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मुंडेर पर क्यों नहीं आती चूं-चूं करती चिड़िया

30 मार्च 2016

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एक चिड़िया...अनेक चिड़ियाँ, दाना चुगने आयी चिड़िया...गीत तो सुना ही होगा I जी हाँ, चिड़िया यानि घरेलू चिड़िया गौरैय्या जिसके लिए आज भी चूं-चूं करती आती चिड़िया जैसी कविताएँ पढ़ी जाती हैं। मार्च में विश्व गौरैय्या दिवस मनाया जाता है लेकिन घर-आंगन से गौरैय्या विलुप्त होती जा रही है। हमारे साथ रहने वाली गौरैय्या का ठिकाना ग़ायब है, वह उसे तलाश रही है लेकिन कंक्रीट के जंगल में उसे ठिकाना नहीं मिल पा रहा है। गौरैय्या, जंगल में नहीं बल्कि हमारे घरों में, हमारे साथ रहने वाली चिड़िया है। घर के आंगन में गेहूं, चावल, दालों व अन्य अनाज में घुन,पाई व कीड़े लगने की स्थिति में अनाज फ़ैलाने से ही गौरैय्या उसकी सफाई कर देती है। भोजन के टुकड़ों व चावल के साथ उन्हें पानी रखा जाता है लेकिन शहरीकरण की होड़ के कारण आँगन की मुंडेर से गौरैय्या गायब हो गई है। कोई इनकी सुख-सुविधा नहीं देख रहा है। अपार्टमेंट कल्चर के प्रभाव के चलते उसके आशियाने ग़ायब हो गए हैं। चुलबुली चिड़िया गौरैया के गायब होने से विश्व परिवेश पर चिंता व्याप्त है। ब्रिटेन के रॉयल सोसाइटी ऑफ़ प्रोटेक्शन ऑफ़ बर्ड्स ने इसे रेड लिस्ट में डाल दिया है। गौरैय्या के नर-मादा हमेशा साथ रहते हैं। सिलेटी व आसमानी रंग की चिड़िया अब घरों में फुदकती नहीं दिखाई देती। चिड़िया हमारी संस्कृति का अंग है, गौरैय्या उल्लास का प्रतीक है। इसके चित्र हमारी लोक कला के अंग हैं। लोक कथाओं व साहित्य में भी उसे स्थान मिला है। दुनिया भर में पक्षियों की लगभग आठ हज़ार प्रजातियाँ मिलती हैं। इसमें से 2060 प्रजातियाँ भारत में हैं। प्रदेश में लगभग 688 पक्षियों की प्रजातियाँ मिलती हैं। चिड़ियों की घटती संख्या के लिए ज़िम्मेदार हैं, कंक्रीट का जंगल बन रहे शहर व क़स्बे, साथ ही मोबाइल टावर जिनकी तरंगें इनकी प्रजनन क्षमता घटा रही हैं। पेट्रोल से निकलने वाला मिथाइल नाइट्रेट छोटे कीटों को नष्ट कर देता है, जो चिड़िया व चूज़ों का मुख्य भोजन है।

शहर में परिंदों के लिए पानी कौन रखता है... शायर मुनव्वर राना की ये पंक्तियाँ पक्षी संरक्षण के लिए ही कही गई हैं।  संभवतः इन्हीं पंक्तियों की प्रेरणा से गौरैय्या संरक्षण अभियान व पक्षियों को दाना पानी की व्यवस्था की ज़िम्मेदारी मनीष पाण्डेय और मनीष अवस्थी की संस्था निभाती है। संस्था शहर में जगह-जगह पक्षियों को दाना चुगने के लिए बर्तन व दाना पानी रखती है।  इसी क्रम में सुकवि अशोक बाजपेयी के पुत्र गौरव बाजपेई गौरैय्या संरक्षण के लिए घोंसला वितरण कर रहे हैं। उनकी संस्था संस्था 200 रुपए कीमत में परिंदों के लिए घोंसला मुहैय्या कराती है।

