8 जनवरी 2022
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कवि लेखक चिंतक D
मैं में ख्याल आये और होंठों पर गीत न आये, यह कैसे हो सकता है बहुत सुन्दर
बढ़िया 🙏🙏
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तू सूक्ष्म रूप तू है विशाल, तेरी ना कोई है मिशाल। तेरा ना कोई आदि अन्त तुझमे ही हैं सब जीव जन्त। तू पर्वत है तू सागर है,झरनो से बहती गागर है।तू पेड़ो मे जड चेतन है,तू प्राण व
जब गीत कोई गायेतेरा ख्याल आये।बागो मे फूल तेरे जब भी मुस्कुरायेतेरा ख्याल आये