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पापा कहते है बड़ा नाम करेगा

18 फरवरी 2023

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पिता और पुत्र का एक ऐसा रिष्ता है जिसमें पिता अपने पुत्र में स्वयं को देखता है। अक्सर वह चाहता है कि उसका पुत्र वो करे, जो वह स्वयं न कर सका, अपने अनुभवों और ज्ञान को अपने पुत्र के भीतर झोंक देना चाहता है एक पिता। या यूं कहें पिता अपने पुत्र के माध्यम से अपने ढलते हुए जीवन को एक बार फिर जी लेना चाहता है। वहीं दूसरी ओर पुत्र की अपनी कामनाएं, अपनी लालसाएं और अपनी सीमाएं होती हैं। वह अपने पिता से प्रभावित तो होता ही है लेकिन अनेकों जगहों पर वह पूरी तरह उनकी उम्मीदों पर खरा नहीं उतर पाता। जो उसके पिता न कर पाये, वो तो करना चाहता है, उनके अनुभवों से सीखना चाहता है लेकिन स्वः अनुभवों के बिना भी बात नहीं बनती। जिन्दगी में सभी के अनुभव अनुकूल परिस्थितियों, वातावरण, परवरिष के कारण वस्तुतः पृथक-पृथक होती है। इसलिए मात्र पिता के चाहने भर से उसका पुत्र और पुत्र का पिता की इच्छाओं के अनुरूप पूरी तरह से खरा उतर पाना षायद संभव नहीं है। इसी का नाम जिन्दगी है या फिर कहें तो कुदरत द्वारा लिखी किस्मत..... सकारात्मक बातों पर बोलने वाले लोग कहेंगे कि कोई किस्मत नहीं होती, बल्कि किस्मत खुद द्वारा बनाई जाती है। तो यह तो आपको मानना पड़ेगा ही, कि अनुकूल परिस्थितियां और वातावरण की विभिन्नता विभिन्न अनुभव और प्रतिक्रियाएं देती हैं जिसके कारण भविश्य में होनी वाली भावी घटनाएं संबंध रखती हैं। जो हमारी किस्मत और भाग्य का निर्माण करती है। क्रिया करने वाले बेषक हम स्वयं होते हैं लेकिन परिस्थितियां, वातावरण और आसपास होने वाली घटनाओं पर यदि हम अपना नियंत्रण रख सकें तो वास्तव में हम अपने भाग्य के निर्माता हो सकते हैं। 

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पिता और पुत्र का एक ऐसा रिष्ता है जिसमें पिता अपने पुत्र में स्वयं को देखता है। अक्सर वह चाहता है कि उसका पुत्र वो करे, जो वह स्वयं न कर सका, अपने अनुभवों और ज्ञान को अपने पुत्र के भीतर झोंक देना चाहता है एक पिता। या यूं कहें पिता अपने पुत्र के माध्यम से अपने ढलते हुए जीवन को एक बार फिर जी लेना चाहता है। वहीं दूसरी ओर पुत्र की अपनी कामनाएं, अपनी लालसाएं और अपनी सीमाएं होती हैं। वह अपने पिता से प्रभावित तो होता ही है लेकिन अनेकों जगहों पर वह पूरी तरह उनकी उम्मीदों पर खरा नहीं उतर पाता। जो उसके पिता न कर पाये, वो तो करना चाहता है, उनके अनुभवों से सीखना चाहता है लेकिन स्वः अनुभवों के बिना भी बात नहीं बनती। जिन्दगी में सभी के अनुभव अनुकूल परिस्थितियों, वातावरण, परवरिष के कारण वस्तुतः पृथक-पृथक होती है। इसलिए मात्र पिता के चाहने भर से उसका पुत्र और पुत्र का पिता की इच्छाओं के अनुरूप पूरी तरह से खरा उतर पाना षायद संभव नहीं है। इसी का नाम जिन्दगी है या फिर कहें तो कुदरत द्वारा लिखी किस्मत..... सकारात्मक बातों पर बोलने वाले लोग कहेंगे कि कोई किस्मत नहीं होती, बल्कि किस्मत खुद द्वारा बनाई जाती है। तो यह तो आपको मानना पड़ेगा ही, कि अनुकूल परिस्थितियां और वातावरण की विभिन्नता विभिन्न अनुभव और प्रतिक्रियाएं देती हैं जिसके कारण भविश्य में होनी वाली भावी घटनाएं संबंध रखती हैं। जो हमारी किस्मत और भाग्य का निर्माण करती है। क्रिया करने वाले बेषक हम स्वयं होते हैं लेकिन परिस्थितियां, वातावरण और आसपास होने वाली घटनाओं पर यदि हम अपना नियंत्रण रख सकें तो वास्तव में हम अपने भाग्य के निर्माता हो सकते हैं।

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