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सोशल मीडिया

27 जनवरी 2024

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सोशल मीडिया ,के माध्यम से, लोगों से मिलने और उनसे जुड़ने का आपको मौका मिलता है किन्तु वो कौन लोग हैं ?जिन्हें कुछ को हम जानते भी हैं और कुछ को नहीं जानते हैं। किन्तु'' सोशल मीडिया'' के माध्यम से जानने लगते हैं। इसका उद्देश्य मात्र लोगों को जोड़ना ही नहीं है वरन लोगों तक एक से एक जानकारी पहुंचाना भी है। इसके माध्यम से बहुत से, लोगों को काम भी मिला है ,जिनके पास काम है उनके व्यवसाय का प्रचार -प्रसार भी हो जाता है। अपनी बात को कहने की स्वतंत्रता भी यह ''सोशल मीडिया ''ही देता है। 

इसके माध्यम से कुछ लोग जो, अपनी पहचान खो चुके थे ,या जिस कार्य में वो दक्ष थे किन्तु किसी को दिखाने या स्वयं को साबित करने का उन्हें मौका ही नहीं मिल रहा था, उन्हें'' सोशल मिडिया ''के माध्यम से अपनी कार्यकुशलता को दिखाने का अवसर मिला। आज ''सोशल मीडिया'' पर एक लेखक अपनी रचनाएं लिखता है ,कविताएं लिखता है, कहानी लिखता है, लेख लिखता है। एक नृत्यक अपना नृत्य प्रस्तुत करके, अपनी कला के माध्यम से पैसे अर्जित करने के साथ-साथ, अपनेआप में आत्मविश्वास पाता है। एक एक पेंटर अपनी कृतियों को सोशल मीडिया पर प्रस्तुत करके, ख्याति और लाभ अर्जित करता है। 



''सोशल मीडिया ''पर ही, न जाने कितने एप बना रहे हैं ,न जाने कितनों की दुकानें चल निकली हैं और चल रही हैं। हुनर ढूंढना है ,तो आम जनता और साधारण जनता में से हुनर निखरकर आता है। कुछ लोग हास्य व्यंग्य की वीडियो डालकर ही, अपने समय का सदुपयोग करते हैं। व्यर्थ में ही, समय बर्बाद न करके अपने हुनर को एक पहचान देना चाहते हैं। यह'' सोशल मीडिया ''द्वारा ही संभव हो सका है। जिन कलाकारों को हम देख और सुन नहीं पाए उनको हम आज सरलता से ही देख भी सकते हैं और सुन भी सकते हैं उन्हें आदर्श बनाकर हम भी, आगे बढ़ सकते हैं। दुनिया कितनी उन्नति कर गई है ?अब ''सोशल मीडिया'' के माध्यम से ही, हमें यह सब देखने को मिल रहा है। घर बैठे ही ,न जाने कितनी जानकारी हमें मिल जाती है। देश विदेश तक की जानकारी मिल जाती है। ऐसे स्थल जहां पर हम कभी न जा पाएंगे और न ही गए हैं वह भी हमें देखने को और उनके विषय में जानकारी मिल जाती है।सास -बहु की चुगली से हटकर ,कुछ नया सीखते और सिखाते हैं।  

आज के समय में लोग, इतने व्यस्त हो गए हैं कि उन्हें अपने परिवार के लिए ,अपने बच्चों के लिए भी समय कम मिल पाता है, ऐसे समय में वृद्ध और बच्चे अपने को उपेक्षित मानते हैं। किंतु'' सोशल मीडिया ''के माध्यम से उनका भी समय कट जाता है। कुछ नए अनजान दोस्त बनाकर, बहुत वर्षों पश्चात मिले, रिश्ते भी सोशल मीडिया के माध्यम से जुड़ जाते हैं ,जिन्हें कभी सालों से देखा नहीं, मिले नहीं ,वे मित्र और रिश्ते भी मिल जाते हैं।'' अकेलेपन का साथी है, सोशल मीडिया '', हताश, निराश व्यक्ति कुछ देर'' सोशल मीडिया'' पर व्यतीत करके अपने को तरोताजा कर लेता है। कुछ सीख लेता है, या फिर कुछ सिखा देता है।कभी -कभी 'आइना 'भी दिखा देता है।  

