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प्रेम : प्रार्थना

28 अक्टूबर 2016

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बहुत हुआ यह खेल म-खेला

पूरी हो बिछड़न की वेला

अब तो मेरी जान में करार रहने दे ;

मेरे प्यार के उस रूप को साकार रहने दे ||


हो बहुत लिए हम दूर , अब सहा नही जाता मुझसे

मुझ बिन जिन्दा नही रही वो , देखा कैसे जाता तुझसे

सुन ले मेरी अर्जी एक बार रहने दे ;

मेरे प्यार के उस रूप को साकार रहने दे ||


गर मुस्काई जो दिल से वो , समझूँगा तुने मान लिया

मेरे दिल की चाहत को , शायद थोड़ा सा जान लिया

जीवन में उसके खुशहाली अपार रहने दे ;

मेरे प्यार के उस रूप को साकार रहने दे ||


छीन मेरा तू चैन भले , लेले सारी ख़ुशी भी तू

भर दे आँखों में आँसू , हर ले सारी हँसी भी तू

उसकी यादों को धड़कन का तार रहने दे ;

मेरे प्यार के उस रूप को साकार रहने दे ||


रातों को नींद में आती है , इठलाती है बतलाती है

मैं गोद में उसकी सो जाता , वो बाल मेरे सहलाती है

स्वप्न में ही सही , मिलन के आसार रहने दे ;

मेरे प्यार के उस रूप को साकार रहने दे ||


अंतिम छंद लिखे इतना , 'नूतन' को थोड़ा मानेगा?

इश्क़ बिना जीवन भी नही , कब इस सत्य को जानेगा?

गर मिला नही सकता प्रेम ी को , ना प्यार रहने दे ;

सबके प्यार पर विश्वास को साकार रहने दे ||


अब तो मेरी जान में करार रहने दे ;

मेरे प्यार के उस रुप को साकार रहने दे ||


- कान्हा 'नूतन'


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