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GREEN FOREST

16 मई 2022

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आखिर ठहर कर क्या देखते इस ज़माने में,
सब बेघर हुए थे अपने छोटे से आशियाने से ।

ऊंचे-ऊंचे दरख़्त देखे हर जगह हर तरफ़ मैने,
फिर उसे काटते इंसान के बहुत से प्यादे देखे ।

जा रही थी दरख़्त की जान ऐसे ज़माने देखे,
बना रहा कोई नाव,घर ऐसे ठिकाने देखे मैने ।

उसी दरख़्त से बनाई गई एक बड़ी नाव किनारे में,
कुछ लोग सवार हुए पार जाने को नए घर उजाड़ने ।

होश में कहॉं थे प्यादे बस अपनी बस्ती बनाने में,
कई बेघर हो चूके उसके बनाए हर इक ठिकाने से ।

जंगल बचा कहॉं जो चैन से काट लेटे इक-इक सांसे,
उजाड़ दिए घर चिड़ियाघर बनाकर कैद कर लिया हमे ।

लगता नहीं मुझे अब कोई बच पाएगा यहॉं कहीं,
खाल उतारे जाएंगे प्यादे सर्द से ढक लेंगे हम को ही ।

आख़िर ठहर कर क्या देखते इस ज़माने में,
सब बेघर हुए थे अपने छोटे से आशियाने से...

- डेनिरो सलाम

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कविता रावत

कविता रावत

ऊंचे-ऊंचे दरख़्त देखे हर जगह हर तरफ़ मैने, फिर उसे काटते इंसान के बहुत से प्यादे देखे ये प्यादों के खेल बदस्तूर चलता रहता है बहुत खूब!

18 मई 2022

Deniro

Deniro

20 मई 2022

शुक्रिया कविता रावत जी🙏🏿😊

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रचनाएँ
गहरी काली रातें
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हम सब ने ज़िंदगी में बहुत से उतार-चढ़ाव देखे हैं और आज भी देख रहे हैं पर मुश्किलों से भरा खूबसूरत सफ़र निरंतर चल रहा है और रोचक दृश्य और गंभीर भावना के "रस" की हर अंदाज़ से भरा हुआ है इसकी पहली "तस्वीर" है जो हम सबकी ज़िंदगी का ऐसा आईना है जो निरंतर हमें वह दिखा रहा है जो हम देखना चाहते हैं, उस गहरे-काले अंधेरे में । हर एक अंश जुड़ा है हर एक इंसान की गहरी भावनाओं से बिलखते,मुस्कुराते,डरते,सोते,जागते चेहरों से और शायद हर दृश्य एक-एक कर के पुनः हमारे मस्तिष्क में घर कर जाएं और ज़िंदगी के आईने के सामने हम सब खड़े होकर ख़ुद को बार-बार देखने लगें और पूछने लगें कि सफ़र मुश्किलों से भरा रहा पर कितना खूबसूरत है, हर एक कविता का ज़िंदगी में कहानी बन जाना....
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HALF ASLEEP

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INNOCENT TRIBLE

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ये सच कहते मेरी जुबां नहीं थकती,हम हैं जंगल के वासी पर ,ना जाने सरकार हमसे क्या है चाहती ।ना हम हैं नक्सल और ना कोई उग्र जाति,ना जानें क्यों पिस्ते हैं हम भगदड़ में मासूम आदीवासी ।कोयले की अब जो खदाने

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