राम तेरी नगरी बस रही है। बस तेरी ही कमी हमें खल रही है। आ जाओ राम ,लगाओ फिर दरबार। जन-जन तुम्हें अब ढूंढ़ रही है। जन-जन तुम्हें अब ढूंढ रही है , धरती है कष्ट में करो उद्धार , फिर से बना दो यहाँ
आज फिर दिवाली आई हैदेखो-देखो किस तरह अन्धकार पर रोशनी छाई है ,हर आवास में खुशियों का आवास है,हर आवास में जलता दिया नई उम्मीदों का आगाज़ है,आज फिर दिवाली आई हैदेखो देखो लक्ष्मी घर आई हैस्वादिष्ट भोजन क
जब तक व्यक्ति के अंदर कुछ नया करने का जज्बा नहीं उठता, उसकी बाहरी और आंतरिक उन्नति संभव नहीं है। कुछ नया करना अर्थात् वह कार्य करना जो आपका मन कहता है, उसके बारे में लोग क्या कहते हैं, उससे उसे कोई अं
व्रज 84 कौस - 66 अरब तीर्थवृंदावन, मथुरा, गौकुल, नँदगांव, बरसाना, गोवर्धन सहित वें सभी जगह जहाँ श्री कृष्ण जी का बचपन बीता और आज भी जहाँ उनको महसूस किया जा सकता है जैसे कि सांकोर आदि में वह सब बृज 84
शिक्षा का हो प्रसार , तभी संभव होगा स्पार्किंग इनोवेशन का सपना साकार विकास की राह में हम सब आगे बढ़ते ही जायेंगे । दुनिया करेगी हमारे विकास को सलाम विश्वगुरु बन जायेंगे । शिक्षा का होगा प्रसार , कोई न
सफलता का स्वाद चखा, वही जिसने संघर्ष किया। संघर्ष ही हमारा जीवन है, कार्यरत नित्य कर्म प्रयत्न है।। सफलता का स्वाद चखा, असफल जीवन से प्रेरणा ली। असफलता सफलता की जननी, कोशिश यूं ही प्रत्यनशील चली।। सफल
परिश्रम का फल मिलता जरूर, मीठा फल इंसान चखता जरूर। परिश्रम अगर किया सही दिशा में, दिशा निर्देश इंसान बढ़ता जरूर।। यकीन करो न करो तुम प्रभु पर, कर्म भूमि से जुड़े हमेशा रहो तुम। राह अडिग कदम डगमगाए नही