ऐसे मानव रत्न जिस धरा पर हो, जिस देश में हो ,उसको बुलंदियों तक पहुंचने से कोई नहीं रोक सकता। आज हम मनोविज्ञान के आधार पर मानव मन को जानने की बात करते हैं। गीता में मनोविज्ञान के आधार पर स्वधर्म ,निष्काम कर्म ,भक्ति ,ज्ञान व कर्मयोग का समन्वय किया है, वह अपने में बेजोड़ है। जेडब्ल्यू हायर ने लिखा है कि यह हमें जीवन का अर्थ समझाने के लिए नहीं बल्कि अपना कर्तव्य खोजने के लिए और कर्म करने के लिए अथवा कर्म की सहायता से जीवन की पहेली पर अधिकार करने के लिए कहती है। कितना गूढ़ अर्थ छिपा है इसमें? गीता हमें कर्मों को कामना रहित होकर करना नहीं सिखाती ,बल्कि सर्व धर्म को छोड़कर दैवी जीवन का अनुसरण करना ,एकमात्र परम में शरण लेना सिखाती है, और एक बुद्ध, एक रामकृष्ण
और एक विवेकानंद का दैवी कर्म उसके उपदेश से पूर्ण सामंजस्य में है। गीता ने समाज में अपनी अमृतवाणी से नई जागृति फैलाई। भक्तियोग , कर्मयोग, ज्ञान योग की व्याख्या की, उसका समन्वय किया। गीता प्रत्येक व्यक्ति से अपने कर्तव्य कर्मों के ,सामाजिक कर्तव्यों के ,स्वधर्म के ,संपादन का आग्रह करती है ।वह कहती है हमें राग ,द्वेष, काम, क्रोध अस्मिता ,अहंकार आदि निम्न कोटि के मनोवेगो से परिचालित होकर कर्म नहीं करना चाहिए ।यह स्थिति आत्म संयम और ल इंद्रिय निग्रह (ज्ञान) से आती है ।गीता फलाकांक्षा का परित्याग करके कर्म को ईश्वर को समर्पित करने का आग्रह करती है, उसके अनुसार प्राणी अपने कर्मों से उसकी आराधना करके सिद्धि प्राप्त करते हैं ,इससे उसमें भक्ति का तत्व आ जाता है।
आज के इस युग में जहां मानव मानव का शत्रु बना हुआ है, लोग परेशानियों से घिरे हुए हैं। भौतिकता की , चाह ने उनका जीवन अंधकारमय बना दिया है ।उनकी मनचेतना इतना नीचे गिर चुकी है ।आदमी का मानसिक पतन हो चुका है ।वह मानसिक व्याधियों से त्रस्त है। ऐसे में गीता की अमृतवाणी, गीता का दर्शन उनके जीवन के अंधकार में एक नई रोशनी जगाता है।
(©ज्योति)