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मिल सकता है ज़मीन में गड़ा धन

7 मार्च 2016

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ज़मीन में गड़ा धन मिलने की बातें किसी क़िस्से-कहानी से कम नहीं लगते। लेकिन इन विषयों पर बातें करना, सुनना, जानना बहुत रोमांचकारी होता है। अब सवाल ये कि कौन बताए गड़े धन का पता? इस खोज के लिए विज्ञान के अपने तरीके हैं जबकि ज्योतिष, ध्यान जैसे गूढ़ विज्ञान के अलग तरीक़े और मान्यताएं। हालाँकि, ऐसी कल्पनाओं को हकीकत के पंख लगाने में रावण और वाराह संहिता की बहुत बड़ी भूमिका रही है।


रावण और वाराह संहिता के अनुसार अगर आपके भाग्य में गड़ा धन मिलना लिखा है तो आपको स्वप्न आएगा। इस स्वप्न में जिस स्थान पर धन गड़ा हुआ है वहां सफेद नाग दिखाई देगा। ऐसी संभावना होती है कि आपके पितरों ने सफेद नाग के रुप में दर्शन देकर उस जगह का पता बताया है जहां उन्होने आपके लिए धन गाड़ कर रखा होगा। ये सफेद नाग रुपी पितर उस खजाने की रक्षा करते रहते हैं।

अगर आपको सपने में कमल का फूल दिखे या आप कमल के पत्ते पर स्वयं को भोजन करते देखें तो ये भी इस बात का संकेत है कि आपको भविष्य में कहीं से गड़ा धन मिल सकता है। सपने में अगर आपको पुराना मंदिर, आभूषण से भरा बक्सा, शंख और कलश जैसी चीजें दिखें तब भी समझें कि आपके भाग्य में अचानक कहीं से पैतृक संपत्ति मिलने के योग हैं।

आज के समय में मेटल डिटेक्टर होते हैं, लेकिन प्राचीन समय में ऐसे रहस्यों का पता लगाने के लिए तंत्र शास्त्र का सहारा लिया जाता था। तंत्र शास्त्र में गड़ा धन होने के संकेत कुछ इस तरह दिये गये हैं→  


जिस ज़मीन में कई पेड़ हों और एक ही पेड़ पर ज़्यादा पक्षी बैठते हों  वहां गड़ा धन होने की संभावना होती है।

जहां बारिश होने पर पानी वाली जगह पर घास न उगती हो लेकिन गर्मी के मौसम में धूप में भी घास उगती हो वहां ज़मीन के अंदर संपत्ति होने की संभावना होती है।

जहां सांप, नेवले या गिरगट निकलते हों या उनके बिल हों वहां भी गड़ा धन हो सकता है।

जहां पौधे प्राकृतिक कद से ऊंचे हों वहां भी गड़ी संपत्ति मिलने की संभावना रहती है।


छोटे-मोटे सपने और गड़े धन के संकेत मिलने की घटनाओं से उत्तर प्रदेश में उन्नाव ज़िले के डौंडिया खेड़ा गाँव की घटना याद आती है। बड़े-बड़े संत महात्माओं की बातें भी सुनी गईं, पुरातत्व विभाग ने भी अपना काम किया लेकिन खज़ाने का कहीं कोई पता नहीं मिला। वैसे, भारत देश की माटी ही सच्चा सोना है।  इसे गहराई तक खोदने की आवश्यकता नहीं बल्कि परिश्रम एवं नेक-नीयती से पुष्पित और पल्लवित करने की आवश्यकता है। भारत में धरती के ऊपर जितना सोना है, बस इतना ही देश के विकास के लिए पर्याप्त है। सवाल ये है कि ये खज़ाना किस विधि से ज़रूरतमंद लोगों के काम आए ?


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