भाषा बम
केकर के दुलरुवा बाटे ,सुनल जाई गुनल जाई । नीमन लागी त ठीके बा , नाही त भर मन धुनल जाई ॥ पाकल खेत आ बनल लईकी,दोसरा भरोष न छोडल जाई । जे भी संगे आ खाडियाई ,मय बिरोध पर तोड़ल जाई ॥ माहौल बने त बन जायेदा भाषा बम भी फोड़ल जाई । बिन पेनी के लोटा नीयन ,केहु क चदरी ओढ़ल जाई ॥ साम दाम आ दंड भेद पर ,नवका राग