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परिचय

17 नवम्बर 2021

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दिनांक 17/11/2021

विधा-कविता

दिन बुधवार

शीर्षक-  परिचय

कभी हक के लिए लड़ना सिखाती हूं

कभी शांति के लिए चुप रहना सिखाती हूं

कभी डांटती हूं कभी समझाती हूं

कभी रोककर तो कभी टोक कर

कभी काली स्लेट पर चाक से पढ़ाती हूं

शिक्षक हूँ ना हर पल बच्चों का हौसला बढ़ाती हूं।

शब्दों की दुनिया में मन मेरा विचरता है

जब कभी ह्रदय में हलचल मच जाए

तो बहुत कुछ लिखने का मन करता है

इस ज्ञान के सागर में बूंद की प्यासी मैं

कतरा कतरा अक्षर मोती चुनकर

हृदय में अनुभव का समंदर भरता है।

सही व गलत में भेद क्या है

रामायण, गीता, बाईबल, वेद क्या है

पाप क्या है, पुण्य क्या है

जीवन में इनका महत्व क्या है

बच्चों को इनकी शिक्षा देकर

संस्कृति इन तक पहुंचाती हूं।

बच्चे ही देश के उज्जवल भविष्य

इनसे ही हमारे देश का अस्तित्व

धन ,बल,साधन, बुद्धि, ज्ञान का

इन्हें मैं ही परिचय करवाती हूं

बच्चे तो है मिट्टी के घड़े

कभी सहलाती  हूं कभी थपथपाती हूं।

एक शिक्षक का सच्चा परिचय

हमारे विद्यार्थी ही करवाते हैं

जब बच्चे अपने लक्ष्य को पाते हैं

शिक्षकों के कर्म सफल हो जाते हैं

इनकी सफलता पर ही तो मैं इठलाती हूं

शिक्षक हूँ ना हर पल बच्चों का हौसला बढ़ाती हूं।

जीवन का यह मेरा सफर

कभी सुख तो कभी दुख का डगर

कभी लगा नहीं मुझे इससे डर

हर हाल में किया संतोष का बसर

बस ऐसे ही सबको समझाती हूँ

शिक्षक हूँ ना हर पल बच्चों का हौसला बढ़ाती हूं।

ललिता यादव

बिलासपुर छत्तीसगढ़

स्वरचित मौलिक रचना

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