इसका प्रचार और प्रसार बहुत अधिक हो गया है, किंतु जहां पर राम हैं , वहां रावण भी है। जहां अच्छा है, वहां बुरा भी है। जहां शब्द हैं वहां विलोम भी है। इसी तरह सोशल मीडिया के भी, कुछ लाभ हैं तो हानियां भी हैं। कुछ ऐसे लोग हैं ,जो दूसरों को धोखा देना, झूठ बोलना, किसी को ब्लैकमेल करना, किसी की भावनाओं से खेलना , किसी को आर्थिक नुकसान पहुंचाना ,ऐसे कार्य भी करते हैं। सोशल मीडिया पर जानकारी के ही नहीं ,कुछ अभद्र वीडियो भी बनती हैं, जिससे हमारे आने वाली भावी पीढ़ी पर उसका गलत असर पड़ता है। ऐसे में बच्चों के माता-पिता को सतर्क रहने की आवश्यकता है, कि बच्चा,'' सोशल मीडिया'' पर कैसी जानकारी ले रहा है ? इसके लिए सतर्क रहना बहुत आवश्यक है। सोशल मीडिया पर ऐसे चालाक लोगों से बचने के लिए ,समय-समय पर'' सावधानी'' और ''चेतावनी'' भी दी जाती है ,उन लोगों से सतर्क रहने की आवश्यकता है।




कुछ लोग सोशल मीडिया पर रहने के इतने आदि हो जाते हैं , उन्हें समय का भान ही नहीं रहता , स्वास्थ्य की दृष्टि से देखा जाए तो इससे हानि सभी को होती है ,अधिक समय सोशल मीडिया पर बिताने से भी'' बच्चों ''और'' बुजुर्गों'' को अधिक हानि ही होती है। सारा दिन बच्चे घर में बैठकर ''सोशल मीडिया'' पर चैट करते हैं, बाहर खेलने और घूमने नहीं जाते ,अन्य बच्चों के साथ मिलते नहीं है। व्यवहारिक ज्ञान कैसे उन्हें आएगा। आंखें खराब होने का, खतरा बना रहता है। सारा दिन फोन पर, गर्दन झुकाए बैठे रहने से, कमर और कंधों , और गर्दन में दर्द भी हो जाता है। इसीलिए थोड़ी सावधानी बरती जाए तो ''सोशल मीडिया'' बुरा भी नहीं है। कुछ लोग ,इस पर एक खेल और खेलते हैं ,किसी अनजान से दोस्ती ,अपना परिचय झूठा ,अपने रहने का स्थान ,कार्य सब झूठ से शुरुआत करते हैं। होंगे ,गुरुद्वारे के लंगर में ,बताते हैं ,होटल में हैं। यह भी खेल अच्छा है ,जो पकड़ा गया ,उसको धप्पा...... वरना दौड़ते रहो !आज यहाँ कल वहां ,जब तक थक नहीं जाते। 
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हमारे जीवन में अथवा समाज में हम कुछ ऐसा देखते या सुनते हैं जिन पर कई बार हम सहमत होते हैं और कई बार सहमत नही होते तब उस विषय पर हमारे विचार हमारी सोच उसके पक्ष या विपक्ष में हमें लिखने पर बाध्य कर देती है। कई बार किसी चीज की जानकारी हम लेख द्वारा ही जान सकते हैं या किसी को जानकारी दे भी सकते हैं। अपने विचारों से किसी को अवगत कराना चाहेंगे तब भी लेख ही ऐसा माध्यम है। उन विचारों से कुछ लोग सहमत हो सकते हैं, कुछ सहमत नहीं हो सकते सभी की अपनी अपनी सोच है। किसी को बाध्य नही किया जा सकता किंतु अपने लेखों द्वारा दूसरे व्यक्ति तक अपने विचार पहुंचाए अवश्य जा सकते हैं। अपनी समीक्षाओं द्वारा उन विचारों पर अपना मत सकते हैं।
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