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विजयदशमी

23 अक्टूबर 2022

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पौराणिक मान्यता है कि विजयदशमी की तिथि को भगवान श्रीराम ने अत्याचारी रावण का वध किया तो संसार को  एक पापात्मा से मुक्ति मिली।  लेकिन भगवान श्रीराम के ऊपर ब्रहम हत्या का पाप भी लग गया क्योंकि रावण की मां जरूर असुर थी  लेकिन  उसके पिता ब्राह्मण थे ।

इस ब्रह्म हत्या के पाप से मुक्ति पाने के लिए भगवान राम ने अपने अनुज लक्ष्मण के साथ भोलेनाथ की उपासना की थी। ऐसा कहा जाता है कि भोलेनाथ ने नीलकंठ पक्षी के रूप में ही भगवान राम को दर्शन दिए थे । तभी से विजयदशमी  की तिथि को नीलकंठ के दर्शन करना शुभ माना जाता है ।

यह तो हुई पौराणिक कथा की बात।  हमारे यहां बैसवारा में हम लोग बचपन में दशहरा के दिन नीलकंठ के दर्शन के लिए प्रातः ही निकल पड़ते थे और नीलकंठ के दर्शन कर के ही घर लौटते थे। नीलकंठ के दर्शन होते ही जोर जोर से चिल्लाते थे-
"हरी भदैली गंग नहावा।
नीलकंठ के दर्शन पावा।।"

गंगा पार पड़ोसी जिले फतेहपुर के लोग इस बात को कुछ यूं कहते-

"नीलकंठ के दर्शन पावा,
 घर बैठे गंगा नहावा"

जब हम लोग परीक्षा देने जाते और रास्ते में कहीं कोई नीलकंठ दिख जाता था तो उसे देखकर हम चूमते हुए (फ्लाइंग किस देते हुए)कहते थे -

"नीलकंठ वरदानी।
 हमका पास करो तो जानी।"

और 

ऐसा करने के बाद हम मानते थे कि  अब परीक्षा में हमें पास करने की जिम्मेदारी नीलकंठ यानी भगवान शंकर  की है।

कानपुर क्षेत्र में परीक्षा में पास होने का यही वरदान कुछ इस तरह मांगा जाता था-

"नीलकंठ तुम नीले रहियो,
हमको पास कराए जइयो।
पास होएं तो बैठे रहियो,
फेल होएँ तो उड़ जइयो।"

नीलकंठ की एक जगह पर काफी देर तक बैठने की आदत होती है इसलिए नीलकंठ किसी को जल्दी निराश नहीं करते थे।

मध्यप्रदेश के लोग मन ही मन अपनी कामना कुछ इस तरह प्रकट करते थे-

"नीलकंठ तुम नीले रहियो, 
दूध भात का भोजन करियो।
मोरा सन्देशा भगवान से कहियो, सोवत हों तो जगाय के कहियो,
 बैठे हों तो उठाय के कहियो।"

फिर धीरे से यह भी आग्रह करते कि उन्हें परीक्षा में  कौन सा डिवीजन चाहिए। 

बचपन भी क्या मजे का होता था।
क्या आपके क्षेत्र में भी  ऐसी कोई मान्यता है??

नोट- नीलकंठ पक्षी खेतों में पाए जाने वाले कीड़े मकोड़ों को खाता है इसलिए इसे किसानों का मित्र भी कहा जाता है ।शायद नीलकंठ के इन्हीं गुणों के कारण हमारे पूर्वजों ने नीलकंठ को शुभ मानना शुरू किया होगा। 


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बारबार पूछ रहा ...

5 अक्टूबर 2022
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रावण बनना भी कहां आसान...रावण में अहंकार था तो पश्चाताप भी था...रावण में वासना थी तो संयम भी था...रावण में सीता के अपहरण की ताकत थीतो बिना सहमति परस्त्री को स्पर्श न करने का संकल्प भी था...सीता जीवित

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विनम्रता

19 अक्टूबर 2022
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रावण अत्यंत विनम्रतापूर्वक मारीचि को झुक कर प्रणाम करता है और मारीचि का माथा ठनक जाता है | रावण बोला मामा मारीचि चलिये स्वर्ण मृग बनना है आपको और राम को छल से भटका कर दूर ले जाना है । रावण जैसे म

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रामायण

23 अक्टूबर 2022
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श्रद्धेय रामानंद सागर कृत रामायण को असाधारण लोकप्रियता देखकर यह सोचता हूँ कि आखिर उनकी रामायण में ऐसा क्या है जो लोगों को बरबस ही अपनी ओर खींच लेता है!!! 80 के दशक के उत्तरार्ध में कर्फ्यू जैसे

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विजयदशमी

23 अक्टूबर 2022
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उर्मिला

26 अक्टूबर 2022
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भगवान श्री राम को 14 वर्ष का वनवास हुआ तो उनकी पत्नी माँ सीता ने भी सहर्ष वनवास स्वीकार कर लिया। परन्तु बचपन से ही बड़े भाई की सेवा मे रहने वाले लक्ष्मण जी कैसे राम जी से दूर हो जाते! माता सुमित्रा से

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प्रभु श्री राम

29 अक्टूबर 2022
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राम तेरी नगरी बस रही है। बस तेरी ही कमी हमें खल रही है। आ जाओ राम ,लगाओ फिर दरबार। जन-जन तुम्हें अब ढूंढ़ रही है। जन-जन तुम्हें अब ढूंढ रही है , धरती है कष्ट में करो उद्धार , फिर से बना दो यहाँ

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प्रभु श्रीराम

20 जनवरी 2024
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मेरे प्रभु श्रीराम

23 जनवरी 2024
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मेरे प्रभु श्रीरामसंवरे सारे बिगड़े काम, विपदा का हो काम तमाम, संशय हटे तब मन का सारा, प्रभु श्रीराम का लें जब नाम, छवि अनोखी जिनकी प्यारी, उनसे महके हर फुलवारी, कांटों म

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