परिंदों के आशियानों के बिल्डर

जाने कितने हाथों ने ताजमहल है बनाया, जाने कितनों ने महलों को है सजाया लेकिन आज तक मैंने सिर्फ इन हाथों के बारे में है सुना कि इन हाथों ने अनगिनत चिड़ियों के लिए घोंसला बुना। शुभी सक्सेना की ये पंक्तियाँ परिंदों के आशियाना बनाने वाले चिरंजीलाल खन्ना के लिए हैं। चिरंजीलाल खन्ना पंद्रह साल से घोंसला बनाकर पक्षियों के संवर्धन की दिशा में काम कर रहे हैं। बैंक ऑफ़ बड़ौदा के सीनियर मैनेजर पद से वीआरएस लेकर परिंदों के लिए काम करने वाले ७२ वर्षीय चिरंजीलाल खन्ना प्रतिदिन 8 घंटे पक्षियों के आशियानों को बनाने में बिताते हैं। इसके साथ वह अच्छे संकलक भी हैं। वर्ष 1997 की एक घटना उनके जीवन में टर्निंग पॉइंट बनी। चिरंजीलाल खन्ना की पत्नी मधु खन्ना के मुताबिक घर में चिड़िया घोंसला बनाती और अंडे देती रहती। एक बार हवा के तेज़ झोंके में कुछ अंडे ज़मीन पर गिरकर टूट गए। इसके बाद दुखी चिड़िया अण्डों के आसपास बेचैन टहलती रही।  इस मार्मिक घटना से चिरंजीलाल खन्ना बहुत दुखी हुए। हाथों में हुनर था, घर पर औज़ार; फल की पेटी की पटरियों से घोसले तैयार किये और घर के कई स्थानों पर लगाए। कुछ को चिड़ियों ने पसंद किया, कुछ को रिजेक्ट कर दिया। घर पर बनाए पसंदीदा घोसले, मित्रों के घर पर भी लगाए। आजाद नगर निवासी चिरंजीलाल खन्ना के इस प्रयास को सभी ने सराहा। वर्ष 2001 में बैंक से वीआरएस लेकर पूरी तरह से पक्षियों के प्रति समर्पित हो गए। खन्ना जी प्रतिमाह हज़ार रूपी खर्च कर दर्ज़न भर घोसले बनाते हैं और निशुल्क बांटते हैं। घोसलों की डिमांड नोट कर लेते हैं, घोंसला बन जाने पर उसे फ़ोन कर या घर जाकर घोंसला फिट कर देते हैं। एक घोंसला लगभग 60-70 रुपए की लागत से तैयार किया होता है। अब तक कानपुर समेत दर्ज़न भर अन्य शहरों में उनके बनाए लगभग 900 घोसले लगे हैं।  


आशीष श्रीवास्‍तव

आशीष श्रीवास्‍तव

कच्चा चावल देने से चिड़िया का गर्भ गिर जाता है इसलिए वह या तो धान या फिर उबला चावल चिड़िया को दे। #गौरैया

30 मार्च 2016

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शब्द का महत्व

16 अक्टूबर 2015
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इंतज़ार

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नकारात्मक सोच से बचें

30 नवम्बर 2015
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हंसी-मुस्कान

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गुड़ के हैं कई गुण

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तिरंगा: हमारी आन, बान और शान का प्रतीक

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पुत्र तथा पति की सुख समृद्धि का पर्व : सकट व्रत पूजन

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कृपया ध्यान दें...

