shabd-logo

प्रार्थना

24 अप्रैल 2022

63 बार देखा गया 63

• “प्रार्थना” नामक यह अध्याय स्वामी विवेकानंद की प्रसिद्ध पुस्तक भक्ति योग का प्रथम अध्याय है। इसमें श्वेताश्वतर

        उपनिषद के दो मंत्र हैं, जो ईश्वर की महिमा का वर्णन करते हैं और उसकी शरण में जाने की बात कहते हैं–यहीं से 

         भक्ति का आरंभ होता है। प्रत्येक भक्त के हृदय में यही प्रार्थना नित्य गूंजती रहती है। 

 

• स तन्मयो ह्यमृत ईशसंस्थो ज्ञः सर्वगो भुवनस्यास्य गोप्ता। य ईशेऽस्य जगतो नित्यमेव नान्यो हेतुः विद्यते ईशनाय॥


• यो ब्रह्माणं विदधाति पूर्वं यो वै वेदांश्च प्रहिणोति तस्मै ।  तं ह देवम् आत्मबुद्धिप्रकाशं मुमुक्षुर्वै शरणमहं प्रपद्ये ॥


• “वह विश्व की आत्मा है, अमरणधर्मा और ईश्वररूप से स्थित है, वह सर्वज्ञ, सर्वगत और इस भुवन का रक्षक है, जो 

         सर्वदा इस जगत् का शासन करता है; क्योंकि इसका शासन करने के लिए और कोई समर्थ नहीं है।”


• “जिसने सृष्टि के आरम्भ में ब्रह्मा को उत्पन्न किया और जिसने उसके लिए वेदों को प्रवृत्त किया, आत्मबुद्धि को

          प्रकाशित करनेवाले उस देव की मैं मुमुक्षु शरण ग्रहण करता हूँ।”



11
रचनाएँ
भक्ति योग
0.0
भक्तियोग का एक बड़ा लाभ यह है कि वह हमारे चरम लक्ष्य (ईश्वर) की प्राप्ति का सब से सरल और स्वाभाविक मार्ग है। पर साथ ही उससे एक विशेष भय की आशंका यह है कि वह अपनी निम्न या गौणी अवस्था में मनुष्य को बहुधा भयानक मतान्ध और कट्टर बना देता है।
1

प्रार्थना

24 अप्रैल 2022
10
0
0

• “प्रार्थना” नामक यह अध्याय स्वामी विवेकानंद की प्रसिद्ध पुस्तक भक्ति योग का प्रथम अध्याय है। इसमें श्वेताश्वतर         उपनिषद के दो मंत्र हैं, जो ईश्वर की महिमा का वर्णन करते हैं और उसकी शरण में जा

2

भक्ति की लक्षण

24 अप्रैल 2022
3
0
0

“भक्ति के लक्षण” नामक यह अध्याय स्वामी विवेकानंद की प्रसिद्ध पुस्तक भक्ति योग का द्वितीय अध्याय है। भक्ति की साधना के लिए यह ठीक-ठीक समझना बहुत आवश्यक है कि वस्तुतः भक्ति क्या है और भक्ति के लक्षण क्य

3

ईश्वर का स्वरूप

24 अप्रैल 2022
3
0
0

“ईश्वर का स्वरूप” नामक स्वामी विवेकानंद कृत भक्ति योग का यह तीसरा अध्याय है। इसमें स्वामी जी बता रहे हैं कि भक्ति के लिए ईश्वर का स्वरूप समझना अत्यन्त आवश्यक है। साथ ही इस अध्याय में वे विभिन्न भारतीय

4

भक्तियोग का ध्येय प्रत्यक्षानुभूति

24 अप्रैल 2022
2
0
0

“भक्तियोग का ध्येय प्रत्यक्षानुभूति” नामक यह अध्याय स्वामी विवेकानंद की प्रसिद्ध पुस्तक भक्ति योग से लिया गया है। इसमें स्वामी जी बता रहे हैं कि भक्ति कोई अंधश्रद्धा नहीं, अपितु इसका उद्देश्य ईश्वर का

5

गुरु की आवश्यकता

24 अप्रैल 2022
1
0
0

“गुरु की आवश्यकता” नामक यह अध्याय स्वामी विवेकानंद की प्रसिद्ध पुस्तक भक्ति योग से लिया गया है। आध्यात्मिक जीवन में गुरु की आवश्यकता अत्यधिक है। बिना गुरु के सही मार्ग पर बने रहना और उसपर आगे बढ़ना बहु

6

गुरु और शिष्य के लक्षण

24 अप्रैल 2022
2
0
0

“गुरु और शिष्य के लक्षण” नामक यह अध्याय स्वामी विवेकानंद की प्रसिद्ध किताब भक्तियोग से लिया गया है। इसमें स्वामी जी बता रहे हैं कि गुरु और शिष्य के लक्षण किस प्रकार होने चाहिए, अर्थात् सच्चे गुरु और श

7

अवतार

24 अप्रैल 2022
0
0
0

“अवतार” नामक यह अध्याय स्वामी विवेकानंद की प्रसिद्ध पुस्तक भक्ति योग से लिया गया है। इस अध्याय में स्वामी जी इस बात का निरूपण कर रहे हैं कि अवतार कौन हैं और वे इस धरा पर क्यों अवतीर्ण होते हैं। अवतार

8

मंत्र ॐ – शब्द और ज्ञान

24 अप्रैल 2022
3
0
0

“मंत्र” नामक यह अध्याय स्वामी विवेकानंद की प्रसिद्ध पुस्तक भक्ति योग से लिया गया है। इसमें स्वामी जी बता रहे हैं कि मंत्र क्या है, इसकी क्या आवश्यकता है और ॐकार का क्या रहस्य है। मंत्रों की शक्ति को ज

9

प्रतीक तथा प्रतिमा उपासना

24 अप्रैल 2022
0
0
0

“प्रतीक तथा प्रतिमा-उपासना” नामक यह अध्याय स्वामी विवेकानंद की विख्यात कृति भक्ति योग से लिया गया है। इसमें स्वामी जी व्याख्या कर रहे हैं धार्मिक प्रतीकों तथा उनकी उपासना की। वे बता रहे हैं कि प्रतीक

10

इष्टनिष्ठा

24 अप्रैल 2022
0
0
0

“इष्टनिष्ठा” नामक यह अध्याय स्वामी विवेकानंद की प्रसिद्ध पुस्तक भक्तियोग से लिया गया है। इसमें स्वामी जी इष्टनिष्ठा के सिद्धांत की चर्चा कर रहे हैं और इसके महत्व का वर्णन कर रहे हैं। वे बता रहे हैं कि

11

भक्ति के साधन

24 अप्रैल 2022
1
0
0

“भक्ति के साधन” नामक यह अध्याय स्वामी विवेकानंद की प्रसिद्ध पुस्तक भक्ति योग से लिया गया है। इसमें स्वामी जी बता रहे हैं कि भगवान रामानुज की वेदान्त-सूत्र व्याख्या के अनुसार भक्ति के साधन क्या-क्या है

---

किताब पढ़िए