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पलकों ने समझाया

hindi articles, stories and books related to Palkon ne samjhaya


रे दरपनरे दरपन, तू फिर इतना उदास क्यों है,ऋतु बदली है, पगले निराश क्यों है,फिर पुरवाई महकी बासंती आ गई ,फिर थकी –थकी सी यह सांस क्यों है,चेहरे पर गुलाबी गंध महकी-महकी है,मयूर संग आम्रपाली फिर प्यास क्यों है ,झुरमुट मालती के , रात-रानी संग,अश्क यह मुरझाया सा पलास क्यों ह

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