2 फरवरी 2016
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मित्रो  <!--[if gte mso 9]><xml> <w:WordDocument> <w:View>Normal</w:View> <w:Zoom>0</w:Zoom> <w:TrackMoves/> <w:TrackFormatting/> <w:PunctuationKerning/> <w:ValidateAgainstSchemas/> <w:SaveIfXMLInvalid>false</w:SaveIfXMLInvalid> <w:IgnoreMixedContent>false</w:IgnoreMixedContent> <w:AlwaysSh

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तेरे जाने के बाद तेरी याद आयी...नादिरा

9 फरवरी 2016
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यूँ तो अक्सर किसी के जाने के बाद ही उसकी याद आती है लेकिन दुनिया में कितने ही सितारे हमारे दिलों की ज़मीं’ पर हरदम जगमगाते रहते हैं । हिन्दी फ़िल्मों की ख़ूबसूरत और मशहूर अभिनेत्रियों में से एक ऐसी ही अदाकारा थीं नादिरा । 5 फ़रवरी 1932 को इज़राइल में एक यहूदी परिवार में जन्मी थीं फ़रहत एज़ेकेल नादिरा जिन्

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9 फरवरी 2016
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यूँ तो अक्सर किसी के जाने के बाद ही उसकी याद आती है लेकिन दुनिया में कितने ही सितारे हमारे दिलों की ज़मीं’ पर हरदम जगमगाते रहते हैं । हिन्दी फ़िल्मों की ख़ूबसूरत और मशहूर अभिनेत्रियों में से एक ऐसी ही अदाकारा थीं नादिरा । 5 फ़रवरी 1932 को इज़राइल में एक यहूदी परिवार में जन्मी थीं फ़रहत एज़ेकेल नादिरा जिन्

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गीत, हमारे मनमीत

9 फरवरी 2016
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कितने ही गीत हमारे मनमीत होते हैं ! कितनी ही बार हमारे मन में एक नयी उमंग, एक नयी तरंग जगाते हैं, जैसे थाम के उंगली हौले से हमें लिए जाते हैं, न जाने कौन से उजालों की ओर ! एक ऐसा ही गीत है फिल्म 'गाइड' का जिसके बोल हैं....'आज फिर जीने की तमन्ना है' I ऐसे नग्मात सुनकर ऐसा लगता है मानो ये उम्र और समय

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प्यार की कहानी चाहिए

13 फरवरी 2016
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आदमी को आदमी बनाने के लिए जिंदगी में प्यार की कहानी चाहिएऔर कहने के लिए कहानी प्यार कीस्याही नहीं, आँखों वाला पानी चाहिए।जो भी कुछ लुटा रहे हो तुम यहाँवो ही बस तुम्हारे साथ जाएगा, जो छुपाके रखा है तिजोरी मेंवो तो धन न कोई काम आएगा, सोने का ये रंग छूट जाना हैहर किसी का संग छूट जाना हैआखिरी सफर के इंत

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बंद आँखों से वो मंज़र देखूँ

15 फरवरी 2016
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बंद आँखों से वो मंज़र देखूँरेग-ए-सहरा को समंदर देखूँक्या गुज़रती है मेरे बाद उस परआज मैं उस से बिछड़ कर देखूँशहर का शहर हुआ पत्थर कामैं ने चाहा था के मुड़ कर देखूँख़ौफ़ तंहाई घुटन सन्नाटाक्या नहीं मुझ में जो बाहर देखूँहै हर इक शख़्स का दिल पत्थर कामैं जिधर जाऊँ ये पत्थर देखूँकुछ तो अंदाज़-ए-तूफ़ाँ ह

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स्तंभेश्वर मन्दिर

27 फरवरी 2016
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हिंदू धर्म में तैतीस करोड़ देवी-देवताओं का उल्लेख है, जिनमें देवाधिदेव महादेव का विशिष्ट स्थान है। देश के अनेकानेक भव्य एवं अनोखे मंदिरों में से एक है गुजरात में स्थित स्तंभेश्वर मंदिर। यूं तो भारत में भगवान शिव के हजारों मंदिर हैं। लेकिन, गुजरात में वडोदरा से 85 किमी दूर स्थित जंबूसर तहसील के कावी-

