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प्रॉमिस डे!

17 दिसम्बर 2023

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करता रहा ,अपने आप से वादा, जिंदगी में सफल बनने का, ना सोचा था -यह वादा आज इस तरह सताएगा।'' जी का जंजाल'' बन जाएगा। वादे की खातिर कोई रिश्ता ना रहा। आज पहुंचा, जिस मक़ाम पर ,कोई अपना ना रहा। वादा बहुत कठिन है निभाना,'' भीष्म पितामह ''का , राजपाट ना रहा , इसलिए वादा भी अंग्रेज बन गया। जो'' वायदे'' से '' प्रॉमिस'' बन गया, न निभाने के लिए....... शब्दों का भी बहुत महत्व है,'' भीष्म पितामह ''प्रतिज्ञा'' करके, ''कुरु वंश'' का सर्वनाश के बैठे।''वायदे '', को जिसने भी निभाया ,दूसरे के अहित के साथ ,स्वयं भी सुख न पाया। ''प्रॉमिस ''में अवश्य ही कुछ न कुछ मिस रहता है ,फिर चाहे प्रेम हो ,साथ हो ,दोस्ती हो। 



प्राचीन समय में शब्दों की कीमत थी, मुंह से निकले शब्द ही पत्थर की लकीर हुआ करते थे। आज वायदे तो क्या शब्दों की कीमत भी कुछ नहीं रही ? आज शब्दों की कीमत कौड़ियों के भाव, विचारणीय शब्द, बहुमूल्य शब्द,'' फेसबुक'' पर ''व्हाट्सएप ''और ''प्रतिलिपि'' पर पड़े हैं। क्योंकि अब जुबान की ही कीमत नहीं रही , चमड़े की जबान जो हो गई है, फिसल जाया करती है। शब्दों की कीमत कैसे आकेंंगें ? जब इस बेशकीमती इंसानी जीवन की ही कोई कीमत नहीं रही।  

सर उठाकर जीना, अपने आप पर गर्व करना लोग, जैसे भूल ही गए हैं। उस समय पर लोग अपने, धर्म और कुल पर भी गर्व करते थे। शब्दों की खातिर ,पहले सर कट जाया करते थे ,जो मर -मरकर जी रहे हैं , वादा करते हैं , प्रतिदिन अपने आप से ,खुद ब खुद विष पी रहे हैं। फिर कैसे किसी से वादा निभाएंगे, खुद ही अपने जाल में फंस जाएंगे। स्वार्थी रिश्तों की भरमार है, किसके लिए अपनी जान जोखिम में डलवाएंगे ? इसीलिए तो आज, ''प्रॉमिस डे'' बन गया है। कैसे वो वादा निभाएंगे ? एक दिन के लिए ही सही ,उसी दिन वादा करेंगें और खेल समझकर भूल जाएंगे।
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हमारे जीवन में अथवा समाज में हम कुछ ऐसा देखते या सुनते हैं जिन पर कई बार हम सहमत होते हैं और कई बार सहमत नही होते तब उस विषय पर हमारे विचार हमारी सोच उसके पक्ष या विपक्ष में हमें लिखने पर बाध्य कर देती है। कई बार किसी चीज की जानकारी हम लेख द्वारा ही जान सकते हैं या किसी को जानकारी दे भी सकते हैं। अपने विचारों से किसी को अवगत कराना चाहेंगे तब भी लेख ही ऐसा माध्यम है। उन विचारों से कुछ लोग सहमत हो सकते हैं, कुछ सहमत नहीं हो सकते सभी की अपनी अपनी सोच है। किसी को बाध्य नही किया जा सकता किंतु अपने लेखों द्वारा दूसरे व्यक्ति तक अपने विचार पहुंचाए अवश्य जा सकते हैं। अपनी समीक्षाओं द्वारा उन विचारों पर अपना मत सकते हैं।
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शिक्षक और समाज निर्माण

5 सितम्बर 2022
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नमस्कार दोस्तों आज'' शिक्षक दिवस ''है ,आज ही के दिन ''डॉक्टर सर्वपल्ली राधा कृष्णन ''का भी जन्म दिवस भी  है। वो शिक्षक ,जो एक राष्ट्र का निर्माण करने की भी क्षमता रखता है। माता -पिता बालक के प्रथम गुर

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हवेली का रहस्य (भाग १)

15 अक्टूबर 2022
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कामिनी ,हाँ !ये ही तो नाम है ,अंगूरी देवी की छोटी बहु का। वो एक पढ़ी -लिखी ,समझदार लड़की है ,अंगूरी देवी का बेटा भी पढ़ा -लिखा अफसर है। निहाल सिंह ,किन्तु कामिनी तो उसे निहाल ही कहती है । अंगूरी दे

