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नकारात्मक सोच से बचें

30 नवम्बर 2015

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सफलता की राह में नकारात्मक सोच किसी रोग से कम नहीं I किसी विद्यार्थी को कोई विषय समझ नहीं आता ये एक सामान्य बात है लेकिन ये बात मन में बैठ जाना कि वह विषय तमाम कोशिशों के बाद भी समझ नहीं आएगा, ऐसी धारणा नकारात्मक कहलाएगी I ऐसी सोच व्यक्ति को इतना निराश कर देती है कि सफलता कोसों दूर नज़र आती है I नकारात्मक विचार मन में जितने अधिक होंगे अवसाद उतनी ही तेजी से हम पर हावी होगा । अगर आप भी अक्सर ऐसे नकारात्मक भावों से घिर जाते हैं तो अपने  भीतर छोटे-छोटे बदलाव  करें और खुद को सकारात्मक दिशा में ले जाएँ।

विचारकों ने समस्याओं को महज़ एक दौर माना है I जीवन में कितनी ही बार ये दौर आते हैं और चले भी जाते हैं I कोई समस्या बड़ी हो सकती है लेकिन आपके वजूद से बड़ी कभी नहीं हो सकती I विचार  करें तो आप पाएंगे कि बड़ी से बड़ी खुशियों के दौर गुज़र जाते हैं तो फिर मुश्किलों का दौर क्यों टिका रह जाएगा ?

असफल होने पर अलग-अलग लोग आपकी भिन्न-भिन्न कमियां गिनाएंगे, लेकिन ऐसे समय में भी अपने व्यक्तित्व की अच्छाइयों की उपेक्षा नहीं करनी चाहिए I हमारे काम में कमी कहाँ रह गई, ये हम ही बेहतर जानते हैं और इसीलिये इसका हल भी हमारे ही पास होता है I बहुत सी कमियां हो सकती हैं लेकिन उनमें भी आपकी कोई एक अच्छाई फिर से उठकर खड़े होने का आधार बन सकती है I

अगर किसी समस्या का हल है तो चिन्ता किस बात की, और यदि हल ही नहीं है तो भी चिन्ता करके क्या करेंगे I ऐसे में सिर्फ चिन्तन ही क्यों न कर लिया जाए कि करना क्या है I

महान व्यक्तित्वों की जीवनी पढ़ना हमारे भीतर सकारात्मक विचारों का संचार करता है I योग और हल्का-फुल्का व्यायाम भी हमारे नकारात्मक विचारों को बहुत कम कर देता है I वो लोग जो हमें अच्छी तरह से जानते हैं और जो हमें सफल देखना चाहते हैं, उनसे मिलना, बातें करना हमारी सोच को सकारात्मक बनाता है I

नकारात्मक विचार रखना भी बस एक आदत है, ज़रा सी मुश्किल में घबरा जाना, निराश हो जाना, और ये मान लेना कि नहीं, अब कुछ नहीं हो सकता I वरना परीक्षाएँ तो हमारे जीवन की खुशबू हैं I इन्हीं में तो रोमांच है I कितने शौक़ से आप झूला झूलते हैं, सिर्फ रोमांच के लिए ही ना ! सफलता-असफलता भी जीवन का झूला है, कभी ऊपर जाएगा और कभी नीचे आएगा और जीवन की इसी गति में ही आनन्द है I ठहरे झूले में तो किसी को हँसते-खिलखिलाते नहीं देखा I

   
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हंसी-मुस्कान

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कृपया ध्यान दें...

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तेरे जाने के बाद तेरी याद आयी...नादिरा

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यूँ तो अक्सर किसी के जाने के बाद ही उसकी याद आती है लेकिन दुनिया में कितने ही सितारे हमारे दिलों की ज़मीं’ पर हरदम जगमगाते रहते हैं । हिन्दी फ़िल्मों की ख़ूबसूरत और मशहूर अभिनेत्रियों में से एक ऐसी ही अदाकारा थीं नादिरा । 5 फ़रवरी 1932 को इज़राइल में एक यहूदी परिवार में जन्मी थीं फ़रहत एज़ेकेल नादिरा जिन्

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कितने ही गीत हमारे मनमीत होते हैं ! कितनी ही बार हमारे मन में एक नयी उमंग, एक नयी तरंग जगाते हैं, जैसे थाम के उंगली हौले से हमें लिए जाते हैं, न जाने कौन से उजालों की ओर ! एक ऐसा ही गीत है फिल्म 'गाइड' का जिसके बोल हैं....'आज फिर जीने की तमन्ना है' I ऐसे नग्मात सुनकर ऐसा लगता है मानो ये उम्र और समय

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आदमी को आदमी बनाने के लिए जिंदगी में प्यार की कहानी चाहिएऔर कहने के लिए कहानी प्यार कीस्याही नहीं, आँखों वाला पानी चाहिए।जो भी कुछ लुटा रहे हो तुम यहाँवो ही बस तुम्हारे साथ जाएगा, जो छुपाके रखा है तिजोरी मेंवो तो धन न कोई काम आएगा, सोने का ये रंग छूट जाना हैहर किसी का संग छूट जाना हैआखिरी सफर के इंत

