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पात्रों का चरित्र-चित्रण

23 मार्च 2023

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रूह-

रूह मानव की महिला साथी। जो आजाद खयाल की नरम दिल वाली है। कश्मीर के लोगों के बारे में पढ़ना और जानना उसे अच्छा लगता है। बेबी आंटी और मानव जब मिलते हैं तो उसकी भी आँखें भावुकता से गीली हो जाती है। उसका दिल करुणा  और स्नेह से भर जाता है।  

गुल मुहम्मद-

गुल मुहम्मद मानव के पिता के कश्मीरी मुसलमान दोस्त हैं। जिनकी उम्र 70 साल है। लेकिन काम करने से नहीं चूकते। उनका मन साफ और कोमल है। मानव के कश्मीर पहुचने के बाद उसे रिसीव करते हैं और उसके रहने का प्रबंध भी करते हैं। 

बेबी आंटी-

बेबी आंटी कश्मीर में रहने  वाली कश्मीरी पंडित हैं। जिनका परिवार 1988 में कश्मीरी पंडितों के भगाए जाने पर भी कश्मीरी नहीं छोड़ और किसी तरह उन्होंने सरवाइव कर अपनी जिंदगी को वही बिताना ठीक समझा। जिनकी  गोद में मानव ने कभी अपने बचपन गुजारे थे।  बेबी को जब मानव के कश्मीर में होने की खबर मिलती है तो उसे अपने पास बुलाती है और देखते ही उसे जोंर से गले लगा लेती है, जैसे वो उसे कभी छोड़ना नहीं चाहती। 

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रचनाएँ
रूह
5.0
मैं जब इस किताब को लिखने, अपनी पूरी नासमझी के साथ कश्मीर पहुँचा तो मुझे वहाँ सिर्फ़ सूखा पथरीला मैदान नज़र आया। जहाँ किसी भी तरह का लेखन संभव नहीं था। पर उन ऊबड़-खाबड़ रास्तों पर चलते हुए मैंने जिस भी पत्थर को पलटाया उसके नीचे मुझे जीवन दिखा, नमी और प्रेम। मैं कहीं भी बचकर नहीं चला हूँ। जो जैसा है में, जैसा जीवन मैं देखना चाहता हूँ, उसे भी दर्ज करता चलता हूँ। कभी लगता है कि मैं पिता के बारे में लिखना चाहता था और कश्मीर लिख दिया और जब कश्मीर लिखने बैठा तो पिता दिखाई दिए। मेरी सारी यादें वहीं हैं जब हम चीज़ों को छू सकते थे। मैं छू सकता था, अपने पिता को, उनकी खुरदुरी दाढ़ी को, घर की खिड़की को, खिड़की से दिख रहे आसमान को, बुख़ारी को, काँगड़ी को। अब इस बदलती दुनिया में वो सारी पुरानी चीज़ें मेरे हाथों से छूटती जा रही हैं। उन छूटती चीज़ों के साथ-साथ मुझे लगता है मैं ख़ुद को भी खोता चला जा रहा हूँ। आजकल जो भी नई चीज़ें छूता हूँ वो अपने परायेपन की धूल के साथ आती हैं। मैं जितनी भी धूल झाड़ूँ, मुझे अपनापन उन्हीं पुरानी चीज़ों में नज़र आता है। लेकिन जब उनके बारे में लिखने बैठता हूँ तो यक़ीन नहीं होता कि वो मेरे इसी जन्म का हिस्सा थीं।
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पुस्तक के बारे में

23 मार्च 2023
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मानव कौल की इस में यात्रा में कश्मीर और कश्मीर बिताए हुए कुछ यादें हैं। ख्वाजाबाग में बसे घर की नीली दीवार, जो कभी संजीदा और आँगन में खुशियां झूमा करती थी, आज जीर्ण-शीर्ण हो चुकी हैं और गायब होने की प

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कुछ अच्छे और महत्वपूर्ण अंश

23 मार्च 2023
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हम इंसानों में कौन असल में कौन है, इसका पता करना कितना ज़्यादा मुश्किल है। कौन सी मानव जाति श्रेष्ठ है, ये लड़ाई कितनी पुरानी है। और इसे मनवाने में कितना ज़्यादा खून खराबा हुआ है! अगर  हम धर्म को अल

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पात्रों का चरित्र-चित्रण

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रूह- रूह मानव की महिला साथी। जो आजाद खयाल की नरम दिल वाली है। कश्मीर के लोगों के बारे में पढ़ना और जानना उसे अच्छा लगता है। बेबी आंटी और मानव जब मिलते हैं तो उसकी भी आँखें भावुकता से गीली हो जाती ह

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