प्रबल प्रताप सिंह
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गुरू प्रसन्न और जग रूठे तो भी मेरा रोम न टूटे...! प्र - प्रणवीर . ब - बहादुर . ल - लम्बी रेस का घोड़ा . प्र - प्रसन्नचित . ता - तारा चाहने वाली आँखों का . प - पहले पहल करने वाला . सिं - सिंपल जीवन और उच्च विचार . ह - हरफ़नमौला .