वाह क्या फिगऱ हैं..... क्या सूरत हैं.... मानना पड़ेगा यार...ऊपरवाले ने बहुत फुर्सत से बनाया होगा... कयामत लग रहीं हैं...।।।।।
मम्मी..... मम्मी.... उठो मम्मी..... अचानक कानों में ये आवाज सुनकर मैं अपने वर्तमान में आ गई....।।
उठकर हर रोज़ की तरहा अपने आप को कुछ पल आइने में देखा फिर वापस लग गई अपने काम पर...।
बार बार सपनों में बस ये ही सब सुनाई देता हैं.... पर असल जिंदगी में ये लब्ज़ शायद मेरे लिए बने ही नहीं थे...।।।।
शादी के 11 महीने बाद ही मैं गर्भवती हो गई...।।।फिर एक बच्चा... दुसरा बच्चा.... और लड़के की चाह में तीसरा भी...।।।। शुक्र हैं तीसरी बार में ऊपरवाले ने मेरे घरवालों की मेरे पति की सुन ली... वरना ना जाने कब तक बस बच्चे पैदा करने की मशीन बना कर बच्चे पैदा करवाते रहते...।।।।
शादी से पहले 45kg की शालु आज 75 kg की हो गई थी....।
शालु यानि मैं.... मध्यम परिवार में जन्मी.... सीधी सादी लड़की...। लेकिन मम्मी की खराब सेहत की वजह से उनकी टेंशन को कम करने के लिए छोटी उम्र में ही शादी करवा दी गई....।
शादी.... हर लड़की का सपना होता हैं अपनी शादी को लेकर... अपने पति को लेकर ढेर सारे अरमान होतें हैं... मेरे भी थे..।
लेकिन शादी की रात ही मेरे पति के कहें अल्फाज आज भी मेरे कानों में गुंजते हैं...।।
मैने तुझसे शादी सिर्फ अपने परिवार वालों के कहने पर की हैं.... मुझे तुझसे कोई लगाव नहीं हैं... क्योंकि मैं किसी ओर से प्यार करता हूँ...।
प्यार भले ही ना करे पर हां पत्नी का दर्जा हर रात को देतें हैं... क्यूँ.... क्योंकि इस पर भी घरवालों का दबाव था... वंश बढ़ाने के लिए बेटा जो चाहिए था...।।
रात को पतिदेव की और पूरा दिन घरवालों की बच्चों की देखभाल करने में ही कब शादी को पन्द्रह साल हो गए... पता ही नहीं चला...।
इन पन्द्रह सालों में मैं पुरी तरहा से बदल चुकी थी.. पतली दुबली सी शालु से अब भारी भरकम शालु हो गई थी..।।
अपने इस शरीर की वजह से हर रोज....अपने पति... अपनी सासु माँ... अपनी ननद...अड़ोस पड़ोस के लोगों और यहाँ तक की कभी कभी बच्चों के मुहं से भी बहुत कुछ सुनना पड़ता था...। क्या कुछ नहीं किया मैनें... डाइटिंग...एक्सरसाइज... दवाइयाँ... योगा.... लेकिन कुछ असर नहीं...।।
अब तो जैसे ऐसा शरीर सिर्फ सपने में ही देखने के लिए ही....।।।।
पतिदेव तो वैसे भी कभी कहीं मेरे साथ चलने में खुश नहीं थें.... पर अब तो बच्चे भी.... ..।।
धीरे धीरे ये चीजें.... ये बातें... लोगों के ताने... मेरे अंदर तक घर कर गए थे...।। अब तो जैसे मुझे खुद से नफरत सी होने लगी थी...।।।
मेरे शरीर का ऊपरी हिस्सा ज्यादा भारी था.... जिसकी वजह से कई बार मुझे बाहर जाने या सफर के दौरान.... गंदे और बद्दे कमेंट्स और अजीब सी हवस भरी नजरों का शिकार होना पड़ता था.... ये सब बातें अब मेरे बर्दाश्त के बाहर होने लगीं थी..।।।
धीरे धीरे मैंने खुद से ही अपने आप को घर की चार दिवारों में कैद कर लिया था... ना कहीं आना... ना कहीं जाना... ना किसी से मिलना... ना किसी से बात करना... लेकिन इन सब की वजह से मेरी परेशानी सुलझने की बजाय और ज्यादा गंभीर होने लगी... क्योंकि अकेले अकेले बैठकर और इसी बात के बारे में सोच सोच कर मैं धीरे धीरे डिप्रेशन में जाने लगीं थी...।।।।