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शिव सहस्रनामावलि

27 फरवरी 2016
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आदि एवं अंत से रहित, सर्वेश्वर शिव देवाधिदेव हैं। मानव मात्र ही नहीं वरन देव, दानव, पशु-पक्षी, यहाँ तक की ईश्वर भी संकट के समय में शिव की ही शरण ग्रहण करते हैं। स्वयं पालनकर्ता श्री नारायण विष्णु भगवान ने शिव जी की सहस्रनामों से स्तुति कर उन्हे प्रसन्न किया था तथा अपना सुदर्शन चक्र पुन: प्राप्त किया

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बृहदेश्वर मन्दिर

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बृहदेश्वर  मन्दिर तमिलनाडु के तंजौर में स्थित शिव मन्दिर है जो 11वीं सदी के आरम्भ में बनावाया गया था। इसे तमिल भाषा में बृहदीश्वर के नाम से जाना जाता है। इसका निर्माण १००३-१०१० ई. के बीच चोल शासक राजाराज चोल ने करवाया था। उनके नाम पर इसे राजराजेश्वर मन्दिर का नाम भी दिया जाता है। यह अपने समय के विश्

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भोजेश्वर मंदिर

27 फरवरी 2016
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भोजेश्वर मंदिर अथवा भोजपुर शिव मंदिर मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से 32 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। रायसेन ज़िले की गोहरगंज तहसील के औबेदुल्लागंज विकास खण्ड में स्थित प्राचीन काल के इस मंदिर को यदि उत्तर भारत का सोमनाथ भी कहा जाये तो अतिशयोक्ति नहीं होगी। भोजपुर गाँव में पहाड़ी पर यह विशाल शिव मंद

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बैजनाथ शिव मंदिर, पालमपुर

27 फरवरी 2016
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बैजनाथ में शिव भगवान का प्रसिद्ध मंदिर है जो कि हिमाचल प्रदेश के काँगड़ा(पालमपुर) ज़िले में सुन्दर पहाड़ियों में स्थित है ,और पालमपुर का धार्मिक पर्यटन स्थल है। बैजनाथ मंदिर पालमपुर का एक प्रमुख स्थान है और यह शहर से 16 कि.मी. की दूरी पर है l ‘बैजनाथ शिव मंदिर’ भगवान शिव को समर्पित है। यहाँ पर लोग दू

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मिल सकता है ज़मीन में गड़ा धन

7 मार्च 2016
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ज़मीन में गड़ा धन मिलने की बातें किसी क़िस्से-कहानी से कम नहीं लगते। लेकिन इन विषयों पर बातें करना, सुनना, जानना बहुत रोमांचकारी होता है। अब सवाल ये कि कौन बताए गड़े धन का पता? इस खोज के लिए विज्ञान के अपने तरीके हैं जबकि ज्योतिष, ध्यान जैसे गूढ़ विज्ञान के अलग तरीक़े और मान्यताएं। हालाँकि, ऐसी कल्पनाओं

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30 मार्च 2016
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परिंदों के लिए...

5 अप्रैल 2016
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नए कमरों में अब चीज़ें पुरानी कौन रखता है परिन्दों के लिए शहरों में पानी कौन रखता है -मुनव्वर राना

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विश्व पृथ्वी दिवस

22 अप्रैल 2016
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आज विश्व भर में ' विश्व पृथ्वी दिवस ' मनाया जा रहा है I इस साल के पृथ्वी दिवस की थीम् है ' ट्री फॉर द अर्थ' यानि पृथ्वी के लिए पेड़ I आइए, आज के दिन कम से कम एक पेड़ लगाकर यह दिवस मनाएँ !  

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बेकार पड़े बोरवेल से अचानक निकला पानी

27 अप्रैल 2016
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बुंदेलखंड के एक गांव में  उस समय खुशी का ठिकाना नहीं रहा, जब एक बेकार पड़े   बोरवेल से अचानक पानी निकल आया। बूंद-बूंद पानी के लिए तरस रहे लोगों ने खूब पानी भरा। पानी के लिए

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