तू सूक्ष्म रूप तू है विशाल,
तेरी ना कोई है मिशाल।
तेरा ना कोई आदि अन्त
तुझमे ही हैं सब जीव जन्त।
तू पर्वत है तू सागर है,
झरनो से बहती गागर है।
तू पेड़ो मे जड चेतन है,
तू प्राण वायु का निकेतन है।
सूरज चाँद सितारा तू,
धरती पानी अंगारा तू।
भूमण्डल तेरा है आकार
घटते बढते तेरे प्रकार।
तू सूक्ष्म रूप तू है विशाल।
सुरेश कुमार 'राजा'