मेरे घर से बाहर जाने या ना जाने से किसी को कोई फर्क नहीं पड़ता था.. । वो सब तो ऐसे बर्ताव कर रहे थे जैसे वो मेरे इस फैसले से बहुत खुश हो...। लेकिन मेरा बस अपने शरीर को लेकर सोच सोच कर प्रेशर बढ़ता जा रहा था..।
शरीर में ना जाने कितनी बिमारियों ने अपना घर बसा लिया था...।।। डिप्रेशन.... हाई ब्लडप्रेशर.... डायबिटीज.....।।।
दवाईयां ले लेकर लेकर.... शरीर और ज्यादा फूलता जा रहा था....।।।।
अब तो ऐसा लगने लगा था कि बस अपने आप को इसी पल खत्म कर दूं... बार बार बस ये ही ख्याल दिमाग में आते थे कि ऐसे शरीर से तो इसको खत्म कर दुं हमेशा के लिए...। वैसे भी मेरे होने ना होने से कौनसा किसी को फर्क पड़ने वाला हैं....।
बस ये ही ख्याल.... हर पल दिमाग में आते रहते थे... नफरत हो गई थी खुद से...।।
लेकिन कहते हैं ना कई बार हमें वहाँ से रास्ता मिल जाता हैं जहाँ से हम कभी सोच भी नहीं सकतें...।।। मुझे भी कुछ ऐसा ही रास्ता मिला...।
एक रोज़ में अपने घर में अकेली थी... एक ठीक ठाक सी दिखने वाली औरत हमारे घर आई....।।।
उसने घर पर आकर बताया की वो कुछ दिन पहले ही यहाँ रहने आई है... और पड़ोस में अपने बच्चें के जन्म दिवस की मिठाई बाँट रहीं हैं...। मेरे अंदर बुलाने पर वो भीतर आई और कुछ देर की हुई बातों से पता चला की वो एक मनोचिकित्सक हैं.... मतलब वो डिप्रेशन के लोगों का इलाज करतीं हैं.... लेकिन किसी भी तरह की दवाईयों से नहीं बल्कि सिर्फ वार्तालाप से....।
बस फिर क्या था मैनें जल्द ही उनसे अपनी सारी परेशानी कह डाली...।। वो औरत शायद भगवान का ही कोई रुप लेकर मेरे पास आई थी.... ना जाने क्या कशिश थी उसकी बातों में... ना जाने क्या जादू था.... वो उस वक्त थोड़ी जल्दी में थी इसलिए मुझसे ज्यादा कुछ नहीं बोलीं.... बस इतना ही कहा.... "जब तक आप खुद से प्यार नहीं करोगे.... आपको कोई हक़ नहीं हैं की आप किसी और से प्यार की उम्मीद रखें... "।।
"love yourself because you are unique..... "
उसने इतना कहकर कहा की जब भी समय मिले तब मैं जाकर उनसे मिल लूं तब तक सिर्फ इतना ही सोचूँ...... जो उन्होंने कहा था...।।।।।।
यकीन मानिए उसके ये कुछ लब्ज़ ही मेरेे जीने की चाह को फिर से जिंदा कर गए थे....।।।। मैं पुरी रात ये ही सोचती रहीं की सही तो हैं.... अगर मैं खुद से ही प्यार नहीं करुंगी तो कोई और कैसे करेगा....।।
मैं अगले ही दिन उनके घर गई और आज तक उनकें सम्पर्क में हूँ... और आज पुरी तरह से स्वस्थ हूं.... ना सिर्फ मैने अपना कुछ kg वजन कम किया हैं बल्कि एक नई ऊर्जा और चाह भी जिंदगी में लौट आई हैं....।। अब अगर कोई मेरे शरीर के बारे में कुछ कमेंट करता भी हैं तो मैं उनके लब्जों को दिल से नहीं लगाती बल्कि खुश होकर उनका अभिवादन करतीं हूँ.... जानते हैं क्यूँ...... क्योंकि...... l love myself........
और अंत में मैं आप सबसे भी बस ये ही कहूंगी....... love yourself.... 🤗🤗