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सकारात्मक, नकारात्मक सोच

20 अक्टूबर 2022
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सोच तो सोच ही होती है ,चाहे वो'' नकारात्मक ''हो या ''सकारात्मक'' ! हम सोचते नहीं -कि हमें कब और क्या सोचना है ?वरन परिस्थितियों के आधार पर हमारी सोच स्वतः ही परिवर्तित हो जाती है। कहने और सुनने में आत

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माँ

14 मई 2023
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माँ ,वो ही तो मुझे इस दुनिया में लाई है। उसी ने तो ,ये रंगीन दुनिया दिखलाई है। माँ ,ने ही तो ,मेरे जैसी 😇 रचना रचाई है। उसी ने रीति -रिवाज़ों की सीख़ सिखलाई है।धन्य है ,वो माँ जिसने ये द

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आध्यात्म

8 अगस्त 2023
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मानव ,जब इस संसार में अपनी आँखें खोलता है ,तब उसे समाज ,रिश्ते ,प्रकृति और इस संसार की रंगीनियां नजर आती हैं, और वो इन सबमें अपने को उलझा लेता है। कुछ लोग इस संसार के मोह से शीघ्र ही ,बाहर आ जाते हैं।

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मातृत्व!

1 सितम्बर 2023
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एक लड़की ,जब तक अपने घर में है ,तब तक उसका रिश्ता ,बहन ,बेटी ,बुआ के रिश्तों से जुडा होता है। विवाह के पश्चात ,लड़की से औरत के रूप में ,उसकी पद्दोन्नति होती है ,इसके साथ ही ,उससे नए रिश्ते बनते और जु

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इज्जत!

19 दिसम्बर 2023
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इज्जत यानी सम्मान ! मान ,मर्यादा !आदर ! प्रतिष्ठा ! आबरू !सम्मान !हमें किस तरह से प्राप्त होता है ? पैसे से, उम्र से, या हमारे रुतबे से , कभी-कभी हम, अपने बाहुबल या धन के जोर पर किसी को दबा देते हैं

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जीवन सुचारु रूप से चल रहा था, सब कुछ सही तो था। अचानक ही ऐसी घोषणा सुनकर, सब हतप्र्भ रह गए। सबकी जुबां पर एक ही सवाल था -यह कैसे हो गया ? यह क्या कर दिया ? किसी को कुछ भी समझ नहीं आ रहा था , सबके दिलो

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आओ !कहीं वादियों में खो जाते हैं, प्रकृति की सुंदरता का अनुभव करते हैं। ऐसी प्रकृति जहां पर स्वर्ग का आभास हो। सुंदर-सुंदर,मनभावन पुष्प खिले हों , झील का किनारा हो, लोगों का रहन-सहन भी अलग है और शिका

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सोशल मीडिया ,के माध्यम से, लोगों से मिलने और उनसे जुड़ने का आपको मौका मिलता है किन्तु वो कौन लोग हैं ?जिन्हें कुछ को हम जानते भी हैं और कुछ को नहीं जानते हैं। किन्तु'' सोशल मीडिया'' के माध्यम से जानने

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सहज, सरल सपना, सिर्फ निद्रा में ही,बंद आँखों से देखे जा सकते हैं और नींद में ही पूर्ण हो सकते हैं। नींद में तो न जाने, हम राजा भी बन जाए, कठिन से कठिन कार्य पूर्ण कर दें। सोते हुए ,ये सपने बड़े हसीन

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आधा सच ''हो या ''आधा झूठ'', यह एक फरेब है ,मानव को उलझाने का , न ही उसे वास्तविकता का पता चल पाता है, उस ''अधूरे सत्य'' को लिए घूमता रहता है। मीठे और धीमे विष की भांति ही 'अधूरा सत्य' है किंतु पूर्ण

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घुड़सवारी ''बीते जमाने की बात हो गई है , 'घुड़सवारी 'और ''हाथी की सवारी'' शाही सवारी मानी जाती थी। शाही लोग ही, इनका अधिकतर प्रयोग करते थे। सामान्य जन भी घोड़े की सवारी का आनन्द ले लिया करते थे। राज

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गुरु परंपरा की रीत निराली,गुरु ही है ,सब कर्मों पर भारी,गुरु ही मेरा मान है ,मेरी पहचान है। गुरु बिन ,सब काज अधूरे ,ऐसे गुरु को बारंबार प्रणाम है। स्नेहसिक्त , ऐसे प्रभु के चरणों में कोटि-क

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Homereality of lifeSvchchh abhiyaanbylaxmi-July 21, 20240कुछ दिनों पहले मैंने सुना -लोग कहते है -यार !विदेशों में कितनी स्वच्छता है ? वहां के लोगों का रहन-सहन कितना अच्छा है ?यहां भारत में क्या है ?गं

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संकल्प का दूसरा नाम,'' प्रतिज्ञा ''भी है ,जैसे भीष्म पितामह ने ली थी किंतु उसके कारण उन्हें और उनके राज्य को अनेक कष्टों का सामना करना पड़ा। तभी आज के समय में यदि कोई कहता है -मैं यह कार्य नहीं करूंगा

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