विश्वासघात
कब तक सहोगे
बताओ अब ।
मंतब्य पूरा
रक्तरंजित माटी
दीख रही है ।
मरा गरीब
बेआंच युवराज
आखिर क्यों
।
फँसती पेंच
कंहरते आदमी
लगी है आग ।
किसकी जांच
किसके लिए होगी
तरीका वही ।
कोसना बंद
मुहतोड़ जवाब
देश की इच्छा ।
आतंकवाद
एक ऑपरेशन
उनके घर ।
आतंकियों के
अटूट मंसूबों को
खत्म समझो ।
हुक्म सेना को
घुसपैठ से परे
सहर्ष दे दो ।
सवाल उठे
उठ लेने दो यार
समस्या खत्म ।
नितांत शांति
उसके बाद होगी
आवश्यक है ।
पठानकोट
फिर कभी नहीं
संभव होगा ।
·
जयशंकर प्रसाद द्विवेदी