बहुत हुआ यह खेल म-खेला
पूरी हो बिछड़न की वेला
अब तो मेरी जान में करार रहने दे ;
मेरे प्यार के उस रूप को साकार रहने दे ||
हो बहुत लिए हम दूर , अब सहा नही जाता मुझसे
मुझ बिन जिन्दा नही रही वो , देखा कैसे जाता तुझसे
सुन ले मेरी अर्जी एक बार रहने दे ;
मेरे प्यार के उस रूप को साकार रहने दे ||
गर मुस्काई जो दिल से वो , समझूँगा तुने मान लिया
मेरे दिल की चाहत को , शायद थोड़ा सा जान लिया
जीवन में उसके खुशहाली अपार रहने दे ;
मेरे प्यार के उस रूप को साकार रहने दे ||
छीन मेरा तू चैन भले , लेले सारी ख़ुशी भी तू
भर दे आँखों में आँसू , हर ले सारी हँसी भी तू
उसकी यादों को धड़कन का तार रहने दे ;
मेरे प्यार के उस रूप को साकार रहने दे ||
रातों को नींद में आती है , इठलाती है बतलाती है
मैं गोद में उसकी सो जाता , वो बाल मेरे सहलाती है
स्वप्न में ही सही , मिलन के आसार रहने दे ;
मेरे प्यार के उस रूप को साकार रहने दे ||
अंतिम छंद लिखे इतना , 'नूतन' को थोड़ा मानेगा?
इश्क़ बिना जीवन भी नही , कब इस सत्य को जानेगा?
गर मिला नही सकता प्रेम ी को , ना प्यार रहने दे ;
सबके प्यार पर विश्वास को साकार रहने दे ||
अब तो मेरी जान में करार रहने दे ;
मेरे प्यार के उस रुप को साकार रहने दे ||
- कान्हा 'नूतन'