राम तेरी नगरी बस रही है।
बस तेरी ही कमी हमें खल रही है।
आ जाओ राम ,लगाओ फिर दरबार।
जन-जन तुम्हें अब ढूंढ़ रही है।
जन-जन तुम्हें अब ढूंढ रही है ,
धरती है कष्ट में करो उद्धार ,
फिर से बना दो यहाँ राम राज्य ,
फिर बरसा दो खुशियों की बौछार,
जन – जन अब तुम्हें पुकार रही है।
जन-जन तुम्हें पुकार रही है।
आ जाओ राम अब देर न करो
देर पहले ही बड़ी हो गई है।
आतुर है जन-जन तेरे दर्शन को,
अब तो दर्शन दे दो राम,
अब देर न करो प्रभू श्री राम।
हाथ जोर खड़े हैं सब ,
देर न करो प्रभु अब,
करके हमारे पापों का नाश,
अपने शरण में लेकर हम सबको ,
पाप से मुक्ति दे दो राम।॥
सुन लो विनती है हम सब की,
अब तो आ जाओ राम
देर बहुत पहले ही हो गई।
अब न देर करो प्रभु राम।॥