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बंद आँखों से वो मंज़र देखूँ

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बंद आँखों से वो मंज़र देखूँरेग-ए-सहरा को समंदर देखूँक्या गुज़रती है मेरे बाद उस परआज मैं उस से बिछड़ कर देखूँशहर का शहर हुआ पत्थर कामैं ने चाहा था के मुड़ कर देखूँख़ौफ़ तंहाई घुटन सन्नाटाक्या नहीं मुझ में जो बाहर देखूँहै हर इक शख़्स का दिल पत्थर कामैं जिधर जाऊँ ये पत्थर देखूँकुछ तो अंदाज़-ए-तूफ़ाँ ह

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स्तंभेश्वर मन्दिर

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हिंदू धर्म में तैतीस करोड़ देवी-देवताओं का उल्लेख है, जिनमें देवाधिदेव महादेव का विशिष्ट स्थान है। देश के अनेकानेक भव्य एवं अनोखे मंदिरों में से एक है गुजरात में स्थित स्तंभेश्वर मंदिर। यूं तो भारत में भगवान शिव के हजारों मंदिर हैं। लेकिन, गुजरात में वडोदरा से 85 किमी दूर स्थित जंबूसर तहसील के कावी-

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शिव सहस्रनामावलि

27 फरवरी 2016
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आदि एवं अंत से रहित, सर्वेश्वर शिव देवाधिदेव हैं। मानव मात्र ही नहीं वरन देव, दानव, पशु-पक्षी, यहाँ तक की ईश्वर भी संकट के समय में शिव की ही शरण ग्रहण करते हैं। स्वयं पालनकर्ता श्री नारायण विष्णु भगवान ने शिव जी की सहस्रनामों से स्तुति कर उन्हे प्रसन्न किया था तथा अपना सुदर्शन चक्र पुन: प्राप्त किया

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बृहदेश्वर मन्दिर

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बृहदेश्वर  मन्दिर तमिलनाडु के तंजौर में स्थित शिव मन्दिर है जो 11वीं सदी के आरम्भ में बनावाया गया था। इसे तमिल भाषा में बृहदीश्वर के नाम से जाना जाता है। इसका निर्माण १००३-१०१० ई. के बीच चोल शासक राजाराज चोल ने करवाया था। उनके नाम पर इसे राजराजेश्वर मन्दिर का नाम भी दिया जाता है। यह अपने समय के विश्

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भोजेश्वर मंदिर

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भोजेश्वर मंदिर अथवा भोजपुर शिव मंदिर मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से 32 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। रायसेन ज़िले की गोहरगंज तहसील के औबेदुल्लागंज विकास खण्ड में स्थित प्राचीन काल के इस मंदिर को यदि उत्तर भारत का सोमनाथ भी कहा जाये तो अतिशयोक्ति नहीं होगी। भोजपुर गाँव में पहाड़ी पर यह विशाल शिव मंद

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बैजनाथ में शिव भगवान का प्रसिद्ध मंदिर है जो कि हिमाचल प्रदेश के काँगड़ा(पालमपुर) ज़िले में सुन्दर पहाड़ियों में स्थित है ,और पालमपुर का धार्मिक पर्यटन स्थल है। बैजनाथ मंदिर पालमपुर का एक प्रमुख स्थान है और यह शहर से 16 कि.मी. की दूरी पर है l ‘बैजनाथ शिव मंदिर’ भगवान शिव को समर्पित है। यहाँ पर लोग दू

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7 मार्च 2016
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ज़मीन में गड़ा धन मिलने की बातें किसी क़िस्से-कहानी से कम नहीं लगते। लेकिन इन विषयों पर बातें करना, सुनना, जानना बहुत रोमांचकारी होता है। अब सवाल ये कि कौन बताए गड़े धन का पता? इस खोज के लिए विज्ञान के अपने तरीके हैं जबकि ज्योतिष, ध्यान जैसे गूढ़ विज्ञान के अलग तरीक़े और मान्यताएं। हालाँकि, ऐसी कल्पनाओं

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30 मार्च 2016
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परिंदों के लिए...

5 अप्रैल 2016
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नए कमरों में अब चीज़ें पुरानी कौन रखता है परिन्दों के लिए शहरों में पानी कौन रखता है -मुनव्वर राना

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22 अप्रैल 2016
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आज विश्व भर में ' विश्व पृथ्वी दिवस ' मनाया जा रहा है I इस साल के पृथ्वी दिवस की थीम् है ' ट्री फॉर द अर्थ' यानि पृथ्वी के लिए पेड़ I आइए, आज के दिन कम से कम एक पेड़ लगाकर यह दिवस मनाएँ !  

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बेकार पड़े बोरवेल से अचानक निकला पानी

27 अप्रैल 2016
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बुंदेलखंड के एक गांव में  उस समय खुशी का ठिकाना नहीं रहा, जब एक बेकार पड़े   बोरवेल से अचानक पानी निकल आया। बूंद-बूंद पानी के लिए तरस रहे लोगों ने खूब पानी भरा। पानी